नई दिल्ली: पढ़ाई-लिखाई के बाद जहां ज्यादातर लोगों का सपना सरकारी नौकरी पाने का होता है तो वहीं कुल लोग लीक से हटकर सोचते हैं। ऐसा ही कुछ किया डॉ. कामिनी सिंह ने। अच्छी-खासी कमाई कर रहीं कामिनी ने कारोबार के लिए अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी। हालांकि उनका यह निर्णय काफी सही रहा। आज उनका सालाना कारोबार करीब 2 करोड़ रुपये पहुंच गया है।
कामिनी जैविक मोरिंगा (सहजन) की खेती करती हैं। सब्जी बाजार में सहजन की फली काफी मिलती हैं। इन्हें ड्रमस्टिक (Drumstick) भी कहते हैं। इसकी कई तरह से सब्जी बनाई जाती है। इडली और डोसा के साथ बनाए जाने वाली सांभर में सब्जियों के साथ इसका भी इस्तेमाल किया जाता है। कामिनी मोरिंगा (Moringa) के प्लांट से कई तरह के प्रोडक्ट जैसे साबुन, तेल, मच्छर भगाने का स्प्रे, चाय, मोरिंगा पाउडर आदि बनाती हैं। कामिनी का दावा है कि उनके सारे प्रोडक्ट ऑर्गेनिक हैं।
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किसानों के संपर्क में आने से बनी बात
कामिनी लखनऊ स्थित CISH में वैज्ञानिक के रूप में काम करती थीं। काम के दौरान ही उनका रुझान खेती की ओर हो गया। 7 साल नौकरी करने के बाद उन्होंने साल 2015 में मोरिंगा पर रिसर्च करने के लिए इस्तीफा दे दिया। उस दौरान किसानों से जुड़ी एक कंपनी ने उन्हें प्रोजेक्ट डायरेक्टर के पद की पेशकश की, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। इस कंपनी के काम करने के दौरान उनका संपर्क कई किसानों से हुआ।
साल 2017 में शुरू हुआ प्रोजेक्ट
कामिनी बताती हैं कि साल 2017 में उन्होंने मोरिंगा की खेती के लिए किसानों के साथ एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया। मोरिंगा की खेती कामिनी ने इसलिए चुनी क्योंकि इसके लिए किसी भी केमिकल की जरूरत नहीं होती। साथ ही इसकी यह हर मौसम में उग जाता है।
उन्होंने बताया कि इस पेड़ की पत्तियां, जड़ और फल (ड्रमस्टिक) विटामिन और खनिज से भरपूर होते हैं। इसके अर्क का इस्तेमाल एंटीऑक्सीडेंट, एंटी कैंसर, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी डायबिटिक आदि चीजों में होता है।
इसके बाद कामिनी ने साल 2019 में अपनी संस्था बनाई और बड़े स्तर पर काम शुरू कर दिया। इस संस्था के अंतर्गत कामिनी ने किसानों के साथ मिलकर मोरिंगा का पाउडर, साबुन, तेल, कैप्सूल आदि बनाना शुरू कर दिया।
बाद में बढ़ गया कारोबार
कामिनी ने शुरू में सिर्फ मोरिंगा पाउडर बनाया। वह इसे पास के बाजार में कैनोपी स्टॉल के जरिए पाउच पैकिंग में बेचती थीं। उस दौरान उन्हें IIT (BHU) में एक एग्री-बिजनेस इनक्यूबेटर के बारे में सुना। यहां से युवा कृषि कारोबारियों को कई तरह की सुविधाएं मिलती थी।
कामिनी ने वहां मोरिंगा पर एक प्रोजेक्ट के लिए आवेदन किया जिसकी उन्हें मंजूरी मिल गई। वहां से उन्हें 25 लाख रुपये का अनुदान मिला। इसका इस्तेमाल उन्होंने अपने कारोबार को बढ़ाने में किया। उन्होंने तेल निकालने और कैप्सूल भरने की मशीन खरीदी।
सालाना करीब दो करोड़ का रेवेन्यू
आज कामिनी का यह कारोबार करोड़ों रुपये का हो गया है। वह मोरिंगा के प्रोडक्ट ऑनलाइन भी बेचती हैं। वह 50 से 100 किसानों के साथ काम करती हैं। उन्हें मोरिंगा उगाने की ट्रेनिंग भी देती हैं। साथ ही उनसे फसल खरीदती हैं, जिससे किसानों की भी अच्छी आय हो जाती है।
कामिनी का अभी सालाना रेवेन्यू करीब 1.75 करोड़ रुपये है। वह बताती हैं कि वित्त वर्ष 2025 में उनका टर्नओवर 2.50 करोड़ रुपये हो जाएगा।