Saturday, November 30, 2024
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Salt Typhoon: क्या है चीन का साल्ट टाइफून ग्रुप, जिसने ट्रंप, कमला हैरिस के संचार उपकरणों में लगाई सेंध

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डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस – फोटो : अमर उजाला

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चीन के हैकर्स पर आरोप है कि उन्होंने अमेरिका में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के संचार उपकरणों में सेंध लगाई है। इतना ही नहीं हैकर्स के इस ग्रुप ने अमेरिका के टेलीकॉम सेक्टर की कई कंपनियों को भी निशाना बनाया है। अब अमेरिका की जांच एजेंसियां नुकसान का आकलन करने में जुटी हैं। चीन के इन हैकर्स के ग्रुप को साल्ट टाइफून कहा जा रहा है। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इन हैकर्स ने टेलीकॉम सेक्टर के संवेदनशील डाटा और टेलीकम्युनिकेशन नेटवर्क में सेंध लगाई है। 

ट्रंप, कमला हैरिस के साथ ही टेलीकॉम कंपनियों के डाटा में लगाई सेंध
रिपोर्ट्स के अनुसार, साल्ट टाइफून ने न सिर्फ ट्रंप और कमला हैरिस को निशाना बनाया, बल्कि इस ग्रुप ने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार टिम वाल्ज और जेडी वेंस के डाटा को भी हैक करने की कोशिश की। वहीं टेलीकॉम सेक्टर की कंपनियों की हैकिंग को चीन की खुफिया सूचनाएं जुटाने की कोशिश से जोड़कर देखा जा रहा है। अमेरिकी टेलीकॉम कंपनी वेरिजोन की हैकिंग संवेदनशील खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के उद्देश्य से की गई थी। हालांकि अभी तक ये साफ नहीं हो पाया है कि हैकर्स अपने मकसद में कामयाब हो पाए या नहीं। अमेरिकी एजेंसियां जांच में जुटी हैं। 

क्या है साल्ट टाइफून
चीन के हैकर्स के ग्रुप को साल्ट टाइफून नाम माइक्रोसॉफ्ट की साइबर सिक्योरिटी टीम ने दिया है। यह चीन की सरकार द्वारा वित्तपोषित हैकर्स का ग्रुप है। इस ग्रुप का फोकस पारंपरिक हैकिंग या कॉरपोरेट डाटा चुराना नहीं है बल्कि ये ग्रुप खुफिया जानकारी चुराता है। यही वजह है कि माइक्रोसॉफ्ट की साइबर सिक्योरिटी टीम ने इसे साल्ट नाम दिया है। माइक्रोसॉफ्ट ने इसी तरह ईरान के हैकर्स को सैंडस्टोर्म, रूस के हैकर्स को ब्लिजार्ड और चीन के हैकर्स को टाइफून नाम दिया है। 

सॉल्ट टाइफून का फोकस अमेरिकी संपत्तियों और संस्थानों से खुफिया जानकारी इकट्ठा करना है। इसी कड़ी में साल्ट टाइफून ने शीर्ष राजनीतिक हस्तियों और उनके कर्मचारियों के साथ-साथ सरकार के करीबी लोगों के संचार उपकरणों में सेंध लगाई गई है। एफबीआई और साइबर सिक्योरिटी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सिक्योरिटी एजेंसी (सीआईएसए) ने खतरे की गंभीरता को देखते हुए एक संयुक्त बयान जारी किया, जिसमें पुष्टि की गई कि अमेरिकी सरकारी एजेंसियां चीन से जुड़े हैकर्स के निशाने पर हैं।

अपने बयान में, एफबीआई और सीआईएसए ने कहा कि साइबर सिक्योरिटी को मजबूत करने के लिए निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है। जांच एजेंसियों को चिंता है कि साल्ट टाइफून महत्वपूर्ण मेटाडेटा प्राप्त किया हो सकता है, जिससे खुफिया तरीके से काफी कुछ जानकारी हासिल की जा सकती है। उदाहरण के लिए, मेटा डेटा से कॉल पैटर्न, समय और आवृत्तियों से संचार चैनलों में सुरक्षा कमजोरियों के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है। चीनी खुफिया एजेंसियां इस डाटा से अमेरिका के चुनाव और अमेरिका में फैसले लेने की प्रक्रिया की जानकारी जुटा सकते हैं।  
 

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