माधवी लता। – फोटो : एएनआई (फाइल)
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माधवी लता…हैदराबाद की नई सनसनी हैं। बतौर भाजपा प्रत्याशी वह लगातार चार बार के सांसद, ऑल इंडिया-मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी को चुनौती दे रही हैं। सियासत में नई हैं, किंतु दांव-पेच में एकदम माहिर। बंजारा हिल्स चुनाव कार्यालय में नवीन सिंह पटेल से उनकी बातचीत के प्रमुख अंश…
पहली बार चुनाव मैदान में हैं। क्या मुद्दे हैं?
हैदराबाद में सामाजिक सेवा करते हुए हमने सिर्फ गरीबी नहीं देखी, और भी बहुत कुछ देखा है। 40 साल से राज करने वालों ने गरीबों का गलत फायदा उठाया। राजनीति में लोग पैसा खा लेते हैं, गरीब-गरीब रह जाते हैं…यह मुद्दा नहीं है यहां पर। मुद्दा है, लोगों को भड़काना, गलत दिशा में ले जाना। मजहब की बात कर मजहब वालों की तरक्की का कोई काम न करना। उनके अपने पसमांदा मुसलमान तक नाखुश हैं।
40 साल की विरासत वालों से लड़ रही हैं… डर लग रहा है?
डर…! डर कभी देखा नहीं मैंने…। आपने देखा क्या?…मैंने तो नहीं देखा। जो इन्सान सच के साथ लड़ता है, उसको डर किस बात का। डर तो असदुद्दीन ओवैसी को होना चाहिए, क्योंकि आज तक उनका सच सामने लाने कोई आया नहीं।
चर्चा है कि पीएम 30 अप्रैल को हैदराबाद आ रहे हैं। क्या रैली के लिए समय मांगा है?
मोदीजी हमारे पिता समान हैं। उनकी आज्ञा से आगे बढ़े हैं। अभी, हमारे दिमाग में बस एक ही मुद्दा है असदुद्दीन को उखाड़ फेंकने का…उसकी पतंग काटने का… फाड़ने का। औरतों, पसमांदा, दलितों के लिए काम करना है।…इसके अलावा मोदी भैया आ रहे हैं तो जो कहना-बोलना है, देख लेंगे।
कुछ लोग कहते हैं कि माधवी लता गंभीर नहीं हैं…?
यह बोलने वाले ओवैसी के चमचे हैं। क्या गंभीर दिखने के लिए ‘बीफ खाओ’ बोलना चाहिए।…मेरे पास मैनिफेस्टो नहीं है, यह बोलना चाहिए क्या। मस्जिद के नाम पर वोट मांगना चाहिए क्या…। समान नागरिक संहिता नहीं लानी चाहिए, इस्लामी देशों के मुसलमानों को बसाना चाहिए…बोलकर धरना देना चाहिए क्या।
प्रचार में जुट रही भीड़ को विरोधी भाड़े की बता रहे हैं।
हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं। हम असदुद्दीन की तरह वक्फ बोर्ड की जमीन चोरी नहीं किए हैं। …और हमारे पास लंदन में पांच हजार करोड़ का घर भी नहीं है, न अंबानीजी जैसा घर है मेरे पास। हम पैसे देकर कहां से जोड़ेंगे साहब..। हम तो लोगों को प्यार से बुलाएंगे, वो आ जाएंगे… हमने 20 साल सेवा की है उनकी।
हैदराबाद को ‘भाग्य नगर’ बनाने का समर्थन करती हैं?
उनके ही घर की बहू का नाम है भाग्यमती। हैदराबाद से पहले इसी नगर का नाम था भाग्य नगर। जब हम जीत जाएंगे तो स्त्री होने के नाते हमारे घर की लड़की या उनके घर की बहू के नाम की मांग करने में दिक्कत क्या है?
दिक्कत तो आपके तीर चलाने से है। किस पर चलाया था वो..
वो…(हंसकर) वो तो रामनवमी पर चला अमन का तीर था…जिसका उन्होंने वीडियो बना मस्जिद के ऊपर डाल दिया है। बीआरएस वाले जब सचिवालय बना रहे थे, तब दो-दो मस्जिदें गिराई गईं। उनकी ओवैसी बात नहीं करेंगे।
ओवैसी 20 साल से जीत रहे हैं यहां, आप क्या कारण मानती हैं?
वह कभी बीआरएस से मिलकर चले, कभी कांग्रेस से। ये पुरुषों को बुर्का पहना कर भेजते हैं वोट डालने। अरे, एक बार पैरामिलिट्री और केंद्र के प्रिसाइडिंग अफसर लगाकर देखिए। अभी तो आप ही बैटिंग कर रहे हो, आप ही फील्डिंग।
यह मांग तो आपको चुनाव आयोग से करनी चाहिए थी?
की है मांग। पर, चुनाव आयोग निर्भर किस पर है…राज्य सरकार पर ही न। ये लोग चुनाव से पहले राज्य सरकार के साथ काम करते हैं और चुनाव बाद भी। इलेक्शन में आप यूपी के कर्मचारियों को लाकर यहां लगाइए…मजाल है कि ये लोग कुछ गड़बड़ कर लें।