Ratlam Chunav Result 2024 Live : रतलाम सीट पर बीजेपी का परचम, कांग्रेस के दिग्गज कांतिलाल भूरिया की हार तय
रतलाम. अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रतलाम लोकसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी अनीता सिंह ने 2 लाख 2 हजार वोट से आगे हो गई हैं. कांग्रेस के कद्दावर नेता कांतिलाल भूरिया की हार तय मानी जा रही है. वह आठवीं बार इस संसदीय सीट से अपना भाग्य आजमा रहे है. इस सीट पर 13 मई को मतदान हुआ था. इस सीट ग्यारह बार भूरिया गौत्र के उम्मीदवारों का कब्जा रहा है. रतलाम लोकसभा सीट को पहले झाबुआ सीट के नाम से भी जाना जाता था.
2008 में हुए परिसीमन के बाद नाम बदलकर रतलाम कर दिया गया. रतलाम लोकसभा में अलीराजपुर और झाबुआ जिला को शामिल किया गया और यह नई सीट अस्तित्व में आई. अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट को कांग्रेस अपनी परंपरागत सीट मानती है. इस सीट की सबसे महत्वपूर्ण बात अभी तक के चुनावों में से ग्यारह बार भूरिया गौत्र के उम्मीदवारों का जीतना है. इसलिए इसे भूरिया की सीट भी कहा जाता है.
इस सीट ग्यारह बार भूरिया गौत्र के उम्मीदवारों का कब्जा रहा है. रतलाम लोकसभा सीट को पहले झाबुआ सीट के नाम से भी जाना जाता था. 2008 में हुए परिसीमन के बाद नाम बदलकर रतलाम कर दिया गया. रतलाम लोकसभा में अलीराजपुर और झाबुआ जिला को शामिल किया गया और यह नई सीट अस्तित्व में आई. अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट को कांग्रेस अपनी परंपरागत सीट मानती है. इस सीट की सबसे महत्वपूर्ण बात अभी तक के चुनावों में से ग्यारह बार भूरिया गौत्र के उम्मीदवारों का जीतना है. इसलिए इसे भूरिया की सीट भी कहा जाता है.
रतलाम जिले का पुराना लक्ष्मी माता मंदिर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है. हर बार दीवाली को इस मंदिर में लोग कैश, सोना-चांदी चढ़ाते हैं और दो दिनों तक मंदिर की सजावट इसी कैश और सोने-चांदी से होती है. इधर, झाबुआ में भी कई दर्शनीय स्थल हैं जिनमें हाथीपावा प्रमुख है. हरियाली के बीच, प्रकृति के कई रंग समेटे इस जगह को झाबुआ का कश्मीर भी कहा जाता है.
2019 में कांतिलाल भूरिया हार गए थे चुनाव
हालांकि 2019 के चुनाव में भूरिया बीजेपी प्रत्याशी रिटायर्ड अफसर जीएस डामोर से चुनाव हार गए थे. 2024 में एक बार फिर से कांग्रेस ने कांतिलाल भूरिया पर भरोसा जताते हुए उन पर दांव लगाया है. इधर, बीजेपी ने डामोर का टिकट काटकर प्रदेश सरकार में मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी अनीता सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. लोकसभा निर्वाचन के लिहाज से अनीता चौहान का यह पहला चुनाव है. हालांकि वह दो बार से अलीराजपुर जिला पंचायत की अध्यक्ष हैं.
बीजेपी में परिवार में दो लोगों को टिकट देने की परंपरा लगभग समाप्त कर दी गई लेकिन रतलाम पर कब्जा बरकरार रखने के लिए पार्टी ने सियासी चाल चली है. हर हाल में बीजेपी इस इस सीट पर कब्जा बरकरार रखना चाहती है. 2008 के बाद हुए चार चुनावों में से दो बार कांग्रेस तो दो बार बीजेपी को विजय श्री मिली है.
रतलाम सीट पर भूरिया सरनेम वाले उम्मीदवार 11 बार जीते
रतलाम -झाबुआ सीट पर अब तक हुए आम चुनाव में सर्वाधिक 11 बार भूरिया सरनेम वाले उम्मीदवार चुनाव जीते हैं. इनमें से दिलीपसिंह भूरिया 5 बार कांग्रेस से और एक बार भाजपा से सांसद बने हैं. कांतिलाल भूरिया 4 बार मुख्य चुनाव और 1 बार उपचुनाव जीतकर अब तक पांच बार इस सीट से सांसद बन चुके हैं. इस सीट के चौथे सांसद सुरसिंह भी भूरिया सरनेम के ही थे. पहले आम चुनाव से अब तक 72 साल में केवल पांच ही अन्य गौत्र के व्यक्ति सांसद बने हैं. 1980 के बाद भूरिया गौत्र का विजयी अभियान विगत चुनाव में गुमानसिंह डामोर ने 2019 में तोड़ा था.
1952 के पहले आमचुनाव से ही रतलाम जिले की पांच विधानसभा सीटें तीन अलग-अलग लोकसभा क्षेत्रों से जुड़ी रही हैं. पहले आमचुनाव में जिले की सिर्फ सैलाना सीट ही झाबुआ संसदीय क्षेत्र में शामिल थी. 1967 मे रतलाम और बाद में रतलाम ग्रामीण सीट को इस संसदीय क्षेत्र मे शामिल किया गया. परिसीमन मे नाम जरूर बदला लेकिन बाकी सब पूर्वानुसार है. यहां तक की संसदीय क्षेत्र रतलाम है, लेकिन रिर्टनिंग अफसर झाबुआ कलेक्टर ही हैं, इसलिए चुनावी गतिविधियों का केन्द्र भी झाबुआ रहता है.
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FIRST PUBLISHED :
June 4, 2024, 24:02 IST