देश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस कोर्स में दाखिला लेना एक सबसे बड़ी चुनौती है. इस साल एमबीबीएस और बीडीएस कोर्स में दाखिले के लिए करीब 24 लाख बच्चों ने नीट यूजी की परीक्षा दी थी. लेकिन, इस परीक्षा में धांधली के आरोप लग रहे हैं. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जा चुकी है. आलम यह है कि इस साल नीट यूजी में टॉप करने वाले सभी छात्रों को देश के सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज एम्स, नई दिल्ली में दाखिला नहीं मिलेगा. इस साल नीट यूजी में 64 बच्चों ने टॉप किया है, लेकिन एम्स में एमबीबीएस की जनरल कैटगरी की सीटें केवल 48 है.
यानी इन टॉपरों में से कई को इस बार इस टॉप कॉलेज में दाखिला नहीं मिलेगा. आरोप लगाए जा रहे हैं कि नीट यूजी की परीक्षा में धांधली की वजह से इतने बच्चे टॉप हुए हैं. खैर, हम इस विवाद को लेकर अभी बात नहीं कर रहे हैं. हम आपके साथ एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के बारे में बात करते हैं. वैसे तो प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के बारे में लोगों की धारणा ठीक नहीं है. एक तो इन कॉलेजों की फीस और दूसरी उनके यहां पढ़ाई की गुणवत्ता हमेशा से सवालों के घेरे में रही है. लेकिन, आज हम जिस कॉलेज की बात कर रहे हैं वो प्राइवेट तो हैं लेकिन यहां बच्चे कई एम्स छोड़कर दाखिला लेने आते हैं.
सीएमसी वेल्लोर
दरअसल, हम जिस कॉलेज की बात कर रहे हैं उसका नाम है सीएमसी वेल्लोर. यह तमिलनाडु का एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज है, लेकिन इसकी ख्याति दूर-दूर तक है. इस कॉलेज में एमबीबीएस की फीस काफी कम है. सालाना ट्यूशन फीस मात्र 3000 रुपये हैं. इसके अलावा फर्स्ट ईयर में एडमिशन के वक्त 8800 रुपये देने होते हैं. अन्य एनुअल फी 15,105 रुपये है. वन टाइम पेमेंट 13,425 रुपये हैं. इस फी स्ट्रक्चर को देखकर कोई भी भरोसा नहीं करेगा कि देश के एक निजी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई इतनी सस्ती है.
1900 में बना ये कॉलेज
क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (CMC) एक अल्पसंख्यक अनएडेड संस्थान है. इसकी स्थापना 1900 में हुई थी. शुरुआत में यह एक सिंगल बेड का क्लिनिक था और इसका नेतृत्व डॉ. इडा सोफिया स्कूडर ने किया था. सोफिया एक अमेरिकी मिसनरी की इकलौती बेटी थीं. इस संस्थान में 1918 से मेडिकल की पढ़ाई चल रही है. यहां 1942 से एमबीबीएस की डिग्री दी जा रही है. मेडिकल के क्षेत्र में यह देश ही नहीं दुनिया की एक प्रमुख संस्था है.
NIRF रैंकिंग में तीसरे नंबर पर
इस संस्थान की प्रतिष्ठा का अनुमान आप इसी से लगा सकते हैं कि यह एनआईआरएफ रैंकिंग में तीसरे नंबर का कॉलेज है. इससे ऊपर केवल दो कॉलेज हैं. पहले नंबर पर एम्स दिल्ली है तो दूसरे नंबर पर पीजीआई, चंडीगढ़.
अब आप सोच रहे होंगे को हमने तो इसको एम्स से बेहतर कॉलेज बताया है. जी हां, आप बिल्कुल सही सोच रहे हैं. दरअसल, इस वक्त देश में 20 एम्स में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू हो चुकी है. लेकिन, एम्स दिल्ली को छोड़कर कहीं कोई भी दूसरा एम्स देश के टॉप-10 मेडिकल कॉलेजों में भी शामिल नहीं है. एम्स जोधपुर की रैंकिंग 13 है, जबकि एम्स भुवनेश्वर- 17, एम्स ऋषिकेश- 22, एम्स पटना- 27, एम्स भोपाल- 38 और एम्स रायपुर-39वें स्थान पर है. बाकी के एम्स एनआईआरएफ रैंकिंग तक में शामिल नहीं हैं.
ऐसे होता है एडमिशन
यह कॉलेज तमिलनाडु में स्थिति है. यहां नीट के नियम लागू होते हैं. नीट यूजी स्कोर पर एडमिशन मिलता है. 85 फीसदी सीटें स्टेट कोटा के तहत रिजर्व हैं. 15 फीसदी सीटें ओपन कोटा में हैं. इसने नीट 2024 के लिए कटऑफ जारी कर दिया है. यहां जनरल कैटगरी में 670 से 650 के स्कोर वाले बच्चों को काउंसलिंग के लिए बुलाया गया है. ईडब्लूएस का स्कोर 635 से 625 रखा गया है. ओबीसी का स्कोर 550 से 535 रखा गया है.
Tags: MBBS student, NEET, Neet exam
FIRST PUBLISHED :
June 24, 2024, 17:55 IST