हाइलाइट्स
यूपी के 5 एक्सप्रेसवे के किनारे उद्योग स्थापित किए जाएंगे. सरकार की प्लानिंग करीब 2 हजार उद्योग लगाए जाने की है. इससे अगले 10 साल में 20 लाख नौकरियां पैदा हो सकती हैं.
नई दिल्ली. देश में सबसे ज्यादा एक्सप्रेसवे वाले राज्य उत्तर प्रदेश में अब विकास का नया खाका तैयार हो रहा है. सरकार ने प्रदेश में बन रहे गंगा एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक इकाइयां लगाने की बात कही है. इससे एक्सप्रेसवे के किनारे पड़ने वाले 11 जिलों के लोगों को फायदा होगा और उनकी कमाई के नए द्वार खुलेंगे. माना जा रहा है कि मेरठ से प्रयागराज तक एक्सप्रेसवे के किनारे करीब 2 हजार औद्योगिक इकाइयां लगाई जाएंगी.
दरअसल, योगी सरकार अब प्रदेश को उद्योग के क्षेत्र में अग्रणी बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही है. इसके लिए प्रदेश सरकार ने देश के साथ-साथ विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने का पूरा खाका तैयार कर लिया है. प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंदी का कहना है कि एक्सप्रेसवे विकास के नए रास्ते खोलेंगे. हम प्रदेश को उद्योग क्षेत्र में आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं और इसमें सबसे बड़ी भागीदारी एक्सप्रेसवे की होगी.
10 साल में 20 लाख नौकरियां
मेरठ से प्रयागराज तक बन रहे करीब 600 किलोमीटर के गंगा एक्सप्रेसवे के किनारे उद्योगों को बड़ी संख्या में भूमि का आवंटन किया जाएगा. इससे अगले 10 साल में 20 लाख नौकरियां पैदा करने का लक्ष्य है. सरकार ने अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी की अध्यक्षता में जमीन आवंटन नीति बनाने की तैयारी कर ली है. यह समिति रेट तय करने से लेकर उद्योग स्थापित करने तक पूरा काम देखेगी.
5 एक्सप्रेसवे का होगा चुनाव
यूपी सरकार सिर्फ गंगा एक्सप्रेसवे ही नहीं, राज्य के कुल 5 एक्सप्रेसवे के किनारे आने वाले समय में उद्योग स्थापित करने की तैयारी में है. इसके तहत बुलंदशहर एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का चुनाव किया गया है. इन एक्सप्रेसवे के किनारे पड़ने वाले 29 जिलों को विकसित किया जाएगा और इन जिलों के लोगों को रोजगार के साथ कमाई के नए साधन भी मिलेंगे.
किस तरह के उद्योग लगेंगे
गंगा एक्सप्रेसवे के किनारे ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन, सेमीकंडक्टर, भारी इलेक्ट्रिकल व पॉवर उपकरण से लेकर फिल्म निर्माण उद्योग तक को स्थापित किया जाएगा. जमीन आवंटन नीति के तहत ही सभी उद्योगों को मौका दिया जाएगा. इसके लिए बाकायदा क्लस्टर बनाए जाएंगे, जो जमीन का रेट तय करने से लेकर उसे बेचने और उद्योग निर्माण की निगरानी का काम करेगी. सबसे ज्यादा प्राथमिकता सनराइज सेक्टर के उद्योगों को मिलेगी. इसमें ग्रीन हाइड्रोजन, सेमीकंडक्टर, पॉवर उपकरण व सर्कुलर इकनॉमी से जुड़ी परियोजनाएं शामिल होंगी.
क्या है जमीन आवंटन का फॉर्मूला
जिन उद्योगों को 4000 वर्गमीटर तक जमीन दी जाएगी, उन्हें 3 साल के भीतर उद्योग स्थापित करना होगा. 4 से 20 हजार वर्गमीटर जमीन पाने वाली इकाइयों को अपना उद्योग 4 साल के भीतर शुरू करना अनिवार्य होगा. जिन उद्योगों को 20 हजार वर्गमीटर से ज्यादा की जमीन आवंटित की जाएगी, उन्हें 5 साल के भीतर अपनी इकाई लगानी पड़ेगी. इसका फायदा सरकार के साथ आम आदमी को भी मिलेगा और यूपी भी औद्योगिक रूप से अग्रणी राज्यों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा.
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FIRST PUBLISHED :
September 13, 2024, 14:24 IST