होमलाइफस्टाइलहेल्थGender Gap Report 2024: भारत में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की स्थिति बदतर, जेंडर गैप रिपोर्ट में 129वें स्थान पर पहुंचा देश
Gender Gap Report 2024: भारत में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की स्थिति बदतर, जेंडर गैप रिपोर्ट में 129वें स्थान पर पहुंचा देश
Gender Gap Report 2024: साउथ एशियन रीजन में भारत में वैश्विक लैंगिक अंतर दुनिया के मुकाबले काफी ज्यादा बदतर है. सूचकांक में बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और भूटान के बाद पांचवें स्थान पर है.
By : स्वाति सिंह | Updated at : 13 Jun 2024 06:57 PM (IST)
लिंग में भेदभाव ( Image Source :freepik )
भारत के NDA गठित सरकार के नए मंत्रिमंडल में 30 केंद्रीय मंत्रियों में से एक केवल दो महिलाएं हैं. कुल मिलाकर केंद्रीय परिषद में मंत्रियों की संख्या पिछली सरकार के 10 से घटकर सात हो गई है. यह भारत देश में महिलाओं की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति को दर्शाती है. पूरी दुनिया के मुकाबले भारत में एक अजीबोगरीब जेंडर गैप देखने को मिला है.
‘वर्ल्ड इकॉनोमी फोरम’ की रिपोर्ट
‘वर्ल्ड इकॉनोमी फोरम’ में छपी रिपोर्ट जो ग्लोबल जेंडर वर्क रिपोर्ट छपी है. इस रिपोर्ट में 18वीं किस्त में भारत दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में तीसरे सबसे निचले स्थान पर है, उसकी स्थिति बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और भूटान से भी खराब हैं.
जेंडर गैप रिपोर्ट में भारत 129वें स्थान पर पहुंचा
वर्ल्ड इकनोमिक फोरम ने हाल ही में ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2024 पब्लिश की है. इसमें 146 देशों में से भारत 129वें स्थान पर पहुंच गया है. जो पिछले साल की तुलना में काफी पीछे है. सभी 146 देशों के वैश्विक लैंगिक अंतर स्कोर 68.5 फीसदी है. सामने आई आंकड़ों के मुताबिक अगर हम महिला और पुरुषों में समानता करने की कोशिश करेंगे तो इसमें 134 साल लगेंगे.
2023 तक सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) यानि 5 पीढ़ियां लग जाएगा. यह आंकड़े पूरी दुनिया के बारे में ऐसे पोल खोल रहे हैं कि दुनिया का ऐसा कोई भी देश नहीं है जो पूर्ण लैंगिक समानता हासिल कर पाया है. जबकि कई देशों ने अपनी 97 फीसदी अर्थव्यवस्थाओं के अंतर को 60 फिसदी से अधिक कम कर लिया है. वहीं साल 2006 तक यह सिर्फ 85 फीसदी थी.
शैक्षिक और राजनीतिक सशक्तिकरण में गिरावट
पिछले साल भारत इस सूचकांक में 127वें स्थान पर था. वहीं 2022 में यह 135 वें स्थान पर था. साल 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कुल लैंगिग अंतर का 64.3 फीसदी हिस्सा पाट लिया है, जो भारत के 2020 (66.8 फीसदी) जो भारत में कुछ पॉजिटिव सुधार को दिखाता है. दरअसल, इस गिरावट के पीछे का कारण यह है कि महिलाओं में शैक्षिक और राजनीतिक सशक्तिकरण में गिरावट आई है. वहीं आर्थिक भागीदारी और अवसर में पहले से सुधार आया है.
संसद में महिलाओं की भागीदारी 17.2 फीसदी है
भारत उन देशों में शामिल है जहां हर लैंगिक समानता हर क्षेत्र में सबसे कम है. इसका अर्थ यह है कि भारत में पुरुष जहां 100 रुपये औसतन कमाते हैं वहीं महिला 39.8 रुपये कमाती हैं. भारत में महिलाओं की राजनीतिक सशक्तिकरण के मामले में देश 65वें स्थान पर है. भारत में अभी भी संसद में महिलाओं की भागीदारी 17.2 फीसदी है जोकि दूसरे देशों के मुकाबले काफी कम है.
साउथ एशियन रीजन में भारत की स्थिति
भारत 129वें स्थान पर हैं वहीं इसके पड़ोसी देश बांग्लादेश 99वें, चीन को 106वें, नेपाल को 117वें, श्रीलंका को 122वें, भूटान को 124वें और पाकिस्तान को 145वें स्थान पर है. आइसलैंड एक बार फिर से 93.5 फीसदी के साथ पहले स्थान पर है.
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Published at : 13 Jun 2024 06:57 PM (IST)
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