हिंदी न्यूज़चुनाव 2024Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र में क्या है मराठा+OBC वोटों का विनिंग फॉर्मूला जिसे साधना हर राजनीतिक दल के लिए है चुनौती
Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र में क्या है मराठा+OBC वोटों का विनिंग फॉर्मूला जिसे साधना हर राजनीतिक दल के लिए है चुनौती
Maharashtra Election: महाराष्ट्र में 52 फीसदी ओबीसी हैं. OBC मतदाताओं के प्रभाव वाले इलाके विदर्भ रीजन में 62 विधानसभा सीटें हैं. दूसरी तरफ मराठा वोट बैंक की बात करें तो यहां करीब 28 फीसदी मराठा हैं.
By : एबीपी लाइव डेस्क | Edited By: Shubham Kumar | Updated at : 15 Nov 2024 08:32 AM (IST)
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024
Source : Special Arrangement
Maharashtra Assembly Election 2024 Latest News: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए मतदान में सिर्फ कुछ दिन बचे हैं. सभी राजनीतिक दलों ने प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. हर कोई अपने-अपने स्तर पर मुद्दे को उठा रहा है और जनता से वादा कर रहा है, लेकिन इन मुद्दों और वादों के बीच एक बड़ा मुद्दा खोता दिख रहा है. यह मुद्दा मराठा आरक्षण का, जिसे करीब 2 महीने पहले तक गेम चेंजर माना जा रहा था.
चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले तक कई राजनीतिक एक्सपर्ट इस बात को कह रहे थे कि इस बार महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मराठा आरक्षण बड़ा मुद्दा होगा और कोई भी राजनीतिक दल इसे नजरअंदाज नहीं कर पाएगी, लेकिन जैसै-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे यह मुद्दा खोता दिख रहा है. यही स्थिति ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर भी है. अब बड़ा सवाल यही है कि इन दोनों मुद्दों पर बात तो सभी करते हैं लेकिन क्यों कोई भी राजनीतिक दल इस विनिंग फॉर्मूले को खुलकर नहीं अपना रही है.
महायुति ने इस तरह बदला अपना मुद्दा
महायुति गठबंधन में शामिल बीजेपी और शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट कुछ महीने पहले तक मराठा आरक्षण और ओबीसी आरक्षण के समर्थन में ही बोल रही थी, लेकिन अब अचानक चीजें बदलती दिख रहीं हैं. अब फोकस सबको साथ लेकर चलने पर है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ यहां भी चुनाव प्रचार में लगातार नारा दे रहे हैं कि ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नारा दिया कि एक हैं तो सेफ हैं.
यही नहीं महायुति गठबंदन ने हाल ही में सभी प्रमुख अखबारों के पहले पेज पर एक विज्ञापन दिया है. इसममें सभी समुदायों को पगड़ी में दिखाया गया है… इसके अलावा लिखा है- एक हैं तो सेफ हैं. भगवा बैकग्राउंड के साथ छपे इस विज्ञापन में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार) और शिवसेना (एकनाथ शिंदे) के नाम और निशान भी छपे थे. हालांकि एक्सपर्ट का कहना है कि बीजेपी इस तरह से वोटों के जटिल समीकरण को साधने की कोशिश कर रही है. बीजेपी की कोशिश मराठा और ओबीसी दोनों ही वोट बैंक को एक साथ साधना है.
कौन कितना ताकतवर
1. मराठा वोट
राजनीतिक एक्सपर्ट कहते हैं कि महाराष्ट्र की सियासत पर नजर डालें तो यहां शुरू से ही मराठा समुदाय का वर्चस्व रहा है. 2019 के विधानसभा चुनाव में निर्वाचित 288 विधायकों में से करीब 160 विधायक मराठा थे. हालिया लोकसभा चुनाव में भी सूबे की आधे से अधिक सीटों पर मराठा कैंडिडेट जीते.
अब अगर वोट बैंक के लिहाज से देखें तो महाराष्ट्र में करीब 28 फीसदी मराठा है. यही वजह है कि हर राजनीतिक दल इसकी बात करता है. मराठा समुदाय के वर्चस्व वाले मराठवाड़ा में विधानसभा की 46 सीटें और पश्चिमी महाराष्ट्र में 70 विधानसभा सीटें हैं. अब अगर मराठा बाहुल्य इन दो रीजन की सीटों को मिला दें तो आंकड़ा 116 तक पहुंच जाता है.
2. ओबीसी वोट
अब बात अगर ओबीसी की करें तो ओबीसी महाराष्ट्र में भी सबसे बड़ा वर्ग है. पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में 52 फीसदी ओबीसी हैं. ओबीसी मतदाताओं के प्रभाव वाले इलाके विदर्भ रीजन में 62 विधानसभा सीटें हैं. ऐसे में मराठा के साथ-साथ ओबीसी को भी साथ लेकर चलना हर राजनीतिक दल के जरूरी भी है और मजबूरी भी.
बंटे हुए हैं दोनों ही वोट बैंक
महाराष्ट्र में ओबीसी और मराठा वोटर भी बंटे हुए हैं. ये दोनों ही किसी एक या दो दल को सपोर्ट नहीं करते. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि दो बड़े वोट बैंक के बंटने की वजह से ही यहां सबसे ज्यादा राजनीतिक दल सक्रिय भूमिका में हैं. फिर चाहे बात एनसीपी शरद पवार गुट, एनसीपी अजित पवार गुट, शिवसेना शिंदे गुट, शिवसेना उद्धव गुट, बीजेपी, कांग्रेस, सपा और आपीआई की ही क्यों न हो. ये सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी मौजूदगी हर चुनाव में साबित करते हैं.
महायुति और एमवीए दोनों ही लगा रहे जोर
इस चुनाव में मराठा और ओबीसी वोटरों को लुभाने के लिए दो बड़े गठबंधनों की कोशिश पर नजर डालें एमवीए ने मराठा समाज को आरक्षण की मांग का समर्थन करते हुए ओबीसी के कोटे से इसे न देकर आरक्षण लिमिट हटाने की बात कही है दूसरी तरफ महायुति सबको साथ लेकर चलने की बात कह रही है. महायुति गठबंधन ने करीब पांच फीसदी अनुमानित आबादी वाली धनगर जाति पर खास फोकस कर रही है जो अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग कर रही है.
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Published at : 15 Nov 2024 08:32 AM (IST)
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा