मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का कहना है कि महायुती में सीएम पद के लिए कोई लॉबिंग नहीं है। हमारे सहयोगी अखबार टीओई को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि महायुति की प्राथमिकता सत्ता में वापसी है। हम एक टीम के रूप में काम कर रहे हैं। इसलिए मुख्यमंत्री पद के लिए कोई होड़ नहीं है। मुख्यमंत्री बनना मेरा लक्ष्य नहीं है। लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र में महायुति को काफी नुकसान हुआ था, लेकिन सीएम शिंदे को अपनी कल्याणकारी योजनाओं और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर जोर देने से सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए चुनाव जीतने की उम्मीद है।
लोकसभा चुनाव में क्यों हुआ नुकसान
शिंदे की शिवसेना 288 सीटों में से 85 पर चुनाव लड़ रही है, इस व्यवस्था से सीएम ने कहा कि वह संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा कि महायुति का स्ट्राइक रेट बहुत अच्छा रहेगा और वह पूर्ण बहुमत से सत्ता में आएगी। सीएम ने कहा कि लोकसभा चुनावों में संविधान को खतरा होने की ‘फर्जी’ बात विपक्ष के काम आई, लेकिन अब यह काम नहीं कर रही है। उन्हें विश्वास था कि राज्य सरकार का प्रदर्शन, उसका त्वरित निर्णय लेना और ‘लाडकी बहिन’ जैसी योजनाएं महायुति के लिए परिणाम लाएंगी।
विपक्ष के आरोप को बताया फर्जी कहानी
शिंदे ने इस आरोप को ‘फर्जी कहानी’ करार दिया कि उनके शासनकाल में उद्योग महाराष्ट्र से बाहर चले गए। उन्होंने कहा कि लाखों करोड़ रुपये निवेश के रूप में आए हैं। भारत में 52% अकेले महाराष्ट्र में एफडीआई के रूप में आया है। हम जीडीपी में और यहां तक कि स्टार्ट-अप में भी नंबर एक हैं। जब उनसे उनके और उनके दो डिप्टी, देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार के बीच अनबन की खबरों के बारे में पूछा गया, तो शिंदे ने जोर देकर कहा कि राज्य सरकार की सभी योजनाएं आम सहमति से शुरू की गई थीं। कोई क्रेडिट वॉर नहीं था।
मनसे से क्यों नहीं हुआ समझौता
उन्होंने कहा कि सीएम के तौर पर मैं राज्य का मुखिया होता हूं, इसलिए मैं योजनाएं शुरू करता हूं, लेकिन डिप्टी सीएम कभी भी किसी चीज का विरोध नहीं करते हैं। राज ठाकरे की मनसे के साथ चुनाव पूर्व समझौता नहीं होने के बारे में शिंदे ने कहा कि शिवसेना ने ठाकरे के बेटे अमित को भांडुप सीट की पेशकश की थी, लेकिन मनसे ने कोई जवाब नहीं दिया।