मैनपुरी के भोगांव में 16 साल पहले हुए एक जघन्य हत्याकांड में न्याय की देरी से सही पर जीत हुई है। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय तृतीय ने दो सगे भाइयों चंद्रकांत दीक्षित और लक्ष्मीकांत दीक्षित को ओमशरण की हत्या का दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है।
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पूरा मामला अब विस्तार से..
घटना 16 सितंबर 2008 की है, जब आलीपुर पट्टी निवासी ओमशरण दीवानी मामले की तारीख से घर लौट रहे थे। रास्ते में पुरानी रंजिश के चलते तीन सगे भाइयों चंद्रकांत, कृष्णकांत और लक्ष्मीकांत दीक्षित ने उन्हें रोक लिया।
उसके बाद आरोपियों ने बंदूक की बट से ओमशरण की पिटाई कर दी, फिर गला घोंटकर हत्या कर दी और शव को नहर में फेंक दिया। इस घटना को मृतक के भतीजे ने देखा था।
पुलिस ने दी क्लीन चिट
मामले में पुलिस ने जांच के बाद कृष्णकांत को क्लीन चिट दे दी, जबकि चंद्रकांत और लक्ष्मीकांत के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।
अदालत में वादी, जांच अधिकारी, चिकित्सक सहित अन्य गवाहों की गवाही और सबूतों के आधार पर दोनों भाइयों को हत्या और साक्ष्य छिपाने का दोषी पाया गया।
कोर्ट ने दोनों को उम्रकैद की सजा के साथ 25-25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। फैसला सुनाते ही दोनों दोषियों को जेल भेज दिया गया।