हिंदी न्यूज़लाइफस्टाइलधर्मEid-e-Milad-un Nabi: इन मुस्लिम देशों में नहीं मानते हैं ईद-ए-मिलाद-उन-नबी, वजह जानकर उड़ जाएंगे होश
Eid-e-Milad-un Nabi 2024: ‘ईद-ए-मिलाद-उन-नबी’ का त्योहार मुस्लिमों के लिए बेहद पाक का दिन होता है, लेकिन कुछ मुस्लिम देशों में इस त्योहार को नहीं मनाया जाता है. आखिर क्या है इसके पीछे की वजह.
By : एबीपी लाइव | Updated at : 16 Sep 2024 03:07 PM (IST)
ईद उल मिलादुन्नबी
Source : abplive
Eid-e-Milad-un Nabi 2024: दुनियाभर में आज कई मुसलमान ईद-ए-मिलाद-उन-नबी (Eid-e-Milad-un Nabi) का त्योहार मना रहे हैं. इस्लाम धर्म में पैगंबर मुहम्मद (Prophet Muhammad) का आज जन्म हुआ था. जिसे भारत के मुसलमान ‘ईद-ए-मिलाद-उन-नबी’ या मावलीद-उन-नबी के नाम से जानते हैं. आज का दिन इस्लाम धर्म (Islamic Religion) को मानने वाले लोगों के लिए बेहद पाक (शुभ) है. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक इस्लाम के तीसरे महीने रबी उल अव्वल के 12वें दिन ये मनाया जाता है.
दुनियाभर के मुस्लिम इस त्योहार के दिन जश्न मनाते हैं. इसके साथ ही सड़कों पर परेड निकालना, मस्जिदों और घरों को सजाया भी जाता है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि कई मुस्लिम देशों में इस त्योहारों को नहीं मनाया जाता है और न ही किसी तरह का जश्न.
‘ईद-ए-मिलाद-उन-नबी’ न मनाने का कारण ?
कुछ मुस्लिम ‘ईद-ए-मिलाद-उन-नबी’ (Eid-e-Milad-un Nabi) के त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं, तो कुछ मुस्लिम ‘ईद-ए-मिलाद-उन-नबी’ के त्योहार को जश्न के रूप में नहीं मनाते हैं. माना जाता है कि कुरान (Quran) में ऐसा कहीं भी वर्णन नहीं है कि हमें मौलिद अल-नबी या पैगंबर मुहम्मद (Prophet Muhammad) का जन्मदिन मनाना चाहिए. अपने जीवनकाल में पैगंबर साहब ने न खुद ऐसा नहीं किया और न ही किसी को ऐसा करने के लिए कहा.
पैगंबर साहब ने न तो अपने जीवनकाल के दौरान जश्न मनाने की बात कही और नही अपनी मृत्यु के बाद. इस्लाम के जानकारों के मुताबिक पैगंबर ने अपने जन्म के दिन इबादत ( Prayer) करने की बात पर जोर दिया.
सलाफी और वहाबी जैसे मुस्लिम समुदाय मावलिद-उन-नबी को नहीं मनाते हैं. उनके मुताबिक पैगंबर ने अपने जीवनकाल में कभी भी अपना जन्मदिन नहीं मनाया, तो हमें भी ऐसा नहीं करना चाहिए.
जहां एक तरफ पूरी दुनियाभर के मुसलमान पैगंबर मुहम्मद का जन्मदिन, ‘ईद-ए-मिलाद-उन-नबी’ को काफी धूम-धाम से मनाते हैं तो वहीं कुछ मुस्लिम देशों जैसे सऊदी अरब और कतर अपनी इस विचारधारा के कारण इस प्रथा का विरोध करते हैं. उनका मानना है कि पैगंबर द्वारा इस दिन को मनाने का कोई भी रिकॉर्ड नहीं है.
पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जन्म को लेकर हदीस की चर्चित 6 किताबों में इसका कोई जिक्र नहीं है. हालांकि एकमात्र कथा के मुताबिक पैगंबर मुहम्मद का जन्म किस दिन हुआ था ये तो मालूम है लेकिन तारीख को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है. अबू क़तादा के मुताबिक एक बेडौइन पैगंबर के पास आया और उसने पैगंबर मुहम्मद से सोमवार के उपवास को लेकर कुछ पूछा, जिस पर पैगंबर साहब ने कहा कि “यह वह दिन है जिस दिन मेरा जन्म हुआ था”.
‘ईद-ए-मिलाद-उन-नबी’ के दिन क्या करने से अल्लाह खुश होते हैं ?
- इस्लाम धर्म में इस पाक दिन मुस्लिमों को जकात देना चाहिए.
- गरीबों में भोजन को विस्तारित (बांटना) सवाब का काम होता है.
- मस्जिदों और घरों में पांचों वक्त की नमाज अदा करनी चाहिए.
- पैगंबर साहब के जीवन, गुणों, उपलब्धियों और शिक्षाओं के बारे में लोगों को बताना चाहिए.
- माना जाता है कि पैगंबर साहब को थारीड काफी पसंद था. ये मांस और सब्जी का शोरबा होता है जिसे कुरकुरी रोटी पर परोसा जाता है.
यह भी पढ़ें – मुस्लिम धर्म में अज़ान की शुरूआत कैसे हुई और अज़ान का मतलब क्या है?
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Published at : 16 Sep 2024 02:26 PM (IST)
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