अमर उजाला नेटवर्क, अलीगढ़ Published by: शाहरुख खान Updated Mon, 03 Jun 2024 11:05 AM IST
जम्मू बस हादसे में मारे गए मासूम यश सहित पांच लोगों के साथ एंबुलेंस के जरिए रात करीब ढाई बजे गांव नगला उदय सिंह पहुंचे। शवों के पहुंचते ही वहां हाहाकार मच गया। दादा की गोद में बैठकर जाने वाले यश का शव उसके दादा की गोद में ही था। यह मंजर देख चीख-पुकार मच गई। करुण क्रंदन से हर आंख नम हो गई।
बाद में पांचों शवों का अंतिम संस्कार चार चिताओं पर किया गया। चिताओं को मुखग्नि देने के दौरान हर आंख नम दिखी। एक चिता पर दादा वीरपाल और उनके लाडले 11 वर्षीय यश का अंतिम संस्कार किया गया। बताते हैं कि नगला उदय सिंह में एक ही परिवार का पूरा गांव है।
ग्रामीणों के अनुसार, दादा वीरपाल अपने नाती यश को अपने साथ तीर्थ यात्रा पर लेकर गए थे। यात्रा शुरू होने से लेकर हादसे तक यश ने अपने दादा की गोदी में बैठकर ही सफर किया था। जीवन के अंतिम सफर तक नाती ने दादा का हाथ नहीं छोड़ा। हादसे के बाद जब शव निकाले जाने लगे तो यश दादा की गोद में ही मृत अवस्था में था। आखिरी विदाई भी परिजनों ने दोनों को एक साथ ही दी। दादा-नाती का एक साथ अंतिम संस्कार किया।
ग्रामीणों ने बताया कि यश को दफनाने के लिए गड्ढा खोदा गया था, लेकिन बाद में निर्णय बदल दिया गया। परिजनों ने दादा-नाती के अटूट प्यार को देखते हुए दोनों के शवों का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया।
मां को बेटे की मौत की सुबह दी जानकारी
यश की मौत की खबर उसकी मां मंजू को नहीं दी गई थी। हैरानी की बात यह रही कि मंजू को उसकी बेटे की मौत की खबर शव के आने के बाद भी नहीं दी गई। अंतिम संस्कार के 30 मिनट पहले मंजू को इसकी जानकारी दी गई। जैसे ही उसे बेटे की मौत की जानकारी हुई वह सुध-बुध खो बैठीं। यह मंजर देख हर कोई द्रवित था।
चार मिनट में चार चिताओं की दी मुखाग्नि
नगला उदय सिंह गांव में चार चिताओं को तैयार किया गया था। रविवार सुबह 6.28 बजे चिताओं को मुखाग्नि देना शुरू किया गया। 6.32 बजे सभी चिताओं को अग्नि के हवाले कर दिया गया। गांव में एक साथ चार चिताओं को देख हर कोई गमजदा था।