सुरेंद्र और विजय को खाना खिलाते जन सेवा दल के सदस्य चमन गुलाटी और कमल गुलाटी। – फोटो : संवाद
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हरियाणा के पानीपत में मां-बाप, बहन और फिर भाई की मौत से निराश एक व्यक्ति ने खुद को घर के शौचालय में कैद कर लिया। उसके जीने की इच्छा खत्म हो गई और अपनी मौत का इंतजार करने लगा। वह सिर्फ नल का पानी पीता था। उसको बाहर से आने वाली आवाज से भी नफरत होने लगी थी।
वहीं इस दौरान मानसिक रूप से अशक्त उसका दूसरा भाई भी घर में भूखे-प्यासे पड़ा रहा। यदा-कदा वह बाहर से रोटी मांगकर खा लेता था। करीब 45 दिन बाद जनसेवा दल को इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने घर की छत से मकान में चढ़कर दोनों भाइयों को रेस्क्यू कर निकाला। फिर अपना आशियाना में उन्हें सहारा दिया है। बात हो रही मतलौडा के पंजाबी मोहल्ला निवासी 48 वर्षीय सुरेंद्र उर्फ शैंटी और उसके बड़े भाई विजय की।
शौचालय से रेस्क्यू के बाद बाहर आए सुरेंद्र ने बताया कि वे चार भाई और एक बहन थे। उनकी बड़ी बहन की बचपन में ही मौत हो गई थी, जबकि बड़ा भाई विजय मानसिक रूप से अशक्त है। चारों में से किसी की शादी नहीं हुई थी। उनके पिता लख्मीचंद छोले-भटूरे और आइसक्रीम बेचकर घर चलाते थे। 12 साल पहले उनकी मौत हो गई थी।
दूसरे नंबर का भाई अशोक एक लोन एजेंट के चक्कर में कर्जदार हो गया और पांच साल पहले घर से फरार हो गया था। उनकी मां फूला देवी की भी कोरोना के दौरान मौत हो गई थी। तीसरे नंबर का भाई राजकुमार का हिमाचल प्रदेश में हैंडलूम का काम करने लगा, जो तीन माह पहले ही मतलौडा आया था।
अज्ञात कारण से कुछ दिन पहले उसकी मौत हो गई, जिससे सुरेंद्र को गहरा सदमा लगा। इसके एक दिन बाद ही उसने खुद को शौचालय में बंद कर लिया। इस दौरान मानसिक रूप से अस्वस्थ बड़ा भाई विजय कभी कभार इधर-उधर से रोटी मांगकर खा लेता था। कई दिनों तक घर का दरवाजा नहीं खुलने के बाद बीते रोज रविवार को आसपास के लोगों ने दोनों भाइयों के संबंध में जनसेवा दल के सदस्यों को इसकी जानकारी दी।
जन सेवा दल के सदस्य चमन गुलाटी और कमल गुलाटी ने बताया कि उनको मतलौडा के पंजाबी मोहल्ला से एक फोन आया था। वे दोनों सूचना मिलते ही वहां पहुंचे थे। उन्होंने स्थानीय लोगों से बातचीत की, लेकिन कोई भी अंदर जाने को तैयार नहीं हुआ। फिर उनके एक सदस्य ने मकान की छत से जाकर भाइयों को समझाकर दरवाजा खोलवाया।
उनके कपड़े मल-मूत्र से भरे हुए थे। बदबू से अंदर घुसना भी मुश्किल हो रहा था। साफ-सफाई के बाद जनसेवा दल के सदस्य दोनों भाइयों को आदर्श नगर स्थित अपना आशियाना लेकर आए। यहां सोमवार सुबह उन्हें स्नान कराया और खाना खिलाया गया।
इस दौरान विजय ने दो रोटी खाई, लेकिन सुरेंद्र 45 दिन लगातार भूखा रहने के चलते एक रोटी भी मुश्किल से खा सका। उनकी चिकित्सक से भी जांच कराई गई है। चिकित्सक ने लंबे समय तक खाना न खाने के चलते पाचन शक्ति कमजोर होना कारण बताया है।
250 गज के मकान मेंं बनाया गया है अपना आशियाना
चमन गुलाटी ने बताया कि स्व. वीरेंद्र जैन के भाइयों ने उनको आदर्श नगर में 250 गज का एक मकान दिया था। उन्होंने करीब 50 लाख रुपये लगाकर इसको तीन मंजिल बनाया है। यहां फिलहाल 30 लोग रह रहे हैं। उनको चाय पानी से लेकर खाने समेत हर संभव सुविधा दी जाती है। चमन गुलाटी ने बताया कि वह मूल रूप से रोहतक के दुजाना गांव से है। नौवीं व दसवीं की पढ़ाई के दौरान उनके माता-पिता की मौत हो गई थी, जिनकी सेवा नहीं कर पाने का आज भी उन्हें मलाल है। यही कारण है कि वह पानीपत में आकर जन सेवा दल से जुड़कर सेवा कार्य में लग गए। यहां बुजुर्गों व अन्य लोगों की सेवा के लिए अपना आशियाना बनाया है। वह अब शहर के लोगों के सहयोग से इसको संचालित कर रहे हैं। शहरी विधायक प्रमोद विज ने उनको नया आशियाना बनवाकर देने का भरोसा दिया है।
पहले दो बहनों काे बचा चुका है दल
चमन गुलाटी ने बताया कि पिछले साल शहर के किला की तरफ जाने वाली सड़क पर दो बहनों ने इसी तरह खुद को मकान में बंद कर लिया था। वे मकान से बाहर नहीं आती थीं। उन्होंने छत के रास्ते अंदर जाकर दोनों को बाहर निकाला। इनमें से एक अब सामान्य है, जबकि दूसरी की स्थित पहले से कमजोर है। उन्होंने बताया कि जन सेवा दल विकट परिस्थितियों में फंसे लोगों की हर संंभव मदद करता है।