प्रशांत किशोर की ‘गाड़ी’ से कूदकर क्यों भागने लगे लोग, क्या है नेताओं के जनसुराज छोड़ने का राज?
पटना. बिहार में प्रशांत किशोर (PK) की ‘गाड़ी’ रफ्तार पकड़ने से पहले ही ‘सड़क’ पर से उतरने लगी है. ‘पीके’ की पार्टी जनसुराज में ब्रेक लगना शुरू हो गया है. जिन नेताओं को जेडीयू, बीजेपी, आरजेडी और दूसरी पार्टियों में टिकट मिलने की आस खत्म हो गई थी, वे सभी नेता बड़े अरमान के साथ प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज में शामिल हुए थे कि उनको टिकट मिल जाएगा. सबों को लग रहा था कि प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति में चमत्कार करने आए हैं. लेकिन, बिहार विधानसभा की 4 सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आने के बाद उन लोगों ने अब जनसुराज को टाटा बाय-बाय करना शुरू कर दिया है. मंगलवार को प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज को एक नहीं दो झटके एक साथ लगे. सबसे पहले बेगूसराय के पूर्व सांसद मोनाजिर हसन ने पाला बदला. फिर कुछ ही देर के बाद झंझारपुर के पूर्व सांसद देवेंद्र यादव ने भी पीके का साथ छोड़ दिया.
बीते एक साल में बिहार की राजनीति में चमत्कार की उम्मीद पाले जो लोग प्रशांत किशोर की पार्टी में शामिल हुए थे, उनमें से कुछ ने अब पार्टी छोड़ना शुरू कर दिया है. टिकट मिलने की आस में बीते एक साल से दूसरी पार्टियों के जिन-जिन नेताओं ने जनसुराज का दामन थामा था, उनको अब बिहार में प्रशांत किशोर से कोई चमत्कार की उम्मीदें नहीं बची है. ये बातें जनसुराज में शामिल होने वाले मोनोजिर हसन ने मंगलवार को मीडिया के सामने बताया. मोनाजिर हसन ने प्रशांत किशोर पर कई तरह के आरोप लगाए.
क्यों जनसुराज छोड़ने लगे नेता?
मोनाजिर हसन ने कहा, ‘जो कोर कमिटी का गठन किया गया था, उसमें हमलोगों से कोई सहमति नहीं लिया गया था. 151 आदमी की कोर कमिटी दुनिया में किसी भी पार्टी में नहीं होती है. कोर कमिटी को इन लोगों ने मजाक बना दिया. पार्टी के अंदर इंटरनल डेमोक्रेसी रहेगा तो पार्टी में रहेंगे वरना… हमलोगों को लगा कि प्रशांत किशोर बिहार को नई दशा और दिशा देने का काम करेंगे, लेकिन जो शख्स आजतक वार्ड कमीश्नर का चुनाव नहीं जीत सका उसको नीतीश कुमार और लालू यादव से भी ज्यादा घमंड है. इस तरह से पार्टी नहीं चल पाएगी.’
क्या प्रशांत किशोर से चमत्कार की उम्मीद हो गई खत्म?
पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव ने भी मोनाजिर का मुद्दा उठाकर ही पार्टी छोड़ दिया. यादव ने भी कहा कि उनको बताए बिना पार्टी ने कोर कमेटी में शामिल कर लिया था. ये उनके कद के हिसाब से पद नहीं है. हालांकि, मोनाजिर तो बोल रहे हैं कि वह पार्टी में हैं. लेकिन, देवेंद्र यादव ने पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष मनोज भारती को अपना इस्तीफा भेज दिया है. इसके साथ ही प्रशांत किशोर को इस्तीफे की जानकारी भी दे दी है.
क्या उपचुनाव में हार ने पीके को बैकफुट पर ला दिया?
आपको बता दें कि हाल ही में महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव के साथ-साथ बिहार की चार विधानसभा तरारी, रामगढ़, बेलागंज और इमामगंज सीटों पर भी उपचुनाव हुए थे. चारों सीटों पर पीके की पार्टी ने पूरी तैयारी के साथ चुनाव लड़ी, लेकिन चारों सीट पर जनसुराज पार्टी की करारी हार हुई थी. दो सीटों पर पार्टी ने अपनी ईज्जत बचा ली, लेकिन दो सीटों पर पार्टी बुरी तरह हारी. साथ ही अभी कुछ दिन पहले तिरहुत स्नातक सीट पर हुए उपचुनाव में भी पीके की पार्टी हार गई थी. हालांकि, स्नातक सीट पर हुए चुनाव में पार्टी ने दूसरा स्थान हासिल कर कुछ इज्जत बचा ली. विधान पार्षद की इस सीट पर आरेजडी और जेडीयू तीसरे और चौथे नंबर की पार्टी रही थी.
ऐसे में अब प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज को लेकर विपक्षी पार्टियां बयानबाजी करने लगी है. खासकर, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पीके की पार्टी को फुलझरिया पार्टी करार दिया है. हालांकि, पीके लगातार बोल रहे हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में वह सबकी खटिया खड़ी करने वाले हैं. शायद पीके की इस बात पर सब यकीन करते, अगर उनकी पार्टी बिहार विधानसभा उपचुनाव में अच्छा प्रदर्शन करती.
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FIRST PUBLISHED :
December 17, 2024, 20:05 IST