दिल्ली महिला आयोग से 223 कर्मचारियों को निकाले जाने के पीछे की वजह बताते हुए आरोप लगाया गया है कि DCW अध्यक्ष (स्वाति मालीवाल) ने वित्त विभाग/दिल्ली LG की मंजूरी के बिना इन कर्मचारियों को नियुक्त किया था. जबकि, DCW के पास उन्हें संविदा कर्मचारियों के रूप में नियुक्त करने की शक्तियां नहीं थीं.
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दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना (File Photo)
अमित भारद्वाज
- नई दिल्ली,
- 02 मई 2024,
- (अपडेटेड 02 मई 2024, 11:53 AM IST)
दिल्ली महिला आयोग से 223 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है. इन कर्मचारियों की सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई है. इस एक्शन का आदेश दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिया है. बताया जा रहा है कि यह कार्रवाई 2017 में LG को सौंपी गई जांच रिपोर्ट के आधार पर की गई है.
दिल्ली महिला आयोग से 223 कर्मचारियों को निकाले जाने के पीछे की वजह बताते हुए आरोप लगाया गया है कि DCW अध्यक्ष (स्वाति मालीवाल) ने वित्त विभाग/दिल्ली LG की मंजूरी के बिना इन कर्मचारियों को नियुक्त किया था. जबकि, DCW के पास उन्हें संविदा कर्मचारियों के रूप में नियुक्त करने की शक्तियां नहीं थीं. यह भी कहा गया है कि डीसीडब्ल्यू अधिनियम के तहत केवल 40 ही स्वीकृत हैं.
नहीं ली गई थी मंजूरी
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एक्शन के पीछे की एक वजह यह भी बताई गई है कि इन नियुक्तियों से पहले अतिरिक्त वित्तीय भार के लिए कोई मंजूरी नहीं ली गई थी. भर्तियों से पहले जरूरी पदों की सटीक संख्या जानने के लिए कोई आकलन भी नहीं किया गया था.
जनवरी में दिया इस्तीफा
बता दें कि राज्यसभा प्रत्याशी बनाए जाने के बाद दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने जनवरी 2024 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. स्वाति मालिवाल को आम आदमी पार्टी की सरकार ने 2015 में दिल्ली महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया था. पद पर रहने के दौरान उन्होंने महिलाओं से जुड़े कई बड़े मुद्दे उठाए.