सिंगरौली में नॉर्दर्न कोल फील्ड लिमिटेड (एनसीएल) के डॉक्टर की नदी में डूबने से मौत हो गई। वह नदी में डूब रही 13 साल की बच्ची को बचाने उतरे थे। उनके साथ 5 और लोग भी नदी में उतरे थे। लोगों को डूबता देख एक किसान विश्वनाथ ने मंदिर की 50 फीट ऊंची छत से नद
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इनकी फैमिली पिकनिक मनाने आई थी
1. रिटायर्ड डॉ. प्रवीण मुंडा
2. डॉ. हरीश सिंह पिता योगेन्द्र सिंह
3. डॉ. डीजे बोरा पिता दिलीप बोरा
4. सुनील कुमार पिता सुभाष कुमार (विजिलेंस ऑफिसर)
5. पीके भंडारी उर्फ प्रवीण कुमार (विजिलेंस ऑफिसर)
(एनसीएल में स्थित नेहरू अस्पताल में डॉ. हरीश सिंह (37) डेंटिस्ट थे। सोमवार सुबह प्रेरणा मुंडा (13) पुत्री डॉ. प्रवीण मुंडा का शव निकाला गया।)
रात में कुछ घंटे बच्ची की तलाश की गई। सोमवार सुबह सर्च ऑपरेशन के दौरान उसका शव मिला।
विश्वनाथ बोला– नदी में जाने से मना किया था, नहीं माने मेरा, रमेश, बाबू और राजकुमार नामदेव के नदी किनारे खेत हैं। हम वहीं पर थे। रविवार दोपहर के करीब 12:30 बजे थे। गोपद नदी किनारे मंदिर के पास 5 गाड़ियां आकर रुकीं। इनमें 18 से 20 लोग थे। इनमें 5 पुरुष, 5 महिलाएं और करीब 8 बच्चे थे। सभी बच्चों की उम्र 7 से 14 साल के बीच थी। वे लोग अपने घर से खाना लेकर आए थे। चूंकि यहां नदी में पानी कम था, इसलिए टिफिन और चटाई लेकर पैदल नदी पार करते हुए सभी दूसरे किनारे पहुंच गए।
साथी, रमेश भाई को डॉ. प्रवीण मुंडा पहले से जानते थे। उन्होंने रमेश को कॉल कर बुलाया। उसके साथ हम सभी साथ पहुंचे। हम नदी के इस पार और वो दूसरे किनारे पर थे। सभी लोग पार्टी में मस्त हो गए। हम भी मंदिर देखने चले गए। हमने सभी से पानी में नहीं उतरने के लिए भी कहा था।
मना करने के बाद भी बच्चे नहाने के लिए नदी में उतर गए। इनमें से प्रेरणा मुंडा (13) बेटी और अन्य बच्चा ट्यूब लेकर आए थे। ट्यूब पर बैठकर दोनों नदी में नहाने लगे। थोड़ी देर बाद प्रेरणा मुंडा ट्यूब के सहारे गहरे पानी में चली गई। वहां करीब 40 फीट गहरा पानी है। उनके साथ नहा रही एक अन्य लड़की उसे बचाने गई, तो वह भी डूबने लगी। फिर बच्चों ने शोर मचाया।
प्रेरणा मुंडा अपने माता-पिता के साथ नदी में नहाने उतरी थी।
तैरना नहीं जानते थे हरीश सिंह, फिर भी कूद गए शोर सुनकर रिटायर्ड डॉ. प्रवीण मुंडा, डॉ. हरीश सिंह, डॉ. डीजे बोरा, सुनील कुमार और पीके भंडारी भी दौड़े। सभी ने बच्चों को बचाने के लिए नदी में छलांग लगा दी। डॉ. हरीश सिंह तैरना नहीं जानते थे। बाकी चारों को भी कम ही तैरना आता था। इधर, हम लोग भी दौड़ पड़े। पानी का बहाव तेज होने के कारण पांचों डूबने लगे। वहां अफरा-तफरी और चीख-पुकार मच गई।
चूंकि मैं मंदिर की छत पर खड़ा था। मैं छत पर से 50 फीट नीचे नदी में कूद गया। चारों साथियों ने दूसरे किनारे से जाकर बचाने पहुंच गए। सभी लोग पानी में दिख रहे थे, इसलिए जैसे-तैसे पांचों पुरुषों और एक बच्ची बाहर लेकर आ गए। वहीं, प्रेरणा मुंडा गहरे पानी में लापता हो गई। बचाने के लिए महिलाएं भी पानी में उतर रही थीं, लेकिन हमने उन्हें नहीं जाने दिया।
इस बीच, रमेश भाई ने पुलिस को भी सूचना दे दी थी। डॉ. हरीश सिंह की हालत ज्यादा खराब थी। इतने में पुलिस भी पहुंच गई। डॉ. हरीश सिंह को नजदीकी सरई अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।’
घटनास्थल थाने से तकरीबन 17 किलोमीटर दूर है। मौके पर लोगों की भीड़ जमा हो गई।
थोड़ी देर हो जाती, तो कोई नहीं बचता विश्वनाथ ने बताया कि मंदिर से घटनास्थल की दूरी करीब 200 मीटर है। अगर मैं मंदिर से नीचे उतर कर पैदल वहां जाता, तो करीब 5 से 10 मिनट लग सकते थे। क्योंकि वहां घूमकर जाना पड़ता। इतनी देर में तो पांचों डूब जाते, इसलिए जान की परवाह किए बिना मैंने नदी में छलांग लगा दी। जो भी पानी में दिखा, उसे बाहर निकालते गए।
झारखंड के रहने वाले थे
देउरदह थाना प्रभारी पुष्पेंद्र धुर्वे ने बताया कि वे झारखंड के रहने वाले थे। सोमवार को सरई के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दोनों के शव का पोस्टमार्टम किया गया। यहां से परिजन शव लेकर झारखंड चले गए।
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बच्ची को बचाने में खुद डूबे डॉक्टर, मौत:13 साल की लड़की का शव बरामद
सिंगरौली में नॉर्दर्न कोल फील्ड लिमिटेड (एनसीएल) के डॉक्टर की नदी में डूबने से मौत हो गई। वह नदी में डूब रही 13 साल की बच्ची को बचाने उतरे थे। इसी दौरान गहरे पानी में चले गए। डॉक्टर का शव बरामद कर लिया है। एसडीईआरएफ ने टीम ने रात में बच्ची की तलाश की लेकिन सफलता नहीं मिली। सोमवार सुबह फिर से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया और नदी से बच्ची का शव बरामद कर लिया गया। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…