न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हैदराबाद Published by: बशु जैन Updated Sun, 24 Nov 2024 08:11 PM IST
मोहन भागवत ने कहा कि एक समय में देश में सभी संसाधनों पर समाज का स्वामित्व था, लेकिन फिर विदेश शासक आए और हमारे संसाधनों पर कब्जा कर लिया। इसके चलते हम ऐसी स्थिति में पहुंच गए। हम इसलिए ऐसे हुए क्योंकि हम अधर्मपति हो गए थे। हम अपना स्वाभिमान गवां बैठे।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत – फोटो : सोशल मीडिया
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने भारतीय संस्कृति के उत्थान पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत के भूले हुए गौरव को फिर से पेश किया जाना चाहिए। हैदराबाद में लोकमंथन 2024 में मोहन भागवत ने देश के विज्ञान के महत्व पर बात की। इस दौरान उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के उपयोग में नैतिकता पर जोर देने वाले वैज्ञानिकों का भी उदाहरण दिया।
मोहन भागवत ने कहा कि भारत की मूल्य प्रणाली व्यक्ति की बुद्धिमता पर जोर देती है। मुद्दों के प्रति भारत के दृष्टिकोण में तर्क और बुद्धि है। ऐसे में देश को समस्याओं के लिए अन्य दृष्टिकोणों का पालन करने की जरूरत नहीं है। भारत विदेशों से अच्छी चीजें ले सकता है लेकिन इसकी अपनी आत्मा और संरचना होनी चाहिए।
भागवत ने कहा कि हमें सनातन धर्म और संस्कृति को समकालीन रूप देने के बारे में सोचना होगा। इसके लिए हमें भारत के भूले हुए गौरव को फिर से पेश करना होगा।
भागवत ने कहा कि विविधता में भी एकता का समावेश है। एकता है तो सब अपना है। सब सुखी होंगे तो हम भी खुश होंगे। उन्होंने कहा कि एक समय में देश में सभी संसाधनों पर समाज का स्वामित्व था, लेकिन फिर विदेश शासक आए और हमारे संसाधनों पर कब्जा कर लिया। इसके चलते हम ऐसी स्थिति में पहुंच गए। हम इसलिए ऐसे हुए क्योंकि हम अधर्मपति हो गए थे। हम अपना स्वाभिमान गवां बैठे। अपने जीवन का लक्ष्य भूल गए। मगर अब हमको अपने धर्म को अपनाने की जरूरत है। इसके लिए हमको संस्कृति को सहेजना होगा।
कार्यक्रम में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी किशन रेड्डी मौजूद रहे।
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