NIT Admission: तमिलनाडु के त्रिची एनआईटी में पोस्ट ग्रेजुएशन में उस लड़की का एडमिशन हो गया, लेकिन अचानक एक दिन ऐसा हुआ कि वह लापता हो गई. 13 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक उसका कोई अता-पता नहीं है. जिन मां-बाप ने अपनी बेटी को लेकर बड़े-बड़े ख्वाब देखे थे, उनकी आंखों से अब आंसू थम नहीं रहे हैं. हैरान-परेशान परिजन कभी बेटी की तलाश कर रहे हैं, कभी पुलिस से गुहार लगा रहे हैं, तो कभी नेताओं से.
यह कहानी है इंदौर की मेधावी छात्रा ओजस्विनी गुप्ता की.ओजस्विनी ने इंदौर के कॉलेज से ही इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने एक आईटी कंपनी में नौकरी शुरू कर दी, लेकिन उनका सपना था कि वह आगे की पढ़ाई यानी पोस्ट ग्रेजुएशन एनआईटी से करें. इसके लिए उन्होंने जेईई की परीक्षा दी और देश भर में 72वीं रैंक हासिल की. उन्हें एनआईटी त्रिची में एडमिशन मिल गया. अगस्त महीने में उन्होंने कॉलेज ज्वाइन किया और एमसीए की पढ़ाई शुरू की.
15 सितंबर से हो गईं लापता
ओजस्विनी गुप्ता 15 सितंबर से कॉलेज से लापता हैं. पिता नुतेश गुप्ता का कहना है कि बेटी से आखिरी बार 14 सितंबर की रात में बात हुई थी. 15 सितंबर की सुबह से उसका फोन स्विच ऑफ आ रहा है. वहीं, 15 सितंबर की शाम को ही एनआईटी प्रबंधन ने ओजस्विनी के परिवार वालों को बेटी के हॉस्टल से लापता होने की सूचना दी. घरवालों ने स्थानीय थाने में केस दर्ज करा दिया, लेकिन अभी तक ओजस्विनी का कुछ अता-पता नहीं है. त्रिची पुलिस ने ओजस्विनी की खोज के लिए एसआईटी भी गठित की, लेकिन अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है. अब परिजनों ने मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव को भी ज्ञापन देकर मदद की गुहार लगाई है.
कॉलेज में बनी थीं क्लास रिप्रेजेंटेटिव
ओजस्विनी की काबिलियत को देखते हुए उन्हें क्लास रिप्रेजेंटेटिव बनाया गया था. बताया जा रहा है कि उनके इस पद पर पहुंचने से कुछ लोग नाखुश थे. सीसीटीवी फुटेज में उन्हें आखिरी बार 15 सितंबर को कॉलेज कैंपस से बाहर जाते हुए देखा गया है. वह साइकिल खड़ी करके कॉलेज से बाहर निकल रही थीं. कॉलेज के सभी छात्रों को सप्ताह में सिर्फ रविवार को ही कैंपस से बाहर जाने की अनुमति होती है, लिहाजा जब वह वापस नहीं लौटीं तो उनकी तलाश शुरू की गई, लेकिन कुछ पता नहीं चला.
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हॉस्टल के कमरे से मिला लेटर
ओजस्विनी की तलाशी के दौरान उनके कमरे से 4 पन्नों का एक बेहद मार्मिक लेटर मिला, जिसमें उन्होंने लिखा है कि, “अगर कोई महिला सुंदर नहीं है, तो यह बहुत मुश्किल है कि वह पुरुषों को अपनी लीडरशिप में काम करवा सके. पुरुषों को स्त्रियों के नेतृत्व में काम करना पसंद नहीं, खासकर तब जब महिला सुंदर न हो. मेरे लिए सबसे अच्छी बात तब हुई जब मैंने एनआईटी में अपना पीजी शुरू किया. मुझे डिपार्टमेंट का सीआर बनाया गया. दूसरों को हराने और सभी राउंड क्लियर करने के बाद मुझे यह पद हासिल हुआ. वास्तव में, मुझे शुरुआत में इसके लिए बहुत गर्व और खुशी महसूस हुई, लेकिन बाद में सब खराब होने लगा.” ओजस्विनी ने आगे लिखा, “लोगों के लिए इतना मत करो कि खुद को ही खो दो, क्योंकि आखिर में ये वही लोग होते हैं जो आप पर उंगली उठाते हैं. खास तौर पर लड़कियों के लिए- यह जमाना लड़कियों के लिए ठीक नहीं है. अब अलविदा कहती हूं, इसे हाइप बनाने की जरूरत नहीं है. मेरा मानसिक दबाव था, मैं बर्दाश्त नहीं कर पाई. मेरी गलती है, दूसरों को दोष मत देना. सब अच्छे से पढ़ाई करना और अच्छा पैकेज लेकर जाना.” ओजस्विनी ने आखिरी में लिखा-, “…और हां, जिसको सीआर बनाना है बना दो यार. लव यू एनआईटी.”
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FIRST PUBLISHED :
September 30, 2024, 10:44 IST