नई दिल्ली. क्या इस तरह के गुंडे सीएम आवास में काम करते हैं?… जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार की जमानत याचिका पर सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी दलील दे रहे थे तो सुप्रीम कोर्ट के जज नाराज हो गए और कड़ी फटकार लगाई. आपको बता दें कि बिभव कुमार ने इस साल की शुरुआत में आप सांसद स्वाति मालीवाल पर कथित तौर पर हमला किया था. जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने बिभव कुमार की जमानत याचिका पर अगले बुधवार को सुनवाई की और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी से कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दर्ज की गई घटना के विवरण से अदालत हैरान है.
इस मामले में 12 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट ने बिभव कुमार को जमानत देने से इनकार कर दिया था और इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. बिभव ने याचिका में दावा किया है कि उनके खिलाफ आरोप झूठे हैं. उन्होंने यह भी कहा है कि जांच पूरी हो जाने के कारण अब उनकी हिरासत की आवश्यकता नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ
– वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बिभव की पैरवी करते हुए कहा कि एफआईआर तीन दिन बाद दर्ज कराई गई.
– स्वाति मालीवाल थाने गई, लेकिन बिना एफआईआर दर्ज कराए लौट गई.
– सिंघवी: पहले दिन वह (पुलिस के पास) गई, लेकिन कोई शिकायत नहीं की लेकिन फिर कई दिन बाद शिकायत दर्ज हुई.
– जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि क्या मालीवाल ने 112 पर कॉल किया? अगर हां तो यह आपके दावे को झूठा साबित करता है कि उसने मनगढ़ंत कहानी गढ़ी.
– सिंघवी ने माना कि वो सीएम आवास गई थी. जस्टिस सूर्यकांतकांत ने पूछा कि क्या सीएम का सरकारी घर निजी आवास है? क्या इसके लिए इस तरह के नियमों की जरूरत है? हम हैरान हैं, यह मामूली या बड़ी चोटों के बारे में नहीं है. हाईकोर्ट ने हर बात को सही तरीके से सुना है.
– सिंघवी: चार्जशीट दाखिल हो गई है.
जज ने क्यों कहा, हम कॉन्ट्रैक्ट किलर, हत्यारों, लुटेरों को जमानत देते हैं, लेकिन
बिभव की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या सीएम आवास एक निजी बंगला है? क्या इस तरह के ‘गुंडे’ को सीएम आवास में काम करना चाहिए? पीठ ने सिंघवी से पूछा कि जिन्होंने कहा कि चोटें गंभीर नहीं थीं और 13 मई को घटना के तीन दिन बाद एफआईआर दर्ज की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में सिंघवी से यह भी पूछा कि आप के राज्यसभा सांसद मालीवाल ने हमले की घटना के दौरान पुलिस हेल्पलाइन पर कॉल करके क्या संकेत दिया? पीठ ने कहा कि हम हर दिन कॉन्ट्रैक्ट किलर, हत्यारों, लुटेरों को जमानत देते हैं, लेकिन सवाल यह है कि किस तरह की घटना… पीठ ने कहा, साथ ही इस बात पर जोर दिया कि जिस तरह से घटना हुई, उससे वह परेशान है. पीठ ने कहा कि उसने (बिभव कुमार) ऐसा व्यवहार किया जैसे कोई ‘गुंडा’ सीएम के आधिकारिक आवास में घुस आया हो. हम हैरान हैं? क्या एक युवा महिला से निपटने का यह तरीका है? जज ने कहा कि उसने (बिभव कुमार ने) अपनी शारीरिक स्थिति के बारे में बताने के बाद भी उसके साथ मारपीट की.
बिभव कुमार ने दी थी क्या दलील?
बिभव कुमार ने मामले में जमानत देने से इनकार करने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के 12 जुलाई के आदेश को चुनौती दी है और दावा किया है कि उनके खिलाफ आरोप झूठे हैं. उन्होंने यह भी कहा है कि जांच पूरी हो जाने के कारण अब उनकी हिरासत की आवश्यकता नहीं है. सिंघवी ने पीठ को बताया कि केजरीवाल के राजनीतिक सचिव कुमार पिछले 75 दिनों से न्यायिक हिरासत में हैं. उन्होंने कथित तौर पर 13 मई को केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर मालीवाल के साथ मारपीट की. कुमार के खिलाफ 16 मई को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें आपराधिक धमकी, महिला पर हमला या उसके कपड़े उतारने के इरादे से आपराधिक बल का प्रयोग और गैर इरादतन हत्या का प्रयास शामिल है.
उन्हें 18 मई को गिरफ्तार किया गया था. उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि आरोपी का “काफी प्रभाव” है और उसे राहत देने का कोई आधार नहीं बनता. इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि याचिकाकर्ता के मामले में गवाहों को प्रभावित किया जा सकता है या सबूतों से छेड़छाड़ की जा सकती है.
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FIRST PUBLISHED :
August 1, 2024, 14:10 IST