Saturday, January 18, 2025
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‘हमें यह देखकर दुख हुआ’, सुप्रीम कोर्ट को क्‍यों कहनी पड़ी यह बात

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‘हमें यह देखकर दुख हुआ’, सुप्रीम कोर्ट ने इतना कहते हुए पटना हाईकोर्ट के फैसले को किया रद्द, जानें क्‍या है पूरा मामला

‘हमें यह देखकर दुख हुआ’, सुप्रीम कोर्ट ने इतना कहते हुए पटना हाईकोर्ट के फैसले को किया रद्द, जानें क्‍या है पूरा मामला

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक बार फिर से जमानत से जड़े एक मामले में बड़ा निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि जब एक अदालत पाती है कि अग्रिम जमानत दी जा सकती है तो उसे जमानत की शर्त लगाते समय सावधानी बरतनी चाहिए. खासकर वैवाहिक विवाद से जुड़े मामले में इसका विशेष ख्‍याल रखना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे यह देखकर दुख हुआ कि अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) के लिए कठिन शर्तें लगाने के मामलों की निंदा करने वाले कई फैसलों के बावजूद ऐसे आदेश पारित किए जा रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्‍पणी उस फैसले में आई है, जिसमें दहेज निषेध अधिनियम-1961 (Dowry Prohibition Act-1961) के तहत अपराधों समेत अन्य अपराधों के लिए दर्ज मामले में एक व्यक्ति को अंतरिम अग्रिम जमानत देते समय पटना हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई शर्त को खारिज कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सीटी रवि कुमार और जस्टिस पीके मिश्रा की पीठ ने जमानत देते समय पालन किए जाने योग्य शर्त लगाने की आवश्यकता पर बल दिया. हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की इच्छा पर विचार करते हुए उन्हें लोअर कोर्ट के समक्ष एक संयुक्त हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था, जिसमें कहा गया था कि वे एक साथ रहने के लिए सहमत हुए हैं.

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पटना हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि याचिकाकर्ता को शिकायतकर्ता की सभी शारीरिक और वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक स्‍पेशिफिक कमिटमेंट करना होगा, ताकि वह उसके परिवार के किसी भी सदस्य के हस्तक्षेप के बिना एक सम्मानजनक जीवन जी सके. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश से पता चला कि जो पक्ष अलग होने वाले थे, उन्होंने दोबारा विचार किया और मतभेद भुलाकर फिर से एकजुट होने की इच्छा व्यक्त की.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों परिवारों के समर्थन के बिना विवाह के माध्यम से संबंध विकसित नहीं हो सकते, लेकिन नष्ट हो सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने यह भी कहा कि ऐसी शर्तें लगाना, जैसा कि इस मामले में किया गया है, उसे असंभव और अव्‍यावहारिक ही माना जा सकता है.

Tags: National News, Patna high court, Supreme Court

FIRST PUBLISHED :

August 2, 2024, 23:40 IST

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