हिंदी न्यूज़न्यूज़इंडिया‘स्वतंत्रता सेनानी नहीं आतंकवादी थे भगत सिंह’, कोर्ट में बोली पाकिस्तान की पंजाब सरकार
‘स्वतंत्रता सेनानी नहीं आतंकवादी थे भगत सिंह’, कोर्ट में बोली पाकिस्तान की पंजाब सरकार
लाहौर हाई कोर्ट ने 2018 में पाकिस्तानी पंजाब सरकार को शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने का आदेश दिया था. सरकार ने इसका विरोध करते हुए कहा है वे स्वतंत्रता सेनानी नहीं आतंकवादी थे.
By : एबीपी लाइव डेस्क | Edited By: Gautam Singh | Updated at : 10 Nov 2024 05:45 PM (IST)
पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने लाहौर हाई कोर्ट को दिया जवाब (प्रतीकात्मक तस्वीर)
Pakistan News: पाकिस्तान की लाहौर हाईकोर्ट ने शादमान चौक का नाम स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के नाम पर न रखने के खिलाफ अदालत की अवमानना याचिका पर आगे की सुनवाई 17 जनवरी 2025 तक स्थगित कर दी है. दरअसल, कोर्ट ने इस मामले पर जवाब देने के लिए पंजाब सरकार को आखिरी मौका दिया था. जिसके बाद अपने जवाब में सरकार ने स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह को अपराधी और आतंकवादी बताया है.
दरअसल, पंजाब सरकार ने लाहौर शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने और वहां उनकी प्रतिमा लगाने का विरोध किया है. न्यायमूर्ति शम्स महमूद मिर्जा ने लाहौर में शादमान चौक का नाम स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के नाम पर न रखने के खिलाफ अदालत की अवमानना याचिका पर जवाब देने के लिए सरकार को आखिरी मौका दिया था. जिस पर शनिवार को असिस्टेंट एडवोकेट जनरल असगर लेघारी की ओर से कोर्ट में लिखित जवाब पेश किया गया, जिसमें भगत सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें अपराधी और आतंकवादी बताया गया.
भगत सिंह क्रांतिकारी नहीं बल्कि अपराधी थे
जवाब में कहा गया कि भगत सिंह को महान क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी और शहीद घोषित किया गया,यह सब गलत है. ये परिभाषाएं हम पर लागू नहीं होतीं, भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन ने दुष्प्रचार के जरिए चौक का नामकरण करने का फर्जी मामला बनाया है,यह घिनौनी योजना सफल नहीं होनी चाहिए, लाहौर के सिटी डिस्ट्रिक्ट गवर्नमेंट के जनसंपर्क अधिकारी रिटायर्ड कमोडोर तारिक मजीद के 16 पन्नों के जवाब में कहा गया है कि ‘भगत सिंह की सबकॉन्टिनेंट के स्वतंत्रता आंदोलन में कोई भूमिका नहीं थी, वह 23 साल के थे, वह क्रांतिकारी नहीं बल्कि अपराधी थे,आज के शब्दों में वह आतंकवादी थे.
मुसलमानों के दुश्मन थे भगत सिंह
जवाब में आगे कहा गया “उन्होंने एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या की और इस अपराध के लिए उन्हें दो साथियों के साथ फांसी पर लटका दिया गया, वह नास्तिक थे. उन्होंने खुद इस बात की घोषणा की थी. ऐसे अपराधी को शहीद घोषित करना अपराध है, मुसलमानों के दुश्मन थे. एनजीओ भगत सिंह फाउंडेशन इस्लामी विचारधारा और पाकिस्तानी संस्कृति के खिलाफ काम कर रहा है, इस पर बैन लगाया जाना चाहिए.
पाकिस्तान के अंदर फाउंडेशन को कौन दे रहा समर्थन
जवाब में कहा गया कि क्या फाउंडेशन के पदाधिकारी,जो खुद को मुसलमान कहते हैं, यह नहीं जानते कि पाकिस्तान में किसी नास्तिक के नाम पर किसी स्थान का नाम रखना स्वीकार्य नहीं है और इस्लाम मानव मूर्तियों पर बैन लगाता है?, फर्जी प्रचार के जरिए भगत सिंह को नायक के रूप में पेश करने के पीछे एनजीओ के उद्देश्य क्या हैं?, इसे ये सब करने के लिए पैसा कहां से मिल रहा है?, पाकिस्तान के अंदर और बाहर इसे कौन समर्थन दे रहा है?.
बता दें कि फाउंडेशन के चेयरमैन इम्तियाज राशिद कुरैशी ने एडवोकेट खालिद जमां खान काकर के जरिए दायर अदालत की अवमानना याचिका में जिला सरकार, डीसी लाहौर, मुख्य सचिव पंजाब और प्रशासक सिटी डिस्ट्रिक्ट सरकार को पक्ष बनाया है. हालांकि अदालत ने 17 जनवरी 2025 तक आगे की सुनवाई स्थगित कर दी है.
Published at : 10 Nov 2024 05:45 PM (IST)
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