होमन्यूज़इंडिया4 बार UPSC क्लियर करने के बाद भी नौकरी नहीं पा सका ये दिव्यांग, जानें ISRO साइंटिस्ट कार्तिक कंसल की पूरी कहानी
उत्तराखंड के रहने वाले इसरो वैज्ञानिक कार्तिक कंसल अब तक 4 बार UPSC परीक्षा क्लियर कर चुके हैं, लेकिन उन्हें अब तक नियुक्ति नहीं मिल पाई है. वह डिसेबिलिटी की PwBD-1 श्रेणी में आते हैं.
By : एबीपी लाइव | Edited By: Sachin Kumar Singh | Updated at : 20 Jul 2024 10:13 PM (IST)
ISRO साइंटिस्ट कार्तिक कंसल की कहानी
Kartik Kansal: इंसान अपनी योग्यता के आगे शारीरिक विकलांगता को भी मात दे देता है. ऐसी ही एक कहानी है चार बार के यूपीएससी परीक्षा क्लियर करने वाले ISRO वैज्ञानिक कार्तिक कंसल की. कार्तिक कंसल उत्तराखंड के रूड़की के रहने वाले हैं. वह मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित हैं. इस बीमारी में समय के साथ मांसपेशियों में कमजोरी आती जाती है. कार्तिक 14 साल की उम्र से व्हीलचेयर पर हैं. उनके चार बार यूपीएससी परीक्षा क्वालिफाई करने के बाद भी उन्हें किसी भी सेवा के लिए नियुक्ति नहीं मिली.
कार्तिक की कहानी ऐसे समय में सामने आई है जब आईएएस पूजा खेडकर का मामला चरम पर है, जिनपर फर्जीवाड़े से यूपीएससी परीक्षा पास करने का आरोप है. कार्तिक अब तक यूपीएससी परीक्षा में कुल छह बार बैठ चुके हैं. इनमें से चार बार उन्हें सफलता मिली है. 2019 में उनकी रैंक (AIR) 813 थी, जो 2021 में बढ़कर 271 हो गई. ये इनका अब तक सबसे बेहतरीन प्रदर्शन था. इसके बाद यूपीएससी-2022 में 784 और यूपीएससी-2023 में 829 थी. इसके बावजूद उन्हें अपने तीन सफल प्रयासों में सेवा आवंटित नहीं की गई है जबकि 2023 में चौथे अटेम्प्ट के लिए सेवा आवंटन भी लंबित है.
कैट में अपना केस लड़ रहे हैं कार्तिक
कार्तिक फिलहाल सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT) में अपना केस लड़ रहे हैं. साल 2021 से उनके यूपीएससी रिजल्ट के आधार पर मामला कैट में लंबित है. कार्तिक बड़े गर्व से कहते हैं कि वह लड़ने के लिए दृढ़ हैं. 2021 के यूपीएससी नोटिफिकेशन के मुताबिक, डिसएबिलिटी मानदंड दो चीजों- फंक्शनल क्लासिफिकेशन और फिजिकल रिक्वायरमेंट पर आधारित हैं. आवंटन की प्रक्रिया के दौरान, डीओपीटी की ओर से कार्तिक को बताया गया कि उनका फंक्शनल क्लासिफिकेशन और फिजिकल रिक्वायरमेंट उस सेवा की आवश्यकताओं के मुताबिक नहीं हैं जिसके लिए उन्होंने आवेदन किया था.
सभी फिजिकल रिक्वायरमेंट पूरा करते हैं कार्तिक
कार्तिक देखने, बैठने, पढ़ने, लिखने और बातचीत करने जैसी सभी फिजिकल रिक्वायरमेंट को पूरा करते हैं. कार्तिक की दूसरी प्राथमिकता IRS थी, जिसके नोटिफिकेशन के कंडीशन में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी भी शामिल थी. 2021 के नोटिफिकेशन में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, दोनों पैर, दोनों हाथ, एक हाथ और एक पैर जैसी डिसएबिलिटी को स्वीकार करने वाले कॉलम शामिल हैं. डीओपीटी के अनुसार, नोटिफिकेशन IRS सेवा के लिए विकलांग व्यक्तियों के लिए मस्कुलर डिस्ट्रॉफी को एक योग्य कंडीशन के रूप में स्वीकार करती है.
मौका नहीं मिलना कार्तिक के लिए निराशाजनक
कार्तिक के नजरिए से ये काफी निराशाजनक है, जिन्होंने अपनी विकलांगता के बावजूद चार बार यूपीएससी परीक्षा क्वालीफाई की है और सेवा के लिए लगभग सभी विकलांगता के मानदंडों को पूरा करते हैं. लेकिन फिर भी उन्हें सेवा का मौका नहीं दिया गया है. कार्तिक यूपीएससी में डिसेबिलिटी की PwBD-1 श्रेणी में आते हैं. 1985 बैच के पूर्व IAS अधिकारी संजीव गुप्ता ने एबीपी न्यूज से मामले को लेकर कहा कि 2021 यूपीएससी परीक्षा में 271 रैंक के साथ, कार्तिक आसानी से बिना किसी रिजर्वेशन अपनी पसंद की सेवा प्राप्त कर सकते थे.
कार्तिक के भाई वरुण कंसल ने एबीपी न्यूज से बात करते हुए कहा कि 8 साल की उम्र में ही उन्हें मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का पता चला, जिसके कारण 14 साल की उम्र के बाद उन्हें व्हीलचेयर पर बैठना पड़ा. यह बीमारी जेनेटिक थी और वह इसके बारे में कुछ नहीं कर सकते थे. यहां तक कि उन्हें अपनी डिसेबिलिटी की वजह से जिंदगी में कई बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ा है.
(इनपुट- अहमद बिलाल)
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Published at : 20 Jul 2024 10:13 PM (IST)
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