धनंजय मिश्रा, नई दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Sun, 05 May 2024 06:35 AM IST
किसी चुनाव में प्रत्याशियों की संख्या 500 के पार तक चली गई तो कभी दो अंकों में सिमट कर रह गई। पहले लोकसभा चुनाव में जब दिल्ली में तीन लोकसभा सीट होती थी तब केवल 19 उम्मीदवार मैदान में थे।
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दिल्ली के लोकसभा चुनाव में ताल ठोकने वाले उम्मीदवारों की संख्या बढ़ती-घटती रही है। किसी चुनाव में प्रत्याशियों की संख्या 500 के पार तक चली गई तो कभी दो अंकों में सिमट कर रह गई। पहले लोकसभा चुनाव में जब दिल्ली में तीन लोकसभा सीट होती थी तब केवल 19 उम्मीदवार मैदान में थे। वहीं, 1996 के लोकसभा चुनाव में सात लोकसभा सीटों पर 523 उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई थी। इनमें 358 निर्दलीय थे।
1980 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर बीते चुनावों की तुलना सबसे अधिक 168 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे। इसके बाद के चुनाव उम्मीदवारों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई। 1984 के चुनाव में 189, 1989 में 237,1991 में 501, 1996 में 523 इसके बाद चुनाव 1998 में 132, 1999 में 97, 2004 में 129, 2009 में 160, 2014 में 150 और बीते 2019 के लोकसभा चुनाव में 164 उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई थी।
जानकारों का कहना है कि दिल्ली में सांसद बनाना काफी महत्व रखता है। हालांकि, मतदाताओं ने प्रमुख बड़े दलों के उम्मीदवारों पर ही भरोसा जताया है। यहीं कारण है कि दिल्ली में अब तक एक भी निर्दलीय प्रत्याशी को जीत नसीब नहीं हुई है।
विजेता और प्रतिद्वंदी को छोड़ सभी की जमानत होती रही जब्त
2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों से 164 उम्मीदवार थे। इसमें 17 उम्मीदवारों को छोड़ अन्य सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी। पूर्वी, उत्तरी पश्चिमी व पश्चिमी दिल्ली सीट से विजेता व प्रतिद्वंदी उम्मीदवारों के अलावा एक-एक अन्य उम्मीदवार अपनी जमानत बचा पाए थे। वर्ष 2014 के चुनाव में भी सात विजेता, सात प्रतिद्वंदी उम्मीदवारों के अलावा सिर्फ तीन उम्मीदवार ही अपनी जमानत बचा पाए थे। इसके पहले के दो चुनावों (वर्ष 2009 व वर्ष 2004) में विजेता व प्रतिद्वंदी उम्मीदवारों को छोड़ सबकी जमानत जब्त हो गई थी।
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