ऐरावत 2 की खासियतों की बात करें, तो इसकी पेलोड क्षमता 40 किग्रा है। इसमें आठ रोटर लगे हैं, जो ड्रोन को चारों दिशाओं में घुमा सकते हैं। यह एक घंटे में फुल चार्ज हो सकता है और 45 मिनट तक हवा में रह सकता है।
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ऐरावत। – फोटो : amarujala
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दूर दराज के इलाकों और हाई एल्टीट्यूड एरिया में भारतीय सेना को सामान पहुंचाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। खासतौर पर 18 हजार फीट के ऊपर कम वजन का सामान या हथियार पहुंचाने के लिए या तो हेलीकॉप्टर पर निर्भर रहना पड़ता है या फिर अगर वहां सड़क मार्ग है, तो वाहन के जरिए ही पहुंचाया जा सकता है। वहीं, अब यह काम ड्रोन करेगा, क्योंकि भारतीय सेना को 40 किग्रा पेलोड की क्षमता वाले स्वदेशी तकनीक से बने ऐरावत ड्रोन बेहद पसंद आए हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इनकी डिलीवरी भी शुरू की जाएगी।
दुनिया का पहला हाई एल्टीट्यूड लॉजिस्टिक्स ड्रोन
फिरोजाबाद की ऑर्डिनेंस इक्विपमेंट फैक्टरी हजरतपुर (OEFHZ) ने सैन्य ऑपरेशन के लिए 20 से 100 किग्रा का वजन ढोने की क्षमता वाले लॉजिस्टिक ड्रोनों को डिजाइन किया है, इनमें ऐरावत-1 की क्षमता 20 किग्रा, ऐरावत-2 की क्षमता 40 किग्रा है। जबकि ऐरावत-3 जिसकी पेलोड क्षमता 100 किग्रा है, हालांकि वह अभी डेवलपमेंट फेज में है। ऐरावत-3 उच्च हिमालय इलाकों में भारतीय सेना के लिए एयर एम्बुलेंस के तौर पर काम करेगा। ऑर्डिनेंस फैक्टरी का कहना है कि उन्हें उधमपुर आर्मी कमांड से 13 ऐरावत- 3 ड्रोन डेवलप करने के ऑर्डर मिले हैं। ऑर्डिनेंस फैक्टरी का दावा है कि ऐरावत दुनिया का पहला हाई एल्टीट्यूड लॉजिस्टिक्स ड्रोन है।
हाल ही में वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (VCOAS) लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने रक्षा मंत्रालय की अधीन डिफेंस पीएसयू ट्रूप कंफर्ट्स लिमिटेड (टीसीएल) के कानपुर स्थित मुख्यालय का दौरा किया था। वहीं ऑर्डिनेंस इक्विपमेंट फैक्टरी हजरतपुर असल में टीसीएल की ही यूनिट है, जो भारतीय सेना के लिए इक्विपमेंट और टेक्सटाइल प्रोडक्ट्स बनाती है। दौरे के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी को ऐरावत-2 का ट्रायल रन बेहद पंसद आया था।
सेना वहन करेगी ट्रायल का खर्च
इस साल की शुरुआत में ऐरावत-2 लॉजिस्टिक ड्रोन के उत्तरी कश्मीर में उरी और कुपवाड़ा, पूर्वी लद्दाख में न्योमा और अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में 12,500 फीट तक हाई एल्टीट्यूड इलाकों में परीक्षण आयोजित किए गए थे। ड्रोन ने पेलोड के साथ भारत-चीन सीमा में 5000 मीटर की ऊंचाई तक भी उड़ान भरी। यहां तक कि खराब मौसम में भी ऐरावत ने सफलतापूर्वक मिशन पूरा किया। ट्रायल में पाया गया कि आपदा के दौरान ये ड्रोन पूरी तरह से सफल रहे थे। वहीं वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ ने इसके दुर्गम इलाकों समेत बॉर्डर क्षेत्रों में और परीक्षण करने के लिए कहा है, जिसके ट्रायल का खर्च खुद सेना वहन करेगी।
18 हजार फीट तक उड़ान की क्षमता
ऐरावत 2 की खासियतों की बात करें, तो इसकी पेलोड क्षमता 40 किग्रा है। इसमें आठ रोटर लगे हैं, जो ड्रोन को चारों दिशाओं में घुमा सकते हैं। यह एक घंटे में फुल चार्ज हो सकता है और 45 मिनट तक हवा में रह सकता है। ऐरावत-2 10 किमी की रेंज में सामान की डिलीवरी कर सकता है। ऑर्डिनेंस फैक्टरी का दावा है कि ऐरावत-2 लॉजिस्टिक ड्रोन समुद्री तट से 18 हजार फीट ऊंचाई तक उड़ सकता है।
एयर एंबुलेंस का काम करेगा ऐरावत-3
वहीं, अगर ऐरावत-3 अगर भारतीय सेना में शामिल होता है, तो हाई एल्टीट्यूड एरिया में बतौर एयर एंबुलेंस यह बेहद अहम भूमिका निभा सकता है। सियाचिन जैसे इलाकों में अक्सर जवानों को कम ऑक्सीजन के चलते हाई एल्टीट्यूड सिकनेस और एवलांच जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में उन्हें तुरंत मेडिकल सपोर्ट की जरूरत पड़ती है। लेकिन कई बार मौसम खराब होने से हेलीकॉप्टर का सपोर्ट नहीं मिल पाता और कई दिनों तक इंतजार करना पड़ जाता है। वहीं ऐरावत-3 के आने के बाद उन्हें घायल और बीमार सैनिक को मेडिकल सेंटर तक पहुंचाया जा सकेगा। वहीं ऑर्डिनेंस फैक्टरी इसमें सटीक लोकेशन और मौसम की जानकारी के लिए इसमें राडार सिस्टम भी जोड़ेगी।
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