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Home SC: कोविड का दौर अलग था, अब राशन की मुफ्तखोरी बढ़ती जा रही…, जानिए क्यों सुप्रीम कोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी

SC: कोविड का दौर अलग था, अब राशन की मुफ्तखोरी बढ़ती जा रही…, जानिए क्यों सुप्रीम कोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: बशु जैन Updated Tue, 26 Nov 2024 09:35 PM IST

मंगलवार को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने सभी प्रवासी श्रमिकों के लिए मुफ्त राशन की मांग करने वाले एक एनजीओ की ओर दायर याचिका पर सुनवाई की। एनजीओ के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत सभी श्रमिकों को मुफ्त राशन और राशन कार्ड देने के निर्देश दिए थे, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।

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Covid era was different, now freebies in ration are increasing..., know why Supreme Court made harsh comment

सुप्रीम कोर्ट – फोटो : सोशल मीडिया

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राशन की मुफ्तखोरी को लेकर तल्ख टिप्पणी की। सु्प्रीम कोर्ट ने कहा कि राशन की मुफ्तखोरी बढ़ती जा रही है। कोविड का दौर अलग था, तब प्रवासी श्रमिकों को राहत देने के लिए मुफ्त राशन दिया गया था। 

मंगलवार को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने सभी प्रवासी श्रमिकों के लिए मुफ्त राशन की मांग करने वाले एक एनजीओ की ओर दायर याचिका पर सुनवाई की। एनजीओ के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत सभी श्रमिकों को मुफ्त राशन और राशन कार्ड देने के निर्देश दिए थे, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। 

इस पर न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि राशन कार्ड एक महत्वपूर्ण आधिकारिक दस्तावेज है जो किसी व्यक्ति की पहचान और अधिकार से जुड़ा होता है। मुश्किल तब आती है जब हम मुफ्तखोरी में लिप्त हो जाते हैं। अब यह बढ़ रही है। कोविड का समय कुछ अलग था, लेकिन अब हमें इस पर विचार करना होगा।

केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिकाकर्ता के वकील भूषण की दलील पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि सरकार 2013 के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम से बंधी हुई है और जो भी वैधानिक रूप से अधिकार प्रदान किया गया है, वह दिया जाएगा। कोविड के दौरान कुछ ऐसे एनजीओ थे जिन्होंने महामारी के दौरान जमीनी स्तर पर काम नहीं किया और वह हलफनामे पर बता सकते हैं कि याचिकाकर्ता उन एनजीओ उनमें से एक है।

पीठ ने कहा कि यह मुकदमा विरोधात्मक नहीं है और अदालत दोनों पक्षों को समायोजित करने के लिए एक सामान्य आधार खोजने की कोशिश करेगी। मामले की अगली सुनवाई नौ दिसंबर को होगी।

मामले में दो सितंबर को शीर्ष अदालत ने केंद्र से एक हलफनामा दाखिल करने को कहा था जिसमें प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड और अन्य कल्याणकारी उपाय प्रदान करने के लिए उसके 2021 और उसके बाद के निर्देशों के अनुपालन के बारे में विवरण दिया गया हो। इस पर केंद्र ने कहा था कि वह उन सभी लोगों को राशन मुहैया करा रहा है जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत पात्र हैं।

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