Thursday, January 9, 2025
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‘समंदर’ बनकर 5 साल बाद लौटे फडणवीस, क्या खूब निभाया वादा

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‘मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना. मैं समंदर हूं…लौटकर आऊंगा’.

5 साल पहले देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र विधानसभा में इन्हीं पंक्तियों के बहाने सत्ता पक्ष में बैठे उद्धव ठाकरे और दूसरे नेताओं को चेताया था. तब उद्धव ठाकरे बीजेपी के साथ धोखा करके मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए कांग्रेस-एनसीपी से जा मिले थे. वो भी तब जब चुनावी नतीजे बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के पक्ष में आया. उद्धव जनादेश को ठेंगा दिखाकर उनसे जा मिले थे जिनके खिलाफ चुनाव लड़ा था. उस वक्त तो फडणवीस को खून का घूंट पीकर रहना पड़ा था. चुनाव प्रचार के दौरान अक्सर फडणवीस मराठी में बोलते थे ‘मी पुन्हा येई’ (मैं फिर आउंगा). महाराष्ट्र की जनता ने 2019 के विधानसभा चुनाव में उनके नाम पर दोबारा मुहर भी लगाया. मगर उद्धव के धोखे के बाद वही लोग फडणवीस की ही बातों को दोहराकर मजाक बनाते थे. फडणवीस शायद तब भी महाराष्ट्र की जनता पर पूरा भरोसा था. इसलिए भरी विधानसभा में जो कहा उसे 5 साल बाद पूरा करके दिखा भी दिया. वो लौटे भी और भारी सफलता के साथ और जो लोग उनका मजाक उड़ाते थे उन्हें जनता ने मुंह छिपाने लायक भी नहीं छोड़ा.

भरोसा का दूसरा नाम फडणवीस
महाराष्ट्र की राजनीति में फडणवीस सबसे भरोसेमंद ब्रांड बन गए हैं. एक तेज तर्रार नेता जो गठबंधन की गांठें भी मजबूत रख सकता है और सरकार को भी बेहतर तरीके से चला सकता है. 2014-2019 के दौरान अपने पहले कार्यकाल में फडणवीस ने एक मजबूत प्रशासक की जो छवि बनाई उसे जनता ने भी खूब पसंद किया, तभी तो 2019 में जनता ने बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को फिर से बहुमत दिया. महाराष्ट्र में दशकों बाद किसी सीएम को जनता का लगातार दूसरी बार जनादेश मिला था. हालांकि उद्धव ठाकरे के खेल से फडणवीस को मायूस ही होना पड़ा. पिछले 5 सालों में फडणवीस के सितारे कभी ऊपर जाते तो कभी गर्दिश में भी समा जाते. लेकिन फडणवीस ने कभी हारी नहीं मानी. जब उद्धव ठाकरे ने पलटी मारी तो पहले बागी अजित पवार के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश की मगर शरद पवार ने इस कोशिश की हवा निकाल दी और सिर्फ 72 घंटों में ही ये सरकार गिर गई. इसके बाद कांग्रेस-शिवसेना-एनसीपी ने मिलकर महाराष्ट्र विकास आघाडी सरकार बनाई. ढाई साल बाद फडणवीस ने शिवसेना के अंदर के फैले असंतोष का फायदा उठाया और एकनाथ शिंदे की अगुवाई में शिवसेना के 41 विधायक बीजेपी से आ मिले. एक बार फिर फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया था, लेकिन बीजेपी ने चौंकाने वाला फैसला लेते हुए शिंदे को सीएम और फडणवीस को डिप्टी सीएम बनाने का फॉर्मूला बनाया. हालांकि फडणवीस डिप्टी सीएम बनने को तैयार नहीं थे, फिर भी पार्टी के फैसले को मानते हुए आखिरकार शिंदे का डिप्टी बनना स्वीकार कर लिया.

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फडणवीस का राजनीतिक सफर

  • 1997-99 नागपुर के मेयर
  • 1999-2009 विधायक
  • 2014-19 महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री
  • 2019-2019 महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री
  • 2019-2022 विपक्ष के नेता
  • 2022-2024 उपमुख्यमंत्री
  • 2024* महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री

फडणवीस की अहम भूमिका
एकनाथ शिंदे सीएम जरूर बने थे, लेकिन महायुति सरकार चलाने में फडणवीस की अहम भूमिका रही. बाद में अजित पवार ने भी शरद पवार से बगावत करके एनसीपी को तोड़ दिया और महायुति सरकार में शामिल हो गए. फडणवीस ने दो बागियों के साथ मिलकर महायुति सरकार को बखूबी चलाया. हालांकि, जब लोकसभा चुनाव 2024 में जब महायुति को झटका लगा और 48 में से सिर्फ 17 सीट मिलीं तो एक बार फिर फडणवीस समेत महायुति गठबंधन पर भी खतरा मंडराने लगा. लेकिन 6 महीने के अंदर ही फडणवीस ने हालात पर ही काबू नहीं पाया, बल्कि बीजेपी को अब तक की सबसे सबसे बड़ी जीत दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई. साल 2024 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को अकेले ही 132 सीट मिलीं जो बहुमत से सिर्फ 13 कम है. जाहिर है इस नतीजे से फडणवीस का कद तो बढ़ा ही साथ ही पद बढ़ना भी पक्का हो गया.

फडणवीस के नेतृत्व में बीजेपी

  • विधानसभा चुनाव-2014 122 सीट
  • विधानसभा चुनाव-2019 105 सीट
  • विधानसभा चुनाव-2024 132 सीट

फडणवीस के कितने कमाल?
साल 2014 विधानसभा चुनाव में शिवसेना से अलग होकर चुनाव लड़ने का आइडिया बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष फडणवीस का ही था और बीजेपी को इसका बड़ा फायदा भी मिला. बीजेपी महाराष्ट्र में अपना सबसे शानदार करते हुए 122 सीट जीतने में कामयाब रही. शिवसेना को मजबूरन बीजेपी के साथ गठबंधन सरकार में शामिल होना पड़ा और फडणवीस के तौर पर महाराष्ट्र में बीजेपी का पहला सीएम मिला. साल 2019 विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी शिवसेना के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ी तो उसे 105 सीट मिली. साल 2022 में हुए राज्यसभा चुनाव में भी फडणवीस ने महाविकास आघाड़ी सरकार को बड़ा झटका दिया. महाविकास आघाड़ी ने अपना चौथा उम्मीदवार मैदान में उतार दिया, लेकिन फडणवीस ने कुछ ऐसा खेल किया कि बीजेपी का तीसरा उम्मीदवार तो चुनाव जीत गया और महा आघाड़ी का चौथा कैंडिडेट हार गया. 2022 में ही विधान परिषद चुनाव में भी फडणवीस अपनी पसंद के उम्मीदवार को जिताने में सफल रहे.

22 साल की उम्र में पार्षद
साल 2024 लोकसभा चुनाव को छोड़ दें तो फडणवीस का करियर ग्राफ लगातार ऊपर ही बढ़ता रहा है. सिर्फ 22 साल की उम्र में नागपुर में पार्षद बनने से जो सफर शुरू हुआ था अब वो महाराष्ट्र के तीसरी बार सीएम बनने तक पहुंच गया है. वैसे भी प्रदेश की राजनीति में कई इबारत लिखने वाले फडणवीस महाराष्ट्र के सिर्फ दूसरे ऐसे सीएम हैं, जिन्होंने 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा किया हो. उनसे पहले वसंतराव नाईक ने 1967-72 के बीच अपना मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरा किया था. इस रिकॉर्ड की बराबरी फडणवीस 2014-19 के बीच कर चुके हैं और अब तो कई नए रिकॉर्ड बनाने की बारी है.

Tags: Devendra Fadnavis, Maharashtra Elections, Maharashtra News, National News

FIRST PUBLISHED :

December 4, 2024, 23:32 IST

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