US Student Visa: अमेरिका में पढ़ाई करने वाले भारतीयों समेत विदेशी छात्रों के लिए जरूरी एफ-1 वीजा से संबंधित नियमों में हाल ही में सख्ती की गई है, जिससे मौजूदा और भविष्य के अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के लिए बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं। बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अपडेटेड रूल्स के अनुसार, स्टूडेंट की ओर से वीजा स्टेटस को मेंटेन किए जाते हुए अमेरिका से बाहर बिताए जाने वाले समय पर ज्यादा कठोर सीमाएं लगाई गई हैं। अब उनके एकेडमिक प्रोग्राम के दौरान यह सीमा लगातार पांच महीने तक सीमित कर दी गई है। इस बदलाव से कई स्टूडेंट्स के विदेश में पढ़ाई के प्लान, इंटर्नशिप और एकेडमिक ब्रेक बाधित होने का खतरा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इन नए प्रतिबंधों के प्रभाव ने भारतीय और अन्य अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के बीच चिंता पैदा कर दी है, विशेष रूप से उन विद्यार्थियों के बीच जो अंतरराष्ट्रीय गतिशीलता (इंटरनेशनल मोबिलिटी) पर जोर देने वाले कार्यक्रमों में नामांकित हैं। इसमें कहा गया है कि संशोधित नियम वीजा स्टेटस को खतरे में डाले बिना वैश्विक शिक्षा कार्यक्रम, विदेश में इंटर्नशिप और विस्तारित रिसर्च प्रोजेक्ट्स को असुविधाजनक बना सकते हैं।
F-1 वीजा नियम
एफ-1 वीजा एक गैर-आप्रवासी (नॉन-इमिग्रेंट वीजा) है। इसकी जरूरत अमेरिका में एकेडमिक स्टडी करने वाले अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों को पड़ती है। यह वीजा विद्यार्थियों को छुट्टियों और इंटर्नशिप समेत विभिन्न कारणों से एक निर्दिष्ट (स्पेसिफाइड) अवधि के लिए विदेश यात्रा की अनुमति देता है। इसका मतलब है कि स्टूडेंट उस स्पेसिफाइड ड्यूरेशन से ज्यादा विदेश यात्रा में नहीं रह सकते हैं। चूंकि हाल के बदलाव के अनुसार, अब विद्यार्थियों को अपनी पढ़ाई के दौरान अमेरिका से बाहर अधिकतम पांच महीने ही बिताने की अनुमति होगी, इससे उन कार्यक्रमों में भाग लेने वालों के लिए बड़ी चुनौतियां उत्पन्न हो जाएंगी जिनमें अंतरराष्ट्रीय अनुभव की जरूरत होती है।
इस पॉलिसी एडजस्टमेंट के तहत नया फॉर्म I-20 प्राप्त करने की भी आवश्यकता हो गई है, जिससे विस्तारित अध्ययन के अवसर तलाशने के इच्छुक छात्रों के लिए जटिलता और लागत और बढ़ जाएगी।
स्टूडेंट्स के लिए इम्प्लीकेशन
नए प्रतिबंधों के तहत विद्यार्थियों को अपनी एकेडमिक और प्रोफेशनल एक्टिविटीज की सावधानीपूर्वक योजना बनानी होगी ताकि वे अमेरिका से बाहर पांच महीने की सीमा पार न करें। वैश्विक कार्यक्रमों में भाग लेने वालों के लिए इसका मतलब महत्वपूर्ण सीखने के अवसरों का त्याग करना या विदेश में छोटी और ज्यादा लगातार यात्राएं करना हो सकता है।
मौजूदा विद्यार्थियों को विदेश में इंटर्नशिप या रिसर्च प्रोजेक्ट्स की अपनी योजनाओं में व्यवधान महसूस हो सकता है, विशेष रूप से STEM (science, technology, engineering, and mathematics) फील्ड से आने वालों के लिए, जहां अंतरराष्ट्रीय अवसर अक्सर महत्वपूर्ण होते हैं।
विश्वविद्यालयों के लिए चुनौतियां
अमेरिकी विश्वविद्यालयों को नई वीजा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने वैश्विक कार्यक्रमों को जल्दी से एडजस्ट करना होगा। कई संस्थान इस बात पर पुनर्विचार कर रहे हैं कि इंटरनेशनल कंपोनेंट्स को कैसे स्ट्रक्चर किया जाए और संभवतः वे छोटी अवधि के विदेश में अध्ययन करने के अनुभव या आभासी (वर्चुअल) विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं।
इसके अलावा, नए प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के आवेदनों में बाधा डाल सकते हैं, क्योंकि कई विद्यार्थी उन वैश्विक अवसरों की तलाश में रहते हैं, जिन्हें अमेरिकी शिक्षा पारंपरिक रूप से प्रदान करती है।
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संभावित लाभ और विकल्प
रिपोर्ट कहती है कि चुनौतियों के बावजूद, नए प्रतिबंधों से अमेरिका में लंबे समय तक रहने वाले विद्यार्थियों को कुछ लाभ हो सकते हैं। कैंपस में लंबे समय तक रहने से मजबूत एकेडमिक कनेक्शन विकसित हो सकते हैं और अमेरिकी शैक्षणिक संस्कृति में एकीकरण (इंटीग्रेशन) बढ़ सकता है। कुछ विश्वविद्यालय पारंपरिक अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए वर्चुअल आदान-प्रदान और दूरस्थ अनुसंधान सहयोग जैसे इनोवेटिव अल्टरनेटिव तलाश रहे हैं। हालांकि, ये विकल्प समान सांस्कृतिक समावेश प्रदान नहीं कर सकते, फिर भी वे छात्रों को वैश्विक दृष्टिकोण विकसित करने और इंटरनेशनल नेटवर्क बनाने में मदद कर सकते हैं।