बनगांव/उलुबेरिया. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मतुआ समुदाय की नागरिकता को लेकर चिंताओं को दूर करने के प्रयास के तहत मंगलवार को यह आश्वासन दिया कि समुदाय के सदस्यों को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत नागरिकता मिलेगी. शाह ने साथ ही कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कानून का क्रियान्वयन कभी भी रोक नहीं सकतीं.
मतुआओं के गढ़ बनगांव और उलुबेरिया में एक के बाद एक चुनावी रैलियों को संबोधित करते हुए शाह ने बनर्जी पर ‘घुसपैठियों और रोहिंग्याओं’ को खुश करने के लिए नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के बारे में झूठ फैलाने का आरोप लगाया, जो राज्य में ‘टीएमसी के वोट बैंक’ हैं.
शाह ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव के चौथे चरण तक जिन 380 लोकसभा सीट पर मतदान पूरा हो चुका है, उनमें से भाजपा 270 सीट जीतेगी. राज्य से 30 सीट जीतने के भाजपा के लक्ष्य को दोहराते हुए उन्होंने कहा, ‘एक बार जब भाजपा को बंगाल से 30 सीट मिल जाएंगी, तो ममता बनर्जी (टीएमसी सरकार) का समय खत्म हो जाएगा.’
उन्होंने कहा, “दुनिया की कोई भी ताकत मेरे शरणार्थी भाइयों को भारत का नागरिक बनने से नहीं रोक सकती. ये मोदी जी का वादा है. ममता बनर्जी को यह याद रखना चाहिए कि नागरिकता केंद्र सरकार के विशेष अधिकार के अंतर्गत आता है, न कि राज्य सरकारों के अधीन.”
हावड़ा जिले की उलुबेरिया लोकसभा सीट पर दूसरी रैली को संबोधित करते हुए शाह ने नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी की आलोचना की. उन्होंने कहा, “राहुल बाबा सीएए का विरोध कर रहे हैं और कह रहे हैं कि वह इसे रद्द कर देंगे. लेकिन मैं राहुल बाबा को बता दूं कि न तो वह और न ही उनकी नानी सीएए को रद्द कर सकती हैं.”
शाह ने बनर्जी पर सीएए के बारे में “झूठ बोलने और अफवाह फैलाने” का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “ममता बनर्जी यह झूठ बोल रही हैं कि जो कोई भी सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करेगा, उसे समस्याओं का सामना करना पड़ेगा. मैं मतुआ समुदाय के लोगों को आश्वस्त करने आया हूं कि किसी को कोई परेशानी नहीं होगी. आपको नागरिकता मिलेगी और आप देश में सम्मान के साथ रह सकेंगे.”
नागरिकता के लिए आवेदन करते समय मतुआ समुदाय के एक वर्ग के बीच भ्रम की स्थिति के परोक्ष संदर्भ में, शाह ने कहा, “मैं यहां मतुआ समुदाय को आश्वस्त करने आया हूं कि सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने में कोई समस्या नहीं होगी.” सीएए नियमों के क्रियान्वयन पर मतुआ समुदाय की प्रारंभिक खुशी कम हो गई है, क्योंकि अखिल भारतीय मतुआ महासंघ ने अपने सदस्यों को बांग्लादेश में उनके पिछले आवासीय पते को साबित करने वाले आवश्यक दस्तावेजों की कमी के कारण नागरिकता आवेदन जमा करने से परहेज करने की सलाह दी है.
उन्होंने कहा, “पहले चार चरणों में 380 सीट पर मतदान पूरा होने के बाद, पीएम मोदी ने 270 सीट के साथ बहुमत हासिल कर लिया है. हम जल्द ही 400 से अधिक सीट के अपने लक्ष्य तक पहुंच जाएंगे.” शाह ने उत्तर 24 परगना जिले के बनगांव लोकसभा क्षेत्र में मतुआ समुदाय की बड़ी आबादी को संबोधित करते हुए बनर्जी पर सीएए का विरोध करने और ‘अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए घुसपैठियों के समर्थन में रैलियां निकालने’ के लिए निशाना साधा.
उन्होंने कहा, “वह शरणार्थियों के नागरिकता प्राप्त करने के खिलाफ़ क्यों हैं? वह बंगाल में घुसपैठ का समर्थन कर रही हैं, लेकिन हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का विरोध करती हैं.” केंद्र ने मार्च में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 लागू किया था. संसद के यह कानून बनाने के चार साल बाद इसके नियमों को मार्च में अधिसूचित किया गया था. इस कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए बिना दस्तावेज वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है.
उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखालि में हुई घटनाओं पर, जहां टीएमसी नेताओं के खिलाफ यौन शोषण के आरोप सामने आए हैं, शाह ने कहा कि यह शर्म की बात है कि “ममता बनर्जी ने एक महिला मुख्यमंत्री होने के बावजूद दोषियों को बचाने की कोशिश की.” भाजपा नेता शाह ने कहा, “ममता दीदी अपराधियों को गिरफ्तार करने के लिए तैयार नहीं थीं. उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी जांच नहीं हुई और अदालत ने जांच सीबीआई को सौंप दी.”
उन्होंने कहा, “जिसने भी संदेशखाली में अत्याचार किया है, वह सलाखों के पीछे होगा? किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा.” शाह की टिप्पणी संदेशखालि महिलाओं के कई कथित वीडियो सामने आने की पृष्ठभूमि में आयी है, जिसमें दावा किया गया है कि भाजपा के एक स्थानीय नेता ने उन महिलाओं से कोरे कागजों पर हस्ताक्षर कराए, जिन्हें बाद में यौन उत्पीड़न की शिकायतों के रूप में भर दिया गया.
पीटीआई उन वीडियो की प्रामाणिकता की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं कर सका, जिसने पिछले कुछ दिनों से राज्य के राजनीतिक माहौल को गरमा रखा है. हालांकि, शाह ने सीधे तौर पर उन वीडियो का जिक्र नहीं किया. उन्होंने कहा कि टीएमसी का नारा ‘मां माटी मानुष’ अब ‘मुल्ला, मदरसा और माफिया’ में बदल गया है. शाह ने कहा, ‘रोहिंग्या, बांग्लादेशी और घुसपैठिए अब टीएमसी के वोट बैंक हैं.’
उन्होंने कहा, “अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए निमंत्रण ममता दीदी और उनके भतीजे दोनों को भेजा गया था, लेकिन वे इसमें शामिल नहीं हुए, क्योंकि उन्हें डर था कि घुसपैठिए, जो उनकी पार्टी के वोट बैंक हैं, नाराज हो सकते हैं. इसके बजाय, उन्होंने मुल्लाओं के साथ रैलियां निकालीं.”
टीएमसी के इस अभियान का जिक्र करते हुए कि अगर भाजपा सत्ता में आई तो लोकप्रिय लक्ष्मी भंडार योजना बंद कर देगी, शाह ने कहा, ”ममता दीदी कहती हैं कि अगर भाजपा आएगी, तो वह कार्यक्रम बंद कर देगी, मैं आपको बता रहा हूं कि भाजपा कोई भी योजना बंद नहीं करने वाली है, हम लक्ष्मी भंडार योजना का लाभ कम से कम 100 रुपये या उससे अधिक बढ़ाएंगे.”
टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी की ओर परोक्ष तौर पर इशारा करते हुए शाह ने कहा, “भतीजा बंगाल में विभिन्न भ्रष्ट गतिविधियों में शामिल है.” उन्होंने कहा, ” ‘कट मनी’ (कमीशन) संस्कृति से लेकर घुसपैठ तक, बम विस्फोटों से लेकर भतीजा के गुंडों द्वारा लोगों को परेशान करने तक, ‘सिंडिकेट राज’ से लेकर पूर्ण अराजकता तक, टीएमसी शासन के तहत पश्चिम बंगाल की स्थिति खराब है. यह केवल नरेन्द्र मोदी हैं, जो पश्चिम बंगाल राज्य को इस स्थिति से बचा सकते हैं.”
Tags: Amit shah, Loksabha Election 2024, Loksabha Elections, Mamata banerjee
FIRST PUBLISHED :
May 14, 2024, 23:35 IST