सुप्रीम कोर्ट ने भरी अदालत में क्यों लिया राहुल गांधी और लालू प्रसाद का नाम, कहा- चुनाव लड़ने से…
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को लोकसभा चुनाव से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए खारिज कर दी है. इस याचिका में मांग की गई थी कि किसी बड़े प्रत्याशी से मिलते-जुलते नाम वाले प्रत्याशी को उसी सीट से चुनाव लड़ने से रोक लगाने की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता की मांग पर सुनवाई से इनकार कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर किसी के माता-पिता ने उसका नाम राहुल गांधी या लालू प्रसाद यादव रखा हो, तो सिर्फ इस आधार पर उसे चुनाव लड़ने से रोका नहीं जा सकता. याचिका में कहा गया था कि मिलते जुलते नाम/डुप्लीकेट उम्मीदवारों पर रोक लगाने के निर्देश दिए जाए, जो जानबूझकर अन्य उम्मीदवारों की संभावनाओं को बर्बाद करने के लिए स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ते हैं.
याचिकाकर्ता ने भारत के चुनाव आयोग को मिलते-जुलते नाम वाले उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि की जांच करने और अगर उन्हें जानबूझकर विरोधियों द्वारा मैदान में उतारा गया है, तो उन्हें चुनाव लड़ने से रोकने के निर्देश देने की मांग की गई.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा ?
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, सतीश चंद्र शर्मा और संदीप मेहता की तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने जैसे ही याचिका पर सुनवाई शुरू की तो न्यायमूर्ति गवई ने टिप्पणी की कि आप जानते हैं कि मामले का क्या हश्र होगा? उन्होंने आगे कहा कि अगर किसी के माता-पिता ने भी ऐसा ही नाम रखा है, तो क्या यह चुनाव लड़ने के आड़े आ सकता है? अगर कोई राहुल गांधी के रूप में पैदा हुआ है या अगर कोई लालू प्रसाद यादव के रूप में पैदा हुआ है, तो उन्हें चुनाव लड़ने से कैसे रोका जाएगा? क्या इससे उनके अधिकारों पर असर नहीं पड़ेगा?
वकील की क्या थी दलील?
हालांकि, वकील ने बेंच को यह तर्क देकर समझाने की कोशिश की कि उन्होंने चुनाव आयोग की दो रिपोर्ट देखने के बाद इस मुद्दे का परीक्षण किया है. अपनी दलील को मजबूत करने के लिए उन्होंने चुनाव नियम 1961 के नियम 22(3) का भी सहारा लिया. नियम के अनुसार यदि दो या अधिक उम्मीदवार एक ही नाम रखते हैं, तो उन्हें उनके व्यवसाय या निवास या किसी अन्य तरीके से जोड़कर पहचाना जाएगा. नियम 30(3) के अनुसार, यदि दो या अधिक उम्मीदवार एक ही नाम रखते हैं, तो उन्हें उनके व्यवसाय या निवास या किसी अन्य तरीके से जोड़कर पहचाना जाएगा.
हालांकि, चूंकि पीठ याचिका पर विचार करने के लिए आश्वस्त नहीं थी, इसलिए वकील ने अपनी याचिका वापस लेने का अनुरोध किया. न्यायालय ने इसे स्वीकार कर लिया और इस प्रकार, इसे वापस लिया हुआ मानकर खारिज कर दिया गया. अधिवक्ता वी के बिजू के माध्यम से साबू स्टीफन द्वारा दायर याचिका में मिलते-जुलते उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि और उनके नामांकन दाखिल करने के बाद उनके अभियान का आकलन करने के लिए एक तंत्र बनाने का प्रस्ताव दिया गया था.
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FIRST PUBLISHED :
May 3, 2024, 13:14 IST