त्रिशूल – फोटो : अमर उजाला डिजिटल
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भारतीय रेल ने परिचालन दक्षता वृद्धि, समय की बचत और परिवहन लागत में कमी को लेकर जुगाड़ टेकनॉलॉजी का सहारा लिया है। इसके तहत पूर्व मध्य रेल के पंडित दीन दयाल उपाध्याय मंडल(डीडीयू मंडल) ने भारतीय रेल के इतिहास में संभवतः पहली बार एक साथ तीन मालगाड़ियों का संयोजन किया है। इस संयोजन को ‘त्रिशूल’ के नाम से परिचालित किया है।
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इस कारण खास है त्रिशूल
डीडीयू रेल मंडल के जनसंपर्क अधिकारी(पीआरओ) दीपक कुमार ने बताया कि तीनों मालगाड़ियों को डीडीयू यार्ड में परीक्षण के बाद गंजख्वाजा में जोड़कर बनाया ‘त्रिशूल’ बनाया गया, जिसकी लंबाई 2 किलोमीटर से अधिक है। उन्होंने बताया कि संयोजन के बाद वीएजी-12 से परिचालित ‘त्रिशूल’ को गंजख्वाजा से सोमवार की रात करीब 20:00 बजे धनबाद मंडल के लिए रवाना किया गया। त्रिशूल करीब चार घंटे में 50 किलोमीटर प्रति घंटे की औसत गति के साथ बीडी सेक्शन होते हुए लगभग 200 किलोमीटर की यात्रा के बाद गढ़वा रोड में पहुंचा। इसके बाद ‘त्रिशूल’ को आगे धनबाद मंडल को सौंप दिया गया।
माल लदान व परिवहन में आएगी तेजी
पीआरओ ने बताया कि रेल परिचालन की दृष्टि से डीडीयू मंडल भारतीय रेल के व्यस्ततम रेल मंडलों में एक है। साथ ही रेल परिचालन को निरंतर गतिमान रखने के साथ ही धनबाद मंडल से कोयला आदि के त्वरित परिवहन हेतु परीक्षण कर लदान हेतु तैयार खाली मालगाड़ियों की नियमित उपलब्धता सुनिश्चित कराने में डीडीयू मंडल की अति महत्वपूर्ण भूमिका है। इसी वजह से एक साथ तीन मालगाड़ियों को जोड़कर बने ‘त्रिशूल’ का सफल परिचालन डीडीयू मंडल की परिचालनिक दक्षता का द्योतक है। इससे माल लदान एवं परिवहन में तेजी लाने में मदद मिलेगी।
कोयले के लदान के लिए मालगाड़ियों क कमी होगी दूर
पीआरओ ने बताया कि खाली मालगाड़ियों को लदान के लिए अलग-अलग रवाना करने की परिपाटी रही है। इसके तहत एक ही लदान गंतव्य के लिए मालगुड़ियों को अलग-अलग रवाना किया जाता रहा है लेकिन इस नए तरीके से अब एक लदान गंतव्य के लिए एक साथ तीन खाली मालगाडियों को आपस में जोड़कर त्रिशूल बनाकर रवाना किए जाने से लदान स्थल पर एक साथ तीन खाली मालगाड़ियों के रैक उपलब्ध होंगे। इससे लदान में भी तेजी आएगी। साथ ही एक या दो इंजन से त्रिशूल को चलाए जाने से एक इंजन पर आने वाले बिजली के खर्च की भी बचत होगी। इसके अलावा अलग-अलग तीन मालगाड़ियों के जगह एक ही मालगाड़ी को सिग्नलिंग व्यवस्था में भी सहुलियत होगी तथा समय की भी बचत होगी।