अरविंदर सिंह लवली – फोटो : अमर उजाला
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अरविंदर सिंह लवली के त्यागपत्र देने व उसे स्वीकार करने के बावजूद अभी उत्तराधिकारी की ताजपोशी नहीं होगी। कांग्रेस आलाकमान लोकसभा चुनाव के बाद ही नए अध्यक्ष की नियुक्ति करेगा। फिलहाल, चुनाव पूरे दमखम से लड़ने और गठबंधन धर्म निभाने के लिए कार्यकारी अध्यक्ष के अलावा प्रदेश के चार-पांच वरिष्ठ नेताओं की एक कमेटी गठित करने पर विचार किया जा रहा है।
दरअसल, लवली का त्यागपत्र स्वीकार करने के बाद उत्तराधिकारी के संबंध में कयास लगने शुरू हो गए हैं। इस मामले में पूर्व अध्यक्ष चौ. अनिल कुमार व सुभाष चोपड़ा, पूर्व मंत्री हारून युसूफ, डाॅ. नरेंद्रनाथ, पूर्व विधायक जयकिशन, प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चतर सिंह आदि के नामों की चर्चा है, लेकिन सूत्रों ने बताया कि नई नियुक्ति के मामले में आलाकमान जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चाहता।
अगले साल के शुरू में विधानसभा चुनाव की तैयारी के मद्देनजर नए अध्यक्ष की नियुक्ति की जाएगी। कमेटी में प्रदेश कांग्रेस के चार-पांच वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। इनसे किसी एक नेता को प्रदेश का कार्यकारी अध्यक्ष या फिर कमेटी का संयोजक बनाया जाएगा। यह कमेटी पार्टी के तीनों उम्मीदवारों के चुनाव अभियान को संभालेगी। इसके अलावा आप से तालमेल का कार्य भी करेगी। गठबंधन के तहत दोनों पार्टियों की संयुक्त सभाएं व रोड शो होने हैं। इसके दोनों पार्टियों के नेता व कार्यकर्ता मिलकर प्रचार करेंगे।
दूसरी बार दिया कांग्रेस को झटका
अरविंदर सिंह लवली ने दूसरी बार कांग्रेस को झटका दिया है। इससे पहले उन्होंने वर्ष 2017 में तीनों नगर निगम के चुनाव के दौरान कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया था। लवली ने सात साल पहले कांग्रेस छोड़ने के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित व तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन पर गंभीर आरोप लगाते हुए भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। इस दौरान उन्होंने आरोप लगाया था कि टिकट बंटवारे में अजय माकन ने मनमर्जी की है। उन्होंने पार्टी के एक भी वरिष्ठ नेता को तवज्जो नहीं दी। लिहाजा, वे कार्यकर्ताओं की पीड़ा को गहन नहीं कर सके और पार्टी छोड़ दी है।
इसके बाद लवली भाजपा में चले गए, लेकिन तवज्जो न मिलने पर करीब एक साल बाद ही कांग्रेस में लौट आए थे। इधर, लवली ने प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर कार्य नहीं करने देने और आप से गठबंधन के कारण सहमत न होने की बात की है। जबकि उन्होंने गत आठ माह के दौरान कार्य में हस्तक्षेप करने के आरोप नहीं लगाए हैं। इसके अलावा उन्होंने आप के साथ गठबंधन करने का कभी सार्वजनिक तौर पर विरोध नहीं किया।