हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा भुगतने वाले एक पूर्व सैनिक को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हालांकि इतने सालों जेल में काटने के बाद अब हाईकेोर्ट ने उसे बरी किया है तो उस पर जो दाग लगा वह मिटेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 42 साल बाद पूर्व सैनिक
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यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति आर एम एन मिश्र की खंडपीठ ने मुरारी के वरिष्ठ अधिवक्ता की दलीलों को सुनकर दिया।
बदायूं में 1982 में हुई थी हत्या, अब हुआ बरी
मालूम हो कि 6 जुलाई 1982 को फूल सिंह की हत्या कर दी गई जब वह अपने गांव वजीरगंज आ रहे थे। उनके भाई। शिवदान सिंह ने एफआईआर दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि मुरारी लाल ने दुश्मनी वश बंदूक से गोली चलाकर हत्या कर दी। सत्र अदालत बदायूं ने दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। इस समय आरोपी जमानत पर हैं।
कोर्ट ने कहा साइट प्लान दोषपूर्ण है स्पष्ट नहीं है कि फूलसिंह की हत्या गांव आते समय या गांव जाते समय की गई। एकमात्र चश्मदीद का बयान विश्वसनीय नहीं क्योंकि किसी गवाह ने उसकी बात का समर्थन नहीं किया। पंचायतनामा पर हस्ताक्षर करने वाले ने इंकार किया है कि उसने हस्ताक्षर नहीं किए।किसी ने कहा लाश थाने ले गए तो किसी ने कहा थाने में लाश नहीं गई।
अभियोजन पक्ष की तमाम नाकामियों के कारण कोर्ट ने अभियुक्त अपीलार्थी पर हत्या करने के आरोप को संदेहास्पद माना और सजा रद्द कर दी है। कोर्ट ने कहा अभियुक्त जमानत पर हैं, इसलिए समर्पण करने की जरूरत नहीं है। नियमानुसार कार्रवाई करें।