Phone Tapping Row: तेलंगाना फोन टैपिंग मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. दरअसल, बीआरएस सरकार के दौरान बड़े पैमाने पर फ़ोन टैपिंग के मामले में गिरफ्तार डीसीपी पी राधाकिशन राव ने सत्ता में रहने के दौरान विशेष खुफिया ब्यूरो के कुछ अधिकारियों द्वारा फोन टैपिंग में अपनी संलिप्तता कबूल की है. गौरतलब है कि केसीआर के नेतृत्व वाली बीआरएस सरकार के कार्यकाल के दौरान फोन टैपिंग हुई थी.
गिरफ्तार पुलिस अधिकारी पी राधाकिशन राव ने अपने कबूलनामें में कहा कि कई विपक्ष के कई बड़े नेता, पत्रकार सहित जजों और वकीलों के फोन की टैपिंग की गई थी. इसके साथ ही इन पर वॉट्सएप और अन्य इंटरनेट कॉल्स से भी निगरानी की गई थी. पूर्व डीसीपी ने पुलिस को बताया कि के. चंद्रशेखर राव बीजेपी के संगठन महामंत्री बीएल संतोष को कथित विधायक खरीद फरोख्त से जुडे़ं मामले में गिरफ़्तार कर बीजेपी से अपनी बेटी कविता जो दिल्ली शराब घोटाले में शामिल है. उनसे समझौता करना चाहते थे.
गौरतलब है कि राज्य में कांग्रेस सरकार बनने के बाद फोन टैपिंग मामले में हैदराबाद के पंजागुत्टा थाने में मामला दर्ज किया गया था. इस मामले की जांच पड़ताल में अब तक तत्कालीन टास्क फ़ोर्स डीसीपी राधाकृष्ण राव और इंटेलिजेंस डीएसपी प्रणिथ राव जो तत्कालीन सरकार के काफी करीबी था. इसके अलावा थिरुपथन्ना, एडिशनल डीसीपी, सीएसडब्ल्यू, हैदराबाद सिटी पुलिस, पूर्व में एडिशनल एसपी, एसआईबी एवं एन भुजंगा राव, एडिशनल एसपी, भूपालपल्ली, पूर्व में एडिशनल एसपी, खुफिया विभाग की गिरफ़्तारी हुई है.
प्रभाकर राव के आदेश पर सबूत नष्ट करने का आरोप
पुलिस की पूछताछ के दौरान डी. प्रणीत राव और पी राधाकिशन राव ने अपराधों में अपनी संलिप्तता के बारे में कबूल किया है. जिसमें उन्होंने अपने पदों का दुरुपयोग करके निजी व्यक्तियों की प्रोफाइल बनाकर अवैध रूप से निगरानी करने की साजिश शामिल है. इस मामले में पहले से ही गिरफ्तार डी प्रणीत कुमार उर्फ प्रणीत राव, डीएसपी (निलंबित), जो पहले एसआईबी में कार्यरत थे और कुछ अन्य व्यक्तियों के साथ मिलीभगत में अपनी संलिप्तता को छिपाने के लिए सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करके सबूतों को गायब करना शामिल हैं.
CM रेवंत रेड्डी उनके परिवार जनों के फोन किए गए थे टैप
पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार पुलिस अधिकारियों पर आरोप है कि इन्होंने वर्तमान मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी उनके परिवारजनों और करीबियों के अलावा कई अन्य लोगों के फ़ोन टेप किए थे. वहीं, बीआरएस सरकार की हार पर उन्होंने हार्ड डिस्क, कंप्यूटर और अन्य चीजें जो की इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट में थी उसको भी नष्ट कर दिया था. हालांकि, फोन टैपिंग मामले में सबसे पहले प्रणिथ राव की गिरफ़्तारी हुई और आख़िरकार डीसीपी राधाकृष्ण जिन्होंने कांग्रेस सरकार आते ही इस्तीफ़ा दे दिया था. उनको पूछताछ के बाद गिरफ़्तार कर किया गया है.
फोन टैपिंग मामले में कांग्रेस और बीजेपी ने BRS पर निशाना साधा
पूर्व टास्क फ़ोर्स प्रमुख राधाकृष्ण राव राव की रिमांड रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व इंटेलिजेंस चीफ़ ने बीआरएस के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के ऊपर नज़र रखने और उनके ऊपर सर्विलांस के लिए खासतौर पर एक स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप तैयार किया था. इन्होंने 2018 और 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान अवैध तरीक़े से बीआरएस की जीत के लिए काम किया और विपक्ष को निशाना बनाया.
हालांकि, अब इस मामले में गिरफ़्तारी की तलवार तत्कालीन इंटेलिजेंस चीफ और आईपीएस टी प्रभाकर राव पर भी लटक रही है, जिन्हें इस मामले में मुख्य आरोपी बनाया गया है. इनके ख़िलाफ़ कोर्ट से अरेस्ट वारंट भी निकल चुका है. माना जा रहा है राव अमेरिका में है. इस बीच सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस और बीजेपी ने इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और उनके बेटे और पूर्व मंत्री केटीआर और भतीजे और पूर्व मंत्री हरीश राव को घेरा है.
KCR ने दी लीगल एक्शन की धमकी
इस बीच अपने ऊपर लग रहे आरोपों को नकारते हुए पूर्व सीएम के. चंद्रशेखर राव ने क़ानूनी कार्यवाही की चेतावनी दी है. फ़ोन टैपिंग का आरोप लगाने वाली तेलंगाना की मंत्री कोंडा सुरेखा और कांग्रेस नेताओं को बीआरएस वार्किंग प्रेसिडेंट एवं पूर्व मंत्री केटीआर ने लीगल नोटिस भेजा है. इस नोटिस में केटीआर ने बिना शर्त माफी की मांग की या फिर कानूनी कार्यवाही के लिए तैयार रहने को कहा है.
बीजेपी, कांग्रेस और बीआरएस के सदस्यों की फोन टैपिंग
एबीपी न्यूज़ को मिली कन्फ़ेशन रिपोर्ट के मुताबिक, हैदराबाद टास्क फोर्स के पूर्व पुलिस उपायुक्त राधा किशन राव ने हैदराबाद पुलिस के सामने कई राजनीतिक नेताओं को निशाना बनाकर बड़े पैमाने पर फोन टैपिंग अभियान में अपनी संलिप्तता की बात कबूल की है. राव ने अपने कबूलनामें में बताया कि इस अभियान का संचालन विशेष खुफिया शाखा (एसआईबी) के प्रमुख प्रभाकर राव ने किया था.
उन्होंने बताया कि प्रभाकर राव के निर्देशन में एसआईबी ने सत्तारूढ़ बीआरएस पार्टी के लिए खतरा माने जाने वाले व्यक्तियों के बारे में व्यवस्थित रूप से जानकारी इक्ठ्ठा की. इसके बाद यह खुफिया जानकारी एसआईबी के डीएसपी प्रणीत कुमार को दी गई, जिन्होंने इन व्यक्तियों पर लगातार नजर रखी, ताकि ऐसे प्रोफाइल तैयार किए जा सकें. जिनका इस्तेमाल बीआरएस पार्टी के लिए संभावित खतरों को नियंत्रित करने और बेअसर करने के लिए किया जा सके.
राजनीतिक हस्तियों तक नहीं सीमित थी फोन टैपिंग
राधा किशन राव ने खुलासा किया है कि निगरानी के तहत प्रमुख हस्तियों में एमएलसी शंबीपुर राजू जिनका कुतुबुल्लापुर विधायक के साथ विवाद था, टी. राजैया? वारंगल के बीआरएस नेता कदियम श्रीहरि, बीआरएस विधायक और तंदूर विधायक से नाखुश थे. उन्होंने पार्टी के पी महेंद्र रेड्डी और उनकी पत्नी. शामिल थी. इसके अलावा रिटायर्ड आईपीएस आरएस प्रवीण कुमार, इसके अलावा कुछ मीडिया हस्तियां जैसे एनटीवी के नरेंद्र चौधरी और एबीएन के राधाकृष्ण सहित विपक्षी पार्टी के उम्मीदवारों तक का फ़ोन टैप किए गए.
इंटरनेट प्रोटोकॉल डेटा रिकॉर्ड्स का उपयोग
पूर्व डीसीपी राव ने खुलासा किया कि रियल एस्टेट क्षेत्रों के कई कारोबारियों की भी उनकी गतिविधियों और संगठनों पर नजर रखने के लिए निगरानी की गई थी. इस जासूसी के कारण कई राजनीतिक नेताओं, न्यायपालिका के सदस्यों और नौकरशाहों ने सीधे फोन कॉल से बचने के लिए, इसके बजाय व्हाट्सएप, सिग्नल और स्नैपचैट जैसे एन्क्रिप्टेड संचार प्लेटफार्मों का विकल्प चुना था. इसके जवाब में प्रभाकर राव और उनकी टीम ने इंटरनेट कॉल को ट्रैक करने के लिए इंटरनेट प्रोटोकॉल डेटा रिकॉर्ड कर उनका ब्यौरा जुटाना शुरू कर दिया.
तत्कालीन खुफिया विभाग प्रमुख प्रभाकर राव के निर्देश पर ने बीजेपी में शामिल होने की कोशिश करने वाले बीआरएस विधायकों के फोन टैप किए गए गए. जिसमें रोहित रेड्डी के साथ कुछ लोग बीजेपी में शामिल होने की कोशिश में जुटे हुए थे. इसके अलावा पायलट रोहित रेड्डी की जानकारी के बाद के. चंद्रशेखर राव के निर्देश पर मोइनाबाद फार्म हाउस पर चर्चा के लिए आए बिचौलिए का स्टिंग कर उन्हें गिरफ्तार किया गया.
बीएल संतोष को गिरफ्तार करने का था प्लान
पूर्व सीएम केसीआर ने विधायक खरीद मामले में बीएल संतोष को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था. ये योजना बीएल संतोष को रोकने और कविता को शराब घोटाले से बचाने की थी. हालांकि, बीजेपी नेता बीएल संतोष की गिरफ्तारी की कोशिशें नाकाम होने से केसीआर नाराज हो गए थे. इसके अलावा सीएम रेवंत रेड्डी और उनके परिवार के सदस्यों पर निगरानी की गई. इसके साथ ही कई बीजेपी नेता और सांसद अरविंद के समर्थकों के फोन टैप किए गए.
विधानसभा चुनाव के दौरान पुलिस अधिकारियों ने की BRS टीम की मदद
इस पूरे रैकेट का एक विशेष रूप से परेशान करने वाला तत्व आईन्यूज के पत्रकार श्रवण कुमार से जुड़ा है. राव के कबूलनामे से संकेत मिलता है कि अक्टूबर और नवंबर 2023 में चुनाव को दौरान श्रवण कुमार ने तत्कालीन मंत्री टी. हरीश राव के कहने पर प्रभाकर राव के साथ सीधा संपर्क बनाए रखा. श्रवण कुमार ने विपक्षी पार्टी के नेताओं और उनके वित्तीय समर्थकों से एसआईबी तक सूचना के प्रवाह को आसान बनाया.
उन्होंने प्रतिद्वंद्वी नेताओं से धन की जब्ती के लिए इनपुट दिए और बीआरएस पार्टी के आलोचकों के खिलाफ ऑनलाइन ट्रोलिंग अभियानों में प्रणीत कुमार की टीम की मदद की. इस राजनीतिक जासूसी के लिए राज्य के संसाधनों के उपयोग ने गंभीर नैतिक और कानूनी सवाल खड़े किए हैं.
कांग्रेस और बीजेपी समर्थकों के भी किए गए फोन टैप
एबीपी न्यूज को हासिल एक अन्य अधिकारी एन भुजंगा राव ने बताया कि भुजंगा राव ने बीआरएस पार्टी के खिलाफ काम करने वालों के फोन टैप किए. भुजंगा राव ने उन लोगों के फोन टैप किए जो बीजेपी और कांग्रेस पार्टियों को वित्तीय सहायता प्रदान करते थे. इसके साथ ही विपक्षी नेताओं, छात्र नेताओं और पत्रकारों के फोन टैप किए गए. इतना ही नहीं विपक्षी नेताओं के परिवार के सदस्यों के फोन और गाड़ियों को भी ट्रैक किया गया. इसके अलावा कांग्रेस और बीजेपी समर्थकों के भी फोन टैप किए गए.
BRS नेताओं के इशारे पर भुजंगा राव ने किए कई निपटारे
वहीं, अक्टूबर में चुनाव आयोग ने राधाकिशन राव और कई अन्य लोगों का ट्रांसफर कर दिया. अपने कबूलनामें में भुजंगा राव ने बताया कि हमारा प्लान बीआरएस को तीसरी बार सत्ता में लाने का था. जबकि, बीआरएस नेताओं के निर्देश पर भुजंगा राव ने निजी विवादों का निपटारा किया. जिसमें कंपनियों, वीआईपी और कारोबारियों के कई विवादों का निपटारा बीआरएस नेताओं के निर्देश से किया जाता था.
13 करोड़ के इलेक्ट्रॉनिक बांड खरीदनें को किया मजबूर
इसके अलावा विधानसभा चुनाव से पहले बीआरएस नेताओं के आदेश के अनुसार दो निजी अस्पतालों से बड़ी मात्रा में धन ले जाया गया और टास्क फोर्स के वाहनों में पैसा ले जाया गया. इसके साथ ही भुजंगा राव ने बताया कि संध्या श्रीधर राव को 13 करोड़ रुपये के इलेक्ट्रॉनिक बांड खरीदने के लिए मजबूर किया गया. अगर उन्होंने बात नहीं मानी तो हमने उन्हें आपराधिक मामलों में प्रताड़ित किया.
कामारेड्डी चुनावों के लिए विशेष व्यवस्था की. इसमें बीजेपी उम्मीदवार वेंकटरामी रेड्डी, रेवंत रेड्डी के भाई कोंडल रेड्डी पर विशेष निगरानी रखी गई. इसके साथ ही जो लोग के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली बीआरएस सरकार की आलोचना करते हैं या जिन्हें पार्टी के लिए खतरा माना जाता है, उनकी गहन इलेक्ट्रॉनिक निगरानी की जाती है.
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