प्रयागराज महाकुंभ में हुई भगदड़ के बाद अब उज्जैन में सिंहस्थ 2028 को लेकर चिंताएं बढ़ गई है। अमृत स्नान के दिन रामघाट पर होने वाली भीड़ को लेकर अभी से महाकाल मंदिर के पुजारी और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष आमने सामने हो गए है। महाकाल मंदिर के पुजारी और अखिल
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उज्जैन में होने वाले कुम्भ में बड़नगर रोड की ओर शेव सम्प्रदाय और मंगलनाथ क्षेत्र में वैष्णव सम्प्रदाय के साधु-संतों का डेरा होता है। इसलिए वैष्णव के संतो को मंगलनाथ मंदिर के पास बने घाट या फिर सिद्धवट घाट पर स्नान करना चाहिए। वहीं शेव सम्प्रदाय से जुड़े साधु संतो को दत्त अखाड़े और अन्य घाटों पर स्नान करना चाहिए ताकि भीड़ प्रबंधन हो सके।
महेश पुजारी के इस बयान के बाद स्थानीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रामेश्वर दास महाराज ने कहा कि साधु-संतों से भगदड़ निर्मित नहीं होती है। जो परम्परा है उसी के हिसाब से संत स्नान करेंगे। प्रवेश के 6 रास्ते है। इन रास्तों से आने वाले भक्तों को उसी रास्ते में पड़ने वाले पास के घाटों पर स्नान के बाद उन्हें अपने शहर की ओर लौटा देना चाहिए। ताकि रामघाट पर भीड़ जमा नहीं हो पाए।
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2016 सिंहस्थ कुंभ में पहली बार रामघाट पर वैष्णव और दत्त अखाड़ा घाट पर शैव सम्प्रदाय के साधु सन्यासियों ने एक ही समय में अलग-अलग घाट पर स्नान किया था।
साधु-संतों को अलग-अलग घाट दिए जाएं
अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के अध्यक्ष महेश पुजारी ने कहा कि, प्रयागराज कुम्भ में जो घटना हुई वह दुर्भाग्यपूर्ण है। स्वयं संतों को भी अपनी अंतरात्मा से अपने में बदलाव लाना पड़ेगा। जो नहीं ला रहे हैं। कुम्भ में आने वाला हर श्रद्धालु चाहता है कि उज्जैन सिंहस्थ कुम्भ में राम घाट पर स्नान करूं। भक्तों को कहा जाता है पूरी क्षिप्रा हमारी शुद्ध और पवित्र है आप कहीं भी स्नान करोगे तो उसका पुण्य लगेगा।
मुख्यमंत्री जी से हमने मांग करते हुए सुझाव दिया है कि, आगामी 2028 कुंभ में ऐसी योजना बनाई जाए कि, तेरह अखाड़ों में दो दल है राम दल और शेव दल, रामदल के डेरे मंगलनाथ की तरफ है तो राम दल का जो भी सदस्य है, वह मंगलनाथ या सिद्धवट पर शिप्रा में डुबकी लगा ले। इससे शहर में क्राउड नहीं होगा।
अन्य अखाड़ों को अलग-अलग घाट दिए जाएं। राम घाट पर केवल आद्य शंकराचार्य की जो चार पीठ है उनके जो चार शंकराचार्य उनको ही शिप्रा पर स्नान की अनुमति दी जाए। एक घंटे के अंदर सारे साधु संतों का स्नान समाप्त हो जाएगा। जनता के लिए काफी समय बचेगा। अखाड़े के संत बड़े-बड़े जुलूस निकालकर शहर से नदी तक आते हैं। जिससे पुरे शहर का काउंट क्राउड बढ़ता है। जिस कारण से भीड़ बढ़ती है और भगदड़ जैसी स्थिति बनती है। यदि सरकार इस प्लान पर विचार करेगी तो उज्जैन कुंभ ऐतिहासिक होगा।
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श्रद्धालुओं के लिए शहर के हिसाब से घाट निर्धारित हो
महंत डॉ रामेश्वर दास महाराज ने कहा कि ये संभव नहीं की अखाड़े इधर उधर स्नान करें। वैष्णव की पेशवाई स्नान करने के लिए निकलती है। वो खाक चौक से शहर के अंदर होती हुई रामघाट पर पहुंचती है। उससे जनता संतों के दर्शन का लाभ भी ले लेती है।
भीड़ को नियंत्रित करने के लिए साधुओं को अलग अलग भेजने की जगह जनता को अलग अलग घाटों पर भेजने की व्यवस्था करें। परम्परागत स्नान करने का नियम है शेव सम्प्रदाय दत्त अखाड़ा और वैष्णव अखाड़े रामघाट की ओर स्नान करता है।
उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर 30 किमी तक घाट बनाये जा रहे है। भगदड़ जैसी स्थिति से बचने के लिए शहर के 6 प्रवेश द्वार से आने वाले भक्तों को करीब 50 किमी दूर जनता को रोक कर उनके आईडी कार्ड बना कर उन्हें उसी क्षेत्र में घाट निर्धारित कर दिए जाने चाहिए जो उनके रूट में सबसे पास हो और वहीं से उन्हें वापस भेज दिया जाना चाहिए। जैसे इंदौर से आने वाली जनता त्रिवेणी घाट पर ,मक्सी रोड से आने वाले भक्तों को गऊघाट पर। बड़नगर की ओर से आने वाली जनता भूखी माता घाट पर स्नान स्नान कर वापस लौट सकती है।
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2016 सिंहस्थ में ऐसी थी व्यवस्था
राम घाट और दत्त अखाड़ा पर समयानुसार दोनों ही सम्प्रदाय के साधु-संत डुबकी लगाने पहुंचते है। समय खत्म होने के बाद दोपहर करीब 12 बजे रामघाट और दत्त अखाड़ा घाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाता है। हालांकि शिप्रा नदी के त्रिवेणी घाट, गऊघाट, भूखीमाता घाट, कर्कराज घाट, सिद्धनाथ घाट सहित अन्य घाटों पर श्रद्धालु कभी भी स्नान कर सकते है।
सिंहस्थ कुम्भ में दत्त अखाड़ा घाट पर शैव अखाड़ों के नागा सन्यासियों का स्नान सुबह 3 से 11 बजे तक होता है। निर्धारित क्रमानुसार विभिन्न अखाड़ों के साधु, संत स्नान करते है। रामघाट पर वैष्णव अखाड़े 7 बजे बाद स्नान करते है।
2016 सिंहस्थ कुंभ में पहली बार रामघाट पर वैष्णव और दत्त अखाड़ा घाट पर शैव सम्प्रदाय के साधु सन्यासियों ने एक ही समय में अलग-अलग घाट पर स्नान किया था। प्रात: सात बजे से दत्त अखाड़ा घाट आम श्रद्धालुओं के स्नान के लिए खोल दिया था। सुबह 7.30 बजे तक रामघाट पर वैष्णव अखाड़ों का शाही स्नान पूरा होने के बाद इसे भी आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया था।