देश में खेती-किसानी को लेकर युवाओं में क्रेज तेजी से कम हो रहा है. इसका एक सबसे बड़ा कारण उपज का सही दाम न मिलना है. इसमें काफी हद तक सच्चाई भी है. निश्चित तौर पर परंपरागत खेती में किसान को कुछ खास नहीं मिल रहा है. इसी कारण वे अपनी गेहूं-धान जैसी फसलों की उचित कीमत हासिल करने के लिए सरकार पर दबाव डालते हैं. खैर, इस विषय को यहीं छोड़ते हैं. अगर आपके पास निवेश करने के लिए थोड़ा पैसा है और आप पढ़े-लिखे हैं तो खेती में नवाचार, नई फसल और नई तकनीक के इस्तेमाल में बहुत अच्छा पैसा कमा सकते हैं.
आज की कहानी देश के सबसे अमीर राज्यों में से एक गुजरात की. यहां के एक किसान ने एक इजरायली फल की खेती की है. यह जरूर है कि उसे इस खेती में ठीक-ठाक निवेश करना पड़ा. इस फल के एक पौधे की ही कीमत करीब 4 हजार रुपये आई थी. लेकिन, किसान ने हिम्मत जुटाई और थोड़ा रिस्क लिया. आज वह इस फल की बदौलत केवल 5 एकड़ जमीन में सालाना 12 से 15 लाख रुपये की कमाई कर रहा है.
150 किलो पैदावार
दरअसल, मध्यपूर्व का खजूर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. यह मुख्य रूप से अरब देशों और इजरायल के रेगिस्तानी इलाकों में पैदा होता है. पैष्टिकता की दृष्टि से एक बेहतरी फल है. वैसे भारत के मैदानी इलाकों में खजूर होता है लेकिन इसकी गुणवत्ता अरब देशों जैसी नहीं होती.
इसी उद्देश्य से गुजरात के एक किसान ने इसकी खेती है. वैसे गुजरात का कच्छ इलाका भी रेगिस्तानी है और यहां खास किस्म का खजूर पहले से पैदा होता है. उसकी अपनी एक अलग पहचान है. इसी कड़ी में मुंबई में दुकान रखने वाले कच्छ के एक व्यापारी ने पांच एकड़ में बरही पीली खजूर की खेती की है, जहां वह एक एकड़ से सालाना 3.5 लाख कमाते हैं, जिसमें से 50,000 का खर्च आता है और एक पौधे से 150 किलो की पैदावार होती है.
ये किसान हैं 55 वर्षीय करसनभाई. वह कच्छ के मूल निवासी हैं और मुंबई में एक दुकान के मालिक हैं. करसनभाई वाविया भचाऊ तालुक के नवा कटारिया के निवासी हैं और खेती के शौकीन हैं. इसी शौक के चलते उन्होंने छह साल पहले अपनी पांच एकड़ जमीन में खजूर लगाया, जिसमें 300 पौधे वे इजराइली खजूर के लगाए. इन पौधों की कीमत 3500-4000 रुपये थी. उन्होंने इन पौधों को तीन साल तक नियमित रूप से सींचा और फिर इसमें फल आना शुरू हो गया.
खजूर की कीमत और बिक्री के बारे में पूछताछ करते हुए करसन भाई ने कहा कि खुदरा कीमत प्रति किलो करीब 100 रुपये है. थोक कीमत 50 रुपये प्रति किलो है. वर्तमान में एक पौधे की पैदावार 50 से 70 किलो है. इस वर्ष उन्होंने 260 पौधों से 39 से 40 टन खरेक प्राप्त किया है.
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FIRST PUBLISHED :
July 14, 2024, 19:11 IST