Monday, January 13, 2025
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10 किलोमीटर चलने का बूता है? तभी नहा पाएंगे महाकुंभ,प्रमुख पर्वों पर नो व्हीकल

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Mahakumbh mela 2025 : प्रयागराज महाकुंभ में दरिया की ओर उमड़ रहे लोगों के सैलाब को संभालने के लिए प्राशासन ने बहुत सख्त इंतजाम किए हैं. इसकी वजह से मुख्य स्नान पर्वों पर श्रद्धालुओं को संगम तक पहुंचने के लिए कम से कम 10 किलोमीटर…और पढ़ें

Maha Kumbh 2025: अगर आप महाकुंभ मेले में पुण्य लाभ के लिए जा रहे हैं, तो इरादों के साथ पैरों को भी मजबूत रखिए. जनसैलाब को संभालने के लिए प्रशासन ने मेला क्षेत्र को मुख्य स्नानों के दिन व्हीकल फ्री कर रखा है. इसका मतलब ये है कि आपको मेले तक पहुंचने के लिए कम से कम 10 किलोमीटर की दूरी अपने पैरों से चलकर तय करनी होगी. भीड़ बहुत होने की स्थिति में ये दूरी बढ़ सकती है. क्योंकि हर रास्ता पैदल चलने वालों के लिए भी भीड़ के कारण वन वे ही रहेगा. ये व्यवस्था हर मुख्य स्नान पर्व के एक या दो दिन पहले से अगले दिन तक लागू रहेगी.

मकर संक्रांति के अगले दिन तक रहेगा व्हीकल फ्री जोन
सोमवार को पौष पूर्णिमा और मंगलवार को मकर संक्रांति होने के कारण ये व्यवस्था शनिवार यानी 11 जनवरी की शाम 8 बजे से लागू कर दी गई. यातायात पुलिस के मुताबिक 11 जनवरी की शाम से किसी भी तरफ से आने वाले वाहनों को संगम से कम से कम 10 किलोमीटर पहले ही पार्क कर पैदल ही मेले की ओर जाना होगा. अब तक का जो अनुभव रहा है उसके मुताबिक प्रमुख स्नान पर्वों पर मेला प्रशासन वाहनों को रोकने में पूरी सख्ती और मुस्तैदी बरतता है. अगर पुलिस प्रशासन ऐसा न करे, तो हालात पर काबू कर पाना खुद उसके लिए मुश्किल हो जाता है.

दरिया की ओर चल पड़ा लोगों का सैलाब

मुख्य स्नान पर्वों के मौके पर ऐसा लगता है कि लोगों का सैलाब ही दरिया की ओर चल पड़ा हो. ऐसा लगता है लोग एक दूसरे के धक्के से आगे बढ़े जा रहे हों. इस कारण हमेशा आने और जाने का रास्ता पुलिस को अलग अलग बनाना पड़ता है. मेले में प्रवेश करने वालों को जीटी जवाहर से होकर काली सड़क, काली रैंप होते हुए संगम अपर मार्ग से संगम की ओर जाना होता है. जबकि मेले से बाहर निकलने वालों को अक्षयवट मार्ग से होते हुए त्रिवेणी मार्ग पर जाना होगा. ये चक्कर ही आपको कम से कम पांच – छह किलोमीटर घुमा देगा.

भीड़ का दबाव बहुत बढ़ जाने पर मेला प्रशासन भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मेला क्षेत्र में बनाए गए चक्रव्यूह (बैरिकेड्स) में घुसा देता है. ये उसी तरह का होता है, जैसा मंदिरों में दर्शन या हवाई अड्डों पर लाइन को लंबी न बनने देने के लिए चौकोर किस्म के घेरे बना दिए जाते हैं. जिसमें लोगो एक तरफ से चलते चलते भी वहीं का वहीं रहता है. मतलब भीड़ चलती तो रहती है लेकिन बहुत धीमे धीमे आगे बढ़ती है. इससे जनसैलाब को धक्के से एक के ऊपर एक चढ़ने से बचाया जा सकता है और किसी आशंकित हादसे से बचाया जाता है. इस तरह के अलग अलग बैरिकेड्स अलग अलग स्थानों पर बनाया गए हैं. भगदड़ की स्थिति से बचाव में ये बहुत उपयोगी होता है.

किधर से आ रहें है, कहां पार्क करें वाहन जानिए
पुलिस की ओर से जारी एडवाइजरी के मुताबिक मेले में जैनपुर की तरफ से आने वाले यात्रियों को चीनी मिल से लेकर बदरा सोनटी तक बनाई गई पार्किंगों में गाड़ी छोड़नी होगी. ये व्यवस्था सार्वजनिक बसों के लिए भी लागू होती है. इसी तरह वाराणीस से आने वाले यात्रियों को झूंसी से लेकर महमूदाबाद तक में बनाई गई पार्किंगों में अपने वाहनों से उतर जाना होगा. मिर्जापुर की ओर से आने वाले यात्री देवरख से लेकर गजिया तक बनाई पार्किंगों में अपने वाहन छोड़ देंगे. रीवा-बांदा चित्रकूट की ओर से आने वाले वाहन वन प्रयागम और मीरखपुर कछार में गाड़ियां पार्क करेंगे. जबकि कानपुर चित्रकूट की ओर से आने वाले वाहन काली एक्सटेंसन और दधिकांदों में गाड़ियां पार्क कर मेले में आएंगे. लखनऊ प्रतापगढ़ से आने वालों को गंगेश्वर महादेव और आईईआरटी में अपने वाहन खड़ी करेंगे. अयोध्या प्रतापगढ़ की ओर से आने वाले वाहनों के लिए शिवबाबा पार्किंग में अपने वाहन खड़े कर संगम की ओर जा सकते हैं.

ये भी पढ़ें : यादों की रेल लाइन के सहारे जा रहे हैं महाकुंभ, स्टेशनों के नाम में उलझ सकते हैं, नहीं फंसना है तो पढ़ लीजिए

यहां ध्यान रखने वाली बात है कि रेलगाड़ियों को भी अलग अलग स्टेशनों पर टर्मिनेट किया जाएगा और स्टेशन में दाखिल होने और निकलने के लिए अलग अलग छोरों से व्यवस्था की गई है. स्टेशनों से मेले की ओर जाने के लिए कुछ भाड़े वाहन मिलेंगे भी तो वे मेले के प्रवेश द्वार से कम से कम चार-पांच किलोमीटर पहले ही रोक दिए जाएंगे. वहां से यात्रियों को आगे पैदल ही चलना होगा और सड़क मार्ग से आए यात्रियों की ही तरह मेले में प्रवेश करना होगा.

Location :

Allahabad,Uttar Pradesh

First Published :

January 13, 2025, 14:00 IST

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