नई दिल्ली. भारत के साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर ने भारत में ‘डिजिटल अरेस्ट’ के अपराधों के बढ़ते मामलों के बारे में एक पब्लिक एडवायजरी जारी की. इस एडवायजरी में पैनल ने कहा कि सीबीआई, पुलिस, सीमा शुल्क, ईडी या कोर्ट जैसी कानून लागू करने वाली एजेंसियां वीडियो कॉल के जरिये गिरफ्तारी नहीं करती हैं और लोगों को इन साजिशों का शिकार होने से सावधान किया. इस एडवायजरी में व्हाट्सएप और स्काइप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लोगो को शामिल किया गया था. केंद्र सरकार ने कहा कि ऐसे घोटालों को अक्सर इन प्लेटफॉर्म के जरिये अंजाम दिया जाता है.
केंद्र सरकार की जारी सलाह में कहा गया है कि ‘घबराएं नहीं, सतर्क रहें. सीबीआई/पुलिस/सीमा शुल्क/ईडी/जज आपको वीडियो कॉल पर गिरफ्तार नहीं करते हैं.’ व्हाट्सएप और स्काइप ने पहले कहा था कि वे यूजर्स की सुरक्षा बढ़ाने के लिए सरकारी साइबर सुरक्षा एजेंसियों के साथ सहयोग कर रहे हैं. इस एडवायजरी में लोगों से ऐसे अपराधों की रिपोर्ट हेल्पलाइन नंबर 1930 पर करने या साइबर अपराध की वेबसाइट पर जाने की भी अपील की गई.
कई लोग फ्रॉड के शिकार
गौरतलब है कि पिछले महीने, नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन (एनबीसीसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी को ‘डिजिटल अरेस्ट’ के मामले में 55 लाख रुपये का चूना लगा था. इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. वहीं 9 सितंबर को, मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल 2 के अधिकारी होने का दावा करने वाले किसी शख्स से 35 साल की महिला को धोखा दिया गया था. धोखेबाज ने दावा किया कि मुंबई पुलिस द्वारा उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है.
डिजिटल अरेस्ट क्या है और यह कैसे होता है?
अनजान लोगों के लिए, ‘डिजिटल अरेस्ट’ एक साइबर अपराध तकनीक है. जहां धोखेबाज किसी शख्स को एसएमएस संदेश भेजते हैं या वीडियो कॉल करते हैं. वे खुद को सरकारी जांच एजेंसियों के अधिकारी होने का फ्रॉड करते हैं. ऐसे मामलों में, धोखेबाज झूठा दावा करते हैं कि शख्स या उनके परिवार के सदस्य को ड्रग ट्रैफिकिंग या मनी लॉन्ड्रिंग जैसे आपराधिक गतिविधियों में शामिल पाया गया है और इसलिए उन्हें वीडियो कॉल पर अरेस्ट किया जा रहा था. साइबर अपराधी फिर पीड़ित को अपने परिसर में सीमित रहने के लिए मजबूर करते हैं, उन्हें ‘डिजिटल अरेस्ट’ के हिस्से के रूप में अपने मोबाइल फोन का कैमरा चालू रखने का निर्देश देते हैं. इसके बाद वे पीड़ित को रिहा करने के लिए ऑनलाइन ट्रांसफर के जरिये पैसे की मांग करते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 6, 2024, 21:56 IST