वाराणसी के MP/MLA कोर्ट में राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला के खिलाफ NBW जारी होने के बाद अब 18 मई को सुनवाई होगी। कोर्ट ने सांसद को 18 मई की तारीख देकर तलब किया गया है, वहीं लगातार कई तारीखों पर नहीं आने के चलते सांसद के खिलाफ दो बार NBW जारी हो
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कांग्रेस सांसद के वकील ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल कर इसे निरस्त करने की मांग की है, वकील ने कोर्ट को एप्लिकेशन देकर केस से सुरजेवाला को राहत देने की गुहार भी लगाई है। इसमें बताया कि सुप्रीम कोर्ट केस में सुनवाई कर रहा है, जिसमें सुनवाई के दौरान निचली अदालत में किसी भी कार्रवाई पर रोक लगाई है। आज कोर्ट में वकील की ओर से सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दस्तावेज पेश किए जाएंगे।
इसमें बताया कि रणदीप सुरजेवाला की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। कोर्ट ने सुनवाई तक वाराणसी अदालत में कार्रवाई पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही सुरजेवाला को राहत तो मिल गई। लेकिन कोर्ट हर बार उन्हें पेश करने का नोटिस दे रहा है।
पहले बताते हैं रणदीप सुरेजवाला पर कार्रवाई
वाराणसी में 23 साल पहले जिला मुख्यालय पर चक्काजाम, सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने में कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला के खिलाफ केस दर्ज है। इसमें बहुचर्चित संवासिनी कांड में कांग्रेस नेताओं को फर्जी ढंग से आरोपी बनाए जाने का आरोप लगाकर 21 अगस्त 2000 को युवा कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष रणदीप सिंह सुरजेवाला और प्रदेश अध्यक्ष एसपी गोस्वामी के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ता आयुक्त कार्यालय परिसर में जबरन घुस गए थे।
कांग्रेस नेताओं ने आयुक्त कोर्ट में घुस कर हंगामा और तोड़फोड़ की थी। सूचना पर पुलिस सभी को शांत कराने गई, तो प्रदर्शनकारी उलझ गए थे। पुलिस टीम ने बल प्रयोग किया, तो कांग्रेस कार्यकर्ता पथराव करते हुए भागने लगे। पुलिस ने मौके से रणदीप सिंह सुरजेवाला और एसपी गोस्वामी सहित कांग्रेस के अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। केस दर्ज कर उनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया था।
संवासिनी कांड में कांग्रेस नेताओं के खिलाफ दर्ज हुआ था केस
वाराणसी में 23 साल पहले बहुचर्चित संवासिनी कांड में कांग्रेस नेताओं के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। इसमें रणदीप सुरजेवाला ने प्रदर्शन कर चक्का जाम किया था। इससे सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का केस दर्ज किया गया था।
सरकारी संपत्ति को हुआ नुकसान, वकील बोले- नाम नहीं
सुरजेवाला के द्वारा किए जाने वाले प्रदर्शन के दौरान उनके समर्थकों के द्वारा कथित तौर पर संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, पथराव किया और लोक सेवकों को उनके कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोका। सुरजेवाला और अन्य के खिलाफ वाराणसी के कैंट थाने में आपराधिक मामला दर्ज किया गया था। फिलहाल, इनके खिलाफ वाराणसी के MP-MLA कोर्ट में ट्रायल चल रहा है।
वहीं सुरजेवाला के वकील का कहना है कि राज्यसभा सदस्य का नाम प्राथमिकी में नहीं है। गिरफ्तारी प्रपत्र और केस डायरी में भी उनका नाम नहीं है। इसके बावजूद उनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया। इसी आधार पर प्रार्थना पत्र देकर मामले से उन्मोचित (छोड़ने) किए जाने का अनुरोध कोर्ट से किया गया था। कोर्ट में बचाव पक्ष की दलीलों का विरोध ADGC विनय कुमार सिंह ने किया।
हाईकोर्ट खारिज कर चुका डिस्चार्ज अप्लीकेशन
लगभग 23 साल पहले चक्काजाम, सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की धाराओं में दर्ज को रद्द करने की सुरजेवाला की याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहले ही खारिज हो चुकी है। सुरजेवाला के अधिवक्ता का कहना है कि राज्यसभा सदस्य का नाम प्राथमिकी में नहीं है। गिरफ्तारी प्रपत्र और केस डायरी में भी उनका नाम नहीं है।
हालांकि अभियोजन की मानें तो सुरजेवाला भी आरोपी हैं और उनकी पत्रावली की सुनवाई अलग चल रही है। उनकी ओर से अदालत में कई बार पत्रावली के स्पष्ट पठनीय कागजात उपलब्ध कराने के लिए अर्जी दी गई। कोर्ट की ओर से स्पष्ट पठनीय कागजात उपलब्ध भी कराया गया था। इसके बाद अब सांसद ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।