परीक्षित निर्भय, नई दिल्ली। Published by: निर्मल कांत Updated Wed, 01 May 2024 03:12 AM IST
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में टीकाकरण के बाद खून के थक्के के केस कुल टीकाकरण की तुलना में आधा फीसदी (0.5) भी नहीं मिले हैं। प्रतिकूल प्रभावों में से 60 फीसदी से अधिक के लिए टीकाकरण को लेकर डर, इंजेक्शन फोबिया जैसे तनाव व कुछ अन्य बीमारियां जिम्मेदार रही हैं।
वैक्सीन – फोटो : istock
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भारत में कोरोना टीका और टीकाकरण की तस्वीर ब्रिटेन से अलग है। ब्रिटेन के कोर्ट में एस्ट्राजेनेका ने कुछ दुर्लभ मामलों में प्रतिकूल प्रभावों (जैसे खून के थक्के जमने) की पुष्टि की है।
भारत में टीकाकरण के बाद खून के थक्के के केस कुल टीकाकरण की तुलना में आधा फीसदी (0.5) भी नहीं मिले हैं। प्रतिकूल प्रभावों में से 60 फीसदी से अधिक के लिए टीकाकरण को लेकर डर, इंजेक्शन फोबिया जैसे तनाव व कुछ अन्य बीमारियां जिम्मेदार रही हैं। ये आंकड़े टीकाकरण के प्रतिकूल प्रभाव की जांच लिए गठित राष्ट्रीय समिति की रिपोर्ट के हैं।
2021 से 2023 के बीच समिति ने 16 अलग-अलग बैठक में कुल 1,681 प्रतिकूल मामलों की समीक्षा की। ये सभी मामले कोविशील्ड या कोवाक्सिन टीका की खुराक लेने के बाद तबीयत बिगड़ने पर अस्पतालों में दाखिल हुए लोगों से जुड़े थे। इनमें 520 लोगों की उपचार के दौरान मौत भी हुई।
टीके को लेकर तनाव नया नहीं भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) का कहना है, टीकाकरण को लेकर तनाव नया नहीं है। इंजेक्शन का तनाव सभी उम्र के लोगों, विशेषकर बच्चों में आम है। कुछ लोग तो टीकाकरण से डरते हैं, देरी करते हैं। इससे धड़कन, सिरदर्द, चक्कर आना, बेहोशी व तनाव से जुड़ी हाइपरवेंटिलेशन जैसी परेशानियां होती हैं।
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