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Bangladesh: चिन्मय दास की गिरफ्तारी पर भारत के बयान का बांग्लादेश ने किया विरोध, कहा- यह हमारी दोस्ती के खिलाफ

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वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ढाका Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Wed, 27 Nov 2024 12:54 AM IST

बांग्लादेश की एक कोर्ट ने हिंदू संगठन ‘सम्मिलित सनातनी जोत’ के नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया, जिस पर भारत के विदेश मंत्रालय ने चिंता जताई। और कहा यह घटना बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर कई हमलों के बाद हुई है। एमईए के इस बयान को बांग्लादेश सरकार ने निराधार बताया है। 

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Bangladesh govt says MEA statement on Hindu leader’s arrest unfounded contrary to their friendship

चिन्मय कृष्ण दास प्रभु – फोटो : Social Media

विस्तार

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बांग्लादेश सरकार ने हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी पर भारत के विदेश मंत्रालय के बयान पर मंगलवार को तीखी प्रतिक्रिया दी। बांग्लादेश ने कहा कि विदेश मंत्रालय का बयान निराधार और दोनों देशों के बीच दोस्ती के खिलाफ है। बांग्लादेश ने यह भी कहा कि वह अपनी न्यायपालिका में हस्तक्षेप नहीं करता, क्योंकि यह पूरी तरह से स्वतंत्र है। 

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में प्रदर्शन करने पर इस्कॉन के चिन्मय कृष्ण दास प्रभु पर कार्रवाई की गई थी। उनको देशद्रोह और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के आरोप में बांग्लादेश पुलिस ने सोमवार को ढाका एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया था। इसके खिलाफ हिंदू समुदाय के लोग ढाका की सड़कों पर उतर पड़े थे और जाम लगा दिया था। कई जगह से हिंसा की खबरें भी आई थीं। दास हिंदू समूह सम्मिलिता सनातनी जोत के नेता हैं। 

बांग्लादेश ने कहा, ‘इस तरह के निराधार बयान न केवल तथ्यों को गलत तरीके से पेश करते हैं, बल्कि दोनों पड़ोसी देशों के बीच दोस्ती और समझ की भावना के विपरीत भी हैं।’

भारत ने दास की गिरफ्तारी और जमानत से इनकार पर जताई चिंता

इससे पहले, भारत के विदेश मंत्रालय ने दास की गिरफ्तारी और जमानत से इनकार पर चिंता जताई थी। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, हमने बांग्लादेश ‘सम्मिलित सनातनी जोत’ के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और जमानत न दिए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की है। यह घटना बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर कई हमलों के बाद हुई है। हम बांग्लादेश के अधिकारियों से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं, जिसमें शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उनका अधिकार भी शामिल है।

सभी धर्मों के बीच मौजूद सद्भाव को प्रतिबिंबित नहीं करता एमईए का बयान

बांग्लादेश ने जवाब में कहा कि भारतीय विदेश मंत्रालय का बयान देश में सभी धर्मों के लोगों के बीच मौजूद सद्भाव को प्रतिबिंबित नहीं करता है। ढाका ने कहा कि विदेश मंत्रालय का बयान इस बात की पूरी तरह से अनदेखी करता है कि बांग्लादेश सरकार देश के लोगों के खिलाफ घोर मानवाधिकार उल्लंघन के अपराधियों को छूट की संस्कृति को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।

धार्मिक सद्भाव बनाए रखने के लिए बांग्लादेश ने बढ़ाई सुरक्षा

बांग्लादेश ने यह भी कहा कि वह देश में धार्मिक सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही, उसने चट्टोग्राम में वकील सैफुल इस्लाम की हत्या पर भी चिंता जताई और सुरक्षा बढ़ाने का ऐलान किया ताकि धार्मिक सद्भाव बनाए रखा जा सके।

मंगलवार दोपहर झड़प में हुई वकील सैफुल की मौत

सहायक लोक अभियोजक सैफुल इस्लाम की मंगलवार दोपहर सुरक्षाकर्मियों और हिंदू समुदाय के नेता के अनुयायियों के बीच झड़प के दौरान मौत हो गई थी, जिन्हें बंदरगाह शहर चट्टोग्राम की एक अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया और जेल भेज दिया।

दास की गिरफ्तारी के संबंध में इस्कॉन बांग्लादेश का बयान

बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति और चिन्मय दास की गिरफ्तारी के संबंध में इस्कॉन बांग्लादेश ने चिंता व्यक्त की है। इस्कॉन ने कहा कि हम बांग्लादेश सम्मिलित सनातनी जोत के प्रवक्ता दास की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करते हैं। हम बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में सनातनी समुदाय के खिलाफ हो रही हिंसा और हमलों की भी आलोचना करते हैं। हम बांग्लादेश के अधिकारियों से यह अपील करते हैं कि वे सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए शांति और सह-अस्तित्व को बढ़ावा दें।

इस्कॉन ने आगे कहा, चिन्मय दास, जो बांग्लादेश सम्मिलित सनातनी जोत के प्रवक्ता और बांग्लादेशी नागरिक हैं, अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा के लिए हमेशा आवाज उठाते रहे हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उनके अधिकार की रक्षा करना और दूसरों को भी इस अधिकार के लिए प्रेरित करना बहुत जरूरी है। हम यह चाहते हैं कि चिन्मय दास और सनातनी समुदाय इस देश के नागरिक के रूप में न्याय के पात्र हैं, और हम इस बात पर जोर देते हैं कि उनके खिलाफ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए। 

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