हिंदी न्यूज़न्यूज़इंडियाSC On Bulldozer Action: बुलडोजर एक्शन पर फिर सुप्रीम कोर्ट खफा, बोला- ‘कोर्ट आंख नहीं मूंद सकता’
SC On Bulldozer Action: बुलडोजर एक्शन पर फिर सुप्रीम कोर्ट खफा, बोला- ‘कोर्ट आंख नहीं मूंद सकता’
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी अपराध में कथित संलिप्तता संपत्ति ध्वस्त करने का आधार नहीं है. घर के किसी एक सदस्य के अपराध के लिए पूरे परिवार को को दंडित करना और वैध मकान को गिराना गलत है.
By : निपुण सहगल | Edited By: Shubham Kumar | Updated at : 13 Sep 2024 08:14 AM (IST)
इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट बुलडोजर कार्रवाई पर जता चुका है आपत्ति
Supreme Court on Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने क्रिमिनल केस होने पर बुलडोजर कार्रवाई की एक बार फिर आलोचना की है. गुरुवार (12 सितंबर 2024) को गुजरात के एक मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आदेश में कहा है कि परिवार के किसी सदस्य पर अपराध का आरोप लगना मकान पर बुलडोजर चलाने का आधार नहीं बन सकता. देश में कानून का शासन है. दो तरह के मामलों को मिलाकर कार्रवाई सही नहीं कहलाएगी. अगर कोई मकान वैध है तो उसे गिराया नहीं जा सकता.
गुजरात के खेड़ा के एक व्यक्ति ने दावा किया था कि उसके वैध तरीके से बने मकान को नगर पालिका गिराना चाहती है. परिवार के एक सदस्य पर दर्ज एफआईआर के बाद ऐसा किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में नोटिस जारी करते हुए नगर पालिका की कार्रवाई पर गुरुवार (12 सितंबर 2024) को रोक लगा दी. अदालत ने सुनवाई के दौरान इसे लेकर तल्ख टिप्पणी भी की. न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, सुधांशु धूलिया और एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि देश में कानून सर्वोच्च है. कोर्ट इस तरह की कार्रवाई पर आंख नहीं मूंद सकता. ऐसी कार्रवाई को देश के कानून पर बुलडोजर चलाने जैसे के रूप में देखा जा सकता है.
क्या है पूरा मामला
गुजरात के खेड़ा जिले में रहने वाले याचिकाकर्ता जावेदाली महबूबमिया सैय्यद ने दावा किया है कि उनके एक पुश्तैनी घर को काठलाल नगर पालिका गिराने का प्रयास कर रही है, जबकि वह वैध है. उनका कहना है कि 2 सितंबर 2024 को उनके भाई के खिलाफ यौन उत्पीड़न और हमले के आरोपों में एक एफआईआर दर्ज हुई. इसके चार दिन बाद यानी 6 सितंबर 2024 को काठलाल नगर पालिका ने उन्हें एक नोटिस भेजा, जिसमें उनके घर को गिराने की बात कही गई थी.
‘पूरे परिवार को सजा देना सही नहीं’
अपनी याचिका में सैय्यद ने तर्क दिया कि मकान गिराने का उद्देश्य परिवार के एक सदस्य पर लगाए गए आपराधिक आरोपों के लिए पूरे परिवार को दंडित करना है. गुरुवार की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “किसी अपराध में कथित संलिप्तता संपत्ति को ध्वस्त करने का आधार नहीं है. ऐसे देश में जहां राज्य के कार्य कानून के शासन की ओर से शासित होते हैं, घर के किसी एक सदस्य की ओर से किए गए अपराध के लिए पूरे परिवार को को दंडित करना और वैध मकान को गिराना सही नहीं है.” सभी दलीलों को सुनने के बाद पीठ ने बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से एक महीने के अंदर स्पष्टीकरण मांगा है. सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि इस बीच याचिकाकर्ता की संपत्ति के संबंध में सभी संबंधित पक्षों की ओर से यथास्थिति बनाई रखी जानी चाहिए.
एक और केस में अदालत ने की थी आलोचना
2 सितंबर को हुई एक सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह पूरे भारत में इस तरह की कार्रवाई को विनियमित करने के लिए दिशानिर्देश जारी करेगा. जस्टिस भूषण आर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने सवाल किया था कि किसी व्यक्ति पर अपराध का आरोप होने पर ही घर को कैसे ध्वस्त किया जा सकता है. पीठ ने कहा था कि उचित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किए बिना दोषसिद्धि भी ऐसी कार्रवाई को उचित नहीं ठहराती है. पीठ ने टिप्पणी की थी कि एक पिता का बेटा अड़ियल हो सकता है, लेकिन अगर इस आधार पर घर को ध्वस्त किया जाता है… तो यह तरीका नहीं है.
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Published at : 13 Sep 2024 08:08 AM (IST)
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