नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी इस बार राष्ट्रीय राजधानी में आम आदमी पार्टी के विजय रथ को रोकने की हरसंभव कोशिश में जुटी है। यही वजह है कि पार्टी आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में ‘D’ फैक्टर यानी दलित वोट बैंक पर खास ध्यान दे रही। बीजेपी नेताओं को उम्मीद है कि महीनों के लगातार संपर्क अभियान से दलित बहुल इलाकों में पार्टी का प्रदर्शन बेहतर होगा। पार्टी ने ऐसी 30 विधानसभा सीटों में खास रणनीति बनाई है, जहां दलित मतदाता 17 फीसदी से 45 फीसदी तक हैं। इनमें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 12 सीटें भी शामिल हैं। पार्टी की कोशिश इन विधानसभा सीटों पर मजबूत दावेदारी पेश करने की है, जानिए इसकी वजह।
दलितों के प्रभाव वाली सीटों पर बीजेपी का फोकस
दिल्ली चुनाव में दलितों के प्रभाव वाली जिन 30 सीटों पर बीजेपी खास ध्यान दे रही उनमें 12 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटें भी हैं। पार्टी ने पिछले दो चुनावों में इन 12 में से एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। इस बार, बीजेपी ने खासतौर पर झुग्गियों और अनधिकृत कॉलोनियों में दलित कार्यकर्ताओं के जरिए व्यापक संपर्क अभियान चलाया है। बीजेपी का लक्ष्य दलित मतदाताओं को अपनी ओर खींचना है। इसके लिए पार्टी कई स्तरों पर काम कर रही है।
पार्टी चला रही कई खास अभियान
पार्टी ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 12 सीटों के अलावा 18 अन्य सीटों पर भी फोकस किया है, जहां दलित मतदाताओं की अच्छी संख्या है। इनमें राजेंद्र नगर, चांदनी चौक, आदर्श नगर, शाहदरा, तुगलकाबाद और बिजवासन जैसी सीटें शामिल हैं। बीजेपी का अनुसूचित जाति मोर्चा पिछले कई महीनों से इन क्षेत्रों में सक्रिय है। बीजेपी ने दलित वोटर्स तक पहुंचने के लिए एक सुनियोजित रणनीति अपनाई है।
हर मतदान केंद्र पर 10 दलित युवाओं की तैनाती
दिल्ली बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष मोहन लाल गिहारा के अनुसार, 30 विधानसभा क्षेत्रों में दलित समुदाय से संपर्क के लिए अनुसूचित जाति के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को ‘विस्तारक’ नियुक्त किया गया। इन ‘विस्तारकों’ ने हर मतदान केंद्र पर 10 दलित युवाओं को तैनात किया। इन युवाओं का काम अलग-अलग इलाकों और घरों में जाकर लोगों से सीधा संपर्क करना था। भाजपा ने ऐसे 5,600 से ज्यादा मतदान केंद्रों की पहचान की है, जिनमें से 1,900 बूथ पर खास ध्यान दिया गया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद भी उतारे
बीजेपी ने सिर्फ युवा कार्यकर्ताओं पर ही भरोसा नहीं किया, बल्कि अनुभवी नेताओं को भी मैदान में उतारा है। पार्टी के 55 बड़े दलित नेताओं को इस अभियान में शामिल किया गया। इनमें उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा के पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद शामिल हैं। इन नेताओं ने चुनाव क्षेत्रों में लगातार बैठकें कीं और लोगों से सीधा संवाद किया।
दिसंबर से ही ‘अनुसूचित जाति स्वाभिमान सम्मेलन’ का आयोजन
बीजेपी ने स्थानीय स्तर पर प्रभाव रखने वाले लोगों को भी अपने साथ जोड़ा। पार्टी ने लगभग 3,500 ऐसे लोगों से संपर्क किया, जिन्हें समुदाय में ‘प्रमुख वोटर’ माना जाता है। इन लोगों के जरिए पार्टी ने अपने संदेश को घर-घर तक पहुंचाने की कोशिश की। इसके अलावा, दिसंबर से ही बीजेपी ‘अनुसूचित जाति स्वाभिमान सम्मेलन’ आयोजित कर रही है। इन सम्मेलनों में राजनीतिक रूप से प्रभावशाली लोगों, पेशेवरों और समुदाय के प्रमुख स्थानीय लोगों को सम्मानित किया जाता है।
क्या कह रहे बीजेपी के दिग्गज
मोहन लाल गिहारा ने बताया कि अब तक 15 ऐसे सम्मेलन हो चुके हैं, और हर सम्मेलन में बीजेपी का एक दिग्गज नेता मौजूद रहा। उन्होंने कहा कि इन बड़ी बैठकों में समुदाय का बहुत समर्थन दिखा, हर बैठक में दलित समुदाय के 1,500-2,500 आम लोगों ने हिस्सा लिया। बीजेपी का मानना है कि इन सम्मेलनों से पार्टी की छवि दलित समुदाय में मजबूत हुई है।
बीजेपी की रणनीति का कितना होगा असर
इस तरह से 2025 के दिल्ली चुनाव में बीजेपी दलित वोटों को हासिल करने के लिए एक बहु-स्तरीय रणनीति अपना रही है। अब देखना होगा कि इसका कितना असर ग्राउंड पर नजर आता। दिल्ली में 70 विधानसभा सीटों के लिए 5 फरवरी को वोट डाले जाएंगे और नतीजे 8 फरवरी को आएंगे।