हिंदी न्यूज़न्यूज़इंडियाशिवलिंग पर बिच्छू… ये मेटाफर है तो आपत्ति क्यों? PM मोदी पर की गई टिप्पणी पर बोला था सुप्रीम कोर्ट, क्या शशि थरूर के खिलाफ खत्म होगा मानहानि का केस?
शिवलिंग पर बिच्छू… ये मेटाफर है तो आपत्ति क्यों? PM मोदी पर की गई टिप्पणी पर बोला था सुप्रीम कोर्ट, क्या शशि थरूर के खिलाफ खत्म होगा मानहानि का केस?
शशि थरूर ने पिछली सुनवाई में कहा था कि छह साल पहले कारवां मैगजीन में प्रकाशित एक लेख का संदर्भ दिया था. उन्होंने कहा कि उनकी टिप्पणी मानहानि कानून के प्रतिरक्षा खंड के तहत संरक्षित है.
By : एबीपी लाइव डेस्क | Edited By: Neelam Rajput | Updated at : 14 Oct 2024 10:13 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट सोमवार को करेगा शशि थरूर की याचिका पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट सोमवार (14, अक्टूबर, 2024) को कांग्रेस सांसद शशि थरूर की याचिका पर सुनवाई करेगा. प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाकर की गई ‘शिवलिंग पर बिच्छू’ टिप्पणी मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को शशि थरूर ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. दिल्ली हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ मानहानि का मामला रद्द करने से इनकार कर दिया था.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र नरेंद्र को निशाना बनाकर की गई शिवलिंग पर बिच्छू वाली टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ मानहानि की कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया था. शशि थरूर की याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सांसद के खिलाफ दायर मानहानि मामले में निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में शिकायतकर्ता भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता राजीव बब्बर और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब तलब किया था. कोर्ट की वेबसाइट पर 14 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध वाद सूची के अनुसार जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ थरूर की याचिका पर सुनवाई करेगी.
शशि थरूर ने हाईकोर्ट के 29 अगस्त के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, जिसमें उनके खिलाफ मानहानि की कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया गया था. शशि थरूर के वकील ने 10 सितंबर को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट से कहा कि शिकायतकर्ता को मामले में पीड़ित पक्ष नहीं कहा जा सकता और राजनीतिक दल के सदस्यों को भी पीड़ित पक्ष नहीं कहा जा सकता.
वकील ने दलील दी थी कि शशि थरूर की टिप्पणी मानहानि कानून के प्रतिरक्षा खंड के तहत संरक्षित है, जो यह निर्धारित करता है कि अच्छी सोच के साथ दिया गया बयान आपराधिक नहीं है. वकील ने कहा कि शशि थरूर ने टिप्पणी करने से छह साल पहले कारवां पत्रिका में प्रकाशित एक लेख का संदर्भ दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई थी कि 2012 में उस वक्त यह बयान अपमानजनक नहीं था जब आलेख मूल रूप से प्रकाशित हुआ था.
जस्टिस रॉय ने सुनवाई के दौरान कहा था, ‘आखिरकार यह एक रूपक है. मैंने समझने की कोशिश की है. यह संदर्भित व्यक्ति (पीएम मोदी) की अपराजेयता को दर्शाता है. मुझे नहीं पता कि यहां किसी ने आपत्ति क्यों जताई है.’ शशि थरूर के खिलाफ कार्यवाही को रद्द करने से इनकार करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया, प्रधानमंत्री के खिलाफ ‘शिवलिंग पर बिच्छू’ जैसे आरोप घृणित एवं निंदनीय हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट ने मानहानि की शिकायत में तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर 16 अक्टूबर 2020 को रोक लगा दी थी और पक्षकारों को 10 सितंबर को निचली अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था. उसने कहा था कि प्रथम दृष्टया, टिप्पणी से प्रधानमंत्री, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ-साथ इसके पदाधिकारियों और सदस्यों की मानहानि हुई है.
Published at : 14 Oct 2024 10:13 AM (IST)
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा