Friday, November 29, 2024
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Home हीट स्ट्रोक के कहर से पंछी भी बेहाल! पेड़ से गिरकर सीधे मौत के मुंह में समा रहे बेजुबान

हीट स्ट्रोक के कहर से पंछी भी बेहाल! पेड़ से गिरकर सीधे मौत के मुंह में समा रहे बेजुबान

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अनिल सिंह, बांदा: बुंदेलखंड के बांदा में तापमान 48 से 49 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाने से मानों जैसे आसमान से आग बरस रही हो। जिससे इंसान ही नहीं परिंदों पर भी सूरज की तपिश कहर बनकर टूट रही है। यही वजह है कि पेड़ों की डालों पर बैठे पंछी जमीन पर गिर रहे हैं, गिरते ही उनकी मौत हो रही है।

बुंदेलखंड में हर साल भीषण गर्मी पड़ती है। लेकिन इस साल रिकॉर्ड तोड़ गर्मी पड़ रही है। 29 मई को तापमान 49 डिग्री पहुंच गया था। इसके बाद 47 और 48 डिग्री सेल्सियस पर टिका हुआ है। तापमान लगातार बढ़ने से सूरज की तपिश भी बढ़ रही है। तपिश बढ़ने के कारण ही गर्म हवाएं चल रही हैं। जो इंसान और पशु पंक्षियों के लिए भी जानलेवा साबित हो रही है। लू की चपेट में आकर जिले में अब तक चार व्यक्तियों की मौत हो चुकी है। वही हीट स्ट्रोक की चपेट में आकर पंछी भी बड़ी तादाद में मर रहे हैं।

तपती धरती पर गिरते ही मौत के मुंह में समा रहे

चिलचिलाती धूप और गर्म हवाओं के चलते पंछी उड़ान भरने के दौरान जमीन में गिर जाते हैं और तपती धरती पर गिरते ही मौत के मुंह में समा जाते हैं। इसी तरह पेड़ों की डालों पर बैठे पंछी सूरज की तपिश और हीट स्ट्रोक बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं जिससे पेड़ों की डालों से गिरकर पंछी मर जाते हैं। इन पंछियों में कबूतर, तोता कौवा और गौरैयां आदि शामिल हैं। मौत के पीछे पानी भी बताया जा रहा है क्योंकि नदी हो या तालाब हर जगह तापमान बढ़ने से पानी गर्म हो गया है। ठंडा पानी न मिलने से पंछी असमय मौत के शिकार हो रहे हैं।

ढाई सौ चमगादड़ मृत

वहीं बुधवार को जिले के अतर्रा तहसील क्षेत्र में बनाए गए ऑक्सीजन पार्क में लगभग ढाई सौ चमगादड़ मृत पाए गए हैं। उनकी मौत भी हीट स्ट्रोक से हुई है। हालांकि इस संबंध में उपमुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी निर्मल कुमार गुप्ता का कहना है कि चमगादड़ों की मौत क्यों हुई अभी इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है लेकिन इस बात की आशंका है कि शायद गर्मी के कारण उनकी मौत हुई होगी।

लू का शिकार हो रहे पंछी

उधर क्षेत्रीय वन अधिकारी राज नारायण यादव ने पंछियों की मौत के बारे में पूछे जाने पर बताया कि जंगली इलाकों में पंछियों के लिए अनुकूल पानी और हरियाली होती है। जिसके चलते पंछी लू का शिकार नहीं हो पाते हैं लेकिन शहरी इलाकों में पेड़ पौधे कम होने और पानी का पर्याप्त इंतजाम न होने के कारण इस समय प्रतिदिन 50 से 60 पंछी लू का शिकार होकर मर रहे हैं।

इसी तरह पंछी बचाओ अभियान के संयोजक शोभाराम कश्यप का कहना है कि जब तक आम नागरिक जागरूक नहीं होंगे, तब तक गर्मी में पंछियों को बचा पाना मुश्किल काम है। उन्होंने जनता से अपील की है कि अपने अपने घरों में पंछियों के लिए ठंडा पानी और खाने के लिए दाने का इंतजाम करें, जिससे उन्हें गर्मी के मौसम में बचाया जा सकता है।

अभिषेक शुक्ला

लेखक के बारे में

अभिषेक शुक्ला

अभिषेक नवभारत टाइम्स में डिजिटल कंंटेंट प्रड्यूसर के पद पर कार्यरत हैं। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद फिल्म टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया से फिल्म अप्रिशिएशन का कोर्स किया। दैनिक भास्कर से पेशेवर दुनिया में एंट्री की। अभी एनबीटी के साथ पत्रकारिता में सफर जारी है। सिनेमा और राजनीति में खास दिलचस्पी है।… और पढ़ें

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