
टैरो रिव्यू – फोटो : अमर उजाला
कलाकार
हैरिये स्लेटर , अडायन ब्रैडल , अवंतिका , वूल्फगैंग नोवोग्रात्ज , हंबरली गोंजालेज , लार्सन थॉम्प्सन और जैकेब बाटालोन
लेखक
स्पेन्सर कोहेन और एना हालबर्ग
निर्देशक
स्पेन्सर कोहेन और एना हालबर्ग
निर्माता
लेसली मॉर्गनस्टीन , एलिसा कॉपलोविट्ज डटन और स्कॉट ग्लासगोल्ड
सिनेमा में 90 मिनट की फिल्मों का सिलसिला तेजी पकड़ रहा है। एक अच्छी कहानी, एक चुस्त पटकथा, बेहतरीन कलाकार और साथ में दर्शकों की रूह को छूता संगीत, किसी भी 90 मिनट की फिल्म के लिए ये चल निकला फॉर्मूला है। करीब 90 मिनट की हॉरर फिल्म ‘टैरो’ में ऐसा ही कुछ करने की कोशिश की गई है। नई सदी के युवाओं के बीच अंधविश्वास को मानने, न मानने की बहस के बीच से निकलने की कोशिश करती सोनी पिक्चर्स की नई रिलीज ‘टैरो’ का लक्षित दर्शक वर्ग न्यू मिलेनियल्स ही हैं। ये फिल्म ‘फाइनल डेस्टिनेशन’ सीरीज की फिल्मों की तरह ही मौत को झांसा देने की कोशिशों के साथ आगे बढ़ती है। लेकिन, स्पेन्सर कोहेन और एना हालबर्ग की ये कोशिशें कितनी कामयाब रहीं, आइए समझने की कोशिश करते हैं।