प्रधानमंंत्री मोदी जी न्यूज 18 नेटवर्क को ये एक्सक्लूसिव इंटरव्यू देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. आपने अपने पनिशिंग (बेहद व्यस्त) शेड्यूल से हमारे लिए समय निकाला. इस इंटरव्यू को हम थोड़ा अलग तरीके से करेंगे. कुछ बिग पिक्चर सवाल करेंगे. हमारे साथ हमारे महाराष्ट्र के एंकर हैं. दूसरे हमारे कर्नाटक के एडिटर हैं. इस चुनाव में ये दो स्टेट अहम हैं. तो हमने सोचा कि थोड़े सवाल ये भी आपसे करेंगे. शुरू करते हैं.
सबसे पहले आपको और आपके सभी दर्शकों को मेरा नमस्कार. मुझे अच्छा लगा कि आपने अपने साथ कर्नाटक और महाराष्ट्र को भी जोड़ दिया है. एक प्रकार से आपने मेरी मदद की है, वरना तीनों को अलग-अलग इंटरव्यू देना पड़ता. तो शायद मुझे और ज्यादा टाइम देना पड़ता.
राहुल जोशी: बहुत धन्यवाद, स्वागत है आपका नेटवर्क18 में.
हम लोग पूरे देश का भ्रमण कर रहे हैं. इधर-उधर जा रहे हैं. हम लोग दक्षिण में थे, बिहार गए और अभी महाराष्ट्र में भी थे, हर जगह ये देखा गया है कि चाहे विपक्ष से बात करें, चाहे आपके उम्मीदवारों से बात करें, लोग कहते हैं कि जब मोदी जी यहां आएंगे तो सब कुछ बदल जाएगा. अभी कुछ नहीं कह सकते. मोदी जी आएंगे तो हो सकता है स्वीप हो जाए, हो सकता है सीट निकल जाए. तो क्या 2024 के इस चुनाव को हम नरेंद्र मोदी पर एक रेफरेंडम की तरह देख सकते हैं? जनमत संग्रह की तरह देख सकते हैं?
पीएम मोदी: अब ये तो सारा खेल मीडिया के लोगों का होता है. किस समय, किस प्रकार से एनालसिस करना है. लेकिन मैं इतना कहूंगा कि मैं कोई चुनाव के समय काम करने वाली सरकार नहीं चलाता हूं. आप मेरा 10 साल का रिकॉर्ड देखेंगे, तो एवरेज फ्राइडे, सैटरडे, संडे… मैं हिंदुस्तान के किसी न किसी कोने में गया. जनता के बीच में रहा हूं और इसलिए मेरा जाना निरंतर चलता रहता है. और चुनाव को मैं मानता हूं कि यह लोकतंत्र का उत्सव है. सभी राजनीतिक दलों का कर्तव्य है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच जाएं. लोगों के बीच जाकर के एक प्रकार से प्रशिक्षण का काम होना चाहिए. संवाद होना चाहिए. विचार-विमर्श होना चाहिए. मैं एक राजनीतिक क्षेत्र के कार्यकर्ता के नाते चुनाव हो या न हो…मैं इसे अपना कर्तव्य मानता हूं और इसलिए मैं जाता हूं.
जहां तक ये दो चरणों का सवाल है, मैंने ऐसा जनसमर्थन बहुत कम चुनाव में देखा है, जो मैं इस बार देख रहा हूं. एक प्रकार से ये चुनाव जनता जनार्दन लड़ रही है. सुशासन के लिए लड़ रही है. अपने सपनों को साकार करने के लिए लड़ रही है. ऐसा मुझे लगता है कि शायद मैं तो एक निमित्त हूँ. इस बार मेरा जरा ज्यादा उत्साह है लोगों के बीच जाने का. और पहले की तुलना मैं शायद ज्यादा बार जाना भी चाहता हूँ. इसलिए कि जो जनता-जनार्दन ने इतने उमंग और उत्साह के साथ इतनी बड़ी जिम्मेवारी उठा ली है तो वो जनता-जनार्दन को जा करके उनको प्रणाम करना, नमन करना, उनका अशीर्वाद लेना… यह मुझे अपना कर्तव्य लगता है. और मैं देखता था, जो फर्स्ट राउंड हुआ, मैंने किसी दोस्त से कहा था कि पहले राउंड में ये हमारे खिलाफ जो लोग मोर्चा लगा रहे हैं, बैठने की कोशिश कर रहे हैं. पहले राउंड में वो पस्त हो गए. और कल मैंने देखा दूसरे राउंड में ये ध्वस्त हो चुके हैं. यानी पहले लोगों ने पस्त कर दिया, अब ध्वस्त कर दिया.
मोदी जी जब आपने कैंपेन की शुरूआत की थी तो बड़े हाई नोट पर ये कैंपेन की शुरुआत हुई थी. आपने सरकार के पूरे काम का परिचय दिया. आप अपने डेवलपमेंट के एजेंडा को लेकर आगे बढ़े. इकनॉमी पर आपने बहुत प्रकाश डाला और इसके ऊपर बहुत काम हुआ भी है. अभी इधर-इधर एक-दो चरण आते-आते, आपने राजस्थान में एक रैली में कांग्रेस के मैनिफेस्टो पर सीधा हमला किया. आपने ये तक कहा कि इनकी एक स्कीम है जिससे ये वेल्थ डिस्ट्रीब्यूट करना चाहते हैं. ये पता लगाना चाहते हैं किसके पास कितनी जमा-पूंजी है, किसके पास कितना पैसा है, किसके पास कितना सोना है, चांदी है और उसको वो मुसलमानों में और घुसपैठियों में बाँट देना चाहते हैं. क्या ये थ्रेट इतना रीयल है? क्या आपको ऐसा दिखता है?
पीएम मोदी: मुझे लगता है कि शायद आपकी टीम ने मेरे पूरे कैम्पेन को ट्रैक नहीं किया है. या शायद विकास की बहुत-सी बातें ऐसी होती हैं कि जो शायद टीआरपी के हिसाब पर बैठती नहीं होंगी. लेकिन आपने देखा होगा कि मेरा पूरा इलेक्शन कैम्पेन दो चीजों पर केंद्रित है. एक- हमने समाज कल्याण के लिए, लोक कल्याण के लिए क्या काम किए. और सबसे बड़ा फर्क है अन्य सरकारों में और इस सरकार में, वो ये कि लास्ट माइल डिलिवरी, ये हमारी विशेषता है. नीतियां तो हर सरकार बनाती है. कोई सरकार बुरा करने के लिए तो आती नहीं है. अच्छा करना चाहती है. लेकिन, कुछ लोगों को अच्छा करना आता है, कुछ लोग अच्छा होने का इंतजार करते हैं. मैं ऐसा हूं कि मेहनत करके जो अच्छा है उसे करूं, मेरा हमेशा ऐसा रहा है. अब देखिए, मैं चुनाव में लगातार बोल रहा हूँ कि हमने गरीबों के लिए चार करोड़ घर बनाए. मैं इतना लोगों को कहता हूँ कि आप इस चुनाव प्रचार में जाएं तो मेरी मदद करें कि जिसका घर बनना अभी छूट गया हो, हर गांव में एक-दो निकलेंगे, उनकी सूची मुझे भेजो, ताकि जैसे ही मेरा तीसरा टर्म शुरू होगा, मैं इस काम को आगे बढ़ाना चाहता हूँ. तीन करोड़ घर और मैं बनाना चाहता हूं.
अब आयुष्मान भारत योजना, दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ इंश्योरेंस और हेल्थ एसोरेंस की स्कीम है. 55 करोड़ लोगों को इलाज का भरोसा… कि भई अब आपकी मोदी की सरकार है. पांच लाख रुपये तक खर्च होगा, संभाल लेंगे ये. इस बार हमने मैनिफेस्टो में कहा है कि किसी भी वर्ग का, किसी भी समाज का, किसी भी बैकग्राउंड का व्यक्ति क्यों न हो, जिस भी परिवार में, 70 से ऊपर की आयु के जो भी व्यक्ति होंगे, पुरुष-स्त्री सब, उन सब को हम ये पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज की सुविधा देंगे. इस बार हमने मैनिफेस्टो में ये भी कहा है कि जो आशा वर्कर हैं, आंगनबाड़ी वर्कर हैं, उनको हम इसका फायदा देंगे. ट्रासजेंडर जितने भी हैं, किसी भी आय वर्ग के क्यों न हों, हम उनको भी ये बेनिफिट देंगे. तो ये बात हम लोगों को बताते हैं.
अब आप देखिए, हमारे देश में बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ. ये जो मिलकर जब्त करने के खेल चल रहे हैं ना, पहले कर चुके हैं. सारे बैंक प्राइवेट थे, लूट लिया रातोंरात. गरीबों के नाम पर लूटा गया. लेकिन हमारे देश के बैंक खस्ता हाल हो गए. आधे से अधिक आबादी ऐसी थी कि गरीबों के नाम पर बैंक तो लिए, लेकिन बैंक खाता नहीं खोला. ये मोदी ने आकर 52 करोड़ बैंक खाते खोले और उसका सबसे बड़ा मैंने फायदा उठाया. खाते खोलकर आंकड़े नहीं बनाए. मैंने जनधन, आधार और मोबाइल…. इस ट्रिनिटी को लेकर डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर. 36 लाख करोड़ रुपये, ये आंकड़ा बहुत बड़ा होता है. 36 लाख करोड़ रुपये डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से लोगों के खाते में गए. अगर मैंने बैंक खाते न खोले होते तो इतना बड़ा फाइनेंशियल इनक्लूजन होता. पूरी दुनिया में एक साल में जीतने खाते खुलते होंगे, उससे ज्यादा खाते हमारे देश में खुले हैं. जल जीवन मिशन, हमारे देश में 3-4 फीसदी घरों में ही नल से जल आता था, वो भी ज्यादातर शहरों में. आज 14 करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल से जल पहुंचा है.
अब ये सारे काम हैं… 25 करोड़ लोग, गरीबी से बाहर ऐसे ही आए हैं. हमने उनको इतना सशक्त बनाया, और मेरी स्ट्रेटेजी यही है कि हम गरीब को इतनी ताकत दें, इतनी ताकत दें, कि गरीब खुद गरीबी को परास्त करे. और जब गरीब अपनी मेहनत से गरीबी को परास्त करता है, उसके बाद उसको गरीबी में वापस नहीं जाना, यह संकल्प बन जाता है, और वो देश की शक्ति बन जाता है. आज हमें फायदा है, 25 करोड़ लोग गरीबी से बहार आए. ये बहुत बड़ा एचीवमेंट है. दुनिया इसकी तारीफ कर रही है. और यह एक मॉडल बनेगा. यह डेवलपिंग कंट्रीज के लिए मॉडल बनेगा.
आप देखें 2014 के पहले क्या हाल था. 2014 के पहले आपके सारे मीडिया वाले निकाल दीजिए. फ्रेजाइल 5, फ्रेजाइल 5… यही हेडलाइन होता था. आज हम वाइब्रेंट इकनॉमी बन गए हैं. आईएमएफ, दुनिया के 150 देशों का समूह, जिसमें चाइना भी है, हिंदुस्तान भी है, जिसको हम कहें कि एक डेवलपिंग कंट्री है, या जो इमर्जिंग इकनॉमी वाले देश है. ऐसा एक समहू का, उनको क्लासिफाई करके, उन्होंने उसका एनालसिस किया. बड़ा इंट्रेस्टिंग है ये. यानी एक प्रकार से, ये इंडिया का पीयर ग्रुप हम कह सकते हैं.
अब देखिए क्या एनालसिस है. ‘1998 इंडिया पर कैपिटा जीडीपी’ इस पीयर ग्रुप से 30 प्रतिशत के आसपास थी. यानी ये पूरा 150 देशों के जैसा, उस समय अटल जी की सरकार थी. एंड नाइंटीज में अटल जी की सरकार आई. 1998 से 2004… अटलजी के अपने कार्यखंड में ये 30 पर्सेंट को 35 प्रसेंट ले गए. अच्छा प्रोग्रेस हुआ, लेकिन दुर्भाग्य देखिए, 2004 में ये सब खिचड़ी कंपनी आ गईं और इस खिचड़ी कंपनी ने अटल जी की मेनहत पर पानी फेर दिया. 35% को 30 पर ले आए ये लोग. यानी इन सारी कंट्रीज ने भारत से ज्यादा अच्छा परफॉर्म किया और हमने बुरा किया. यूपीए की सरकार में भारत डेवलपिंग वर्ल्ड की अपेक्षा और गरीब हो गया. हमसे गरीब थे वो भी हमसे आगे निकल गए. लेकिन 2014 में हम आए, सरकार बनने के बाद 2019 तक में, आपको खुशी होगी कि हमने 30% से 37 पर पहुंचा दिया. और 2024 तक जब मैं पहुंचा हूं, ये मामला 42 परसेंट पर पहुंचा गया है.
यानी 30 छोड़ा था और हम 42 ले आए. यानी हमारी इनकम दुनिया के और देशों की अपेक्षा बहुत तेजी से बढ़ी है. अगर आप 10 साल के कालखंड में इंफ्लेशन को भी लें, जो महंगाई की ये इतनी चर्चा करते हैं, तो ये 10 साल सबसे कम इंफ्लेशन वाला कालखंड रहा है. ये मैं इतना सारा जो कहता हूँ, और हकीकत के आधार पर कहता हूँ. कठोर परिश्रम करने के बाद एचीव किया है. पूरी सरकार को मोबिलाइज किया है. और लक्ष्य को पार करने के लिए जी-जान से जुट गए हैं. उसके बावजूद भी मोदी क्या कहता है? मोदी तो कहा, भाई ये तो ट्रेलर है, मुझे तो और आगे जाना है, और नई-नई आकांक्षाएं. मैं बहुत तेजी से बढ़ना चाहता हूं, देश को लेकर. और कांग्रेस का जहां तक मैनिफेस्टो है, कोई मुझे बताए, क्या चुनाव के अंदर, पॉलिटिकल पार्टियों के मैनिफेस्टो, ये कोई शोपीस के लिए होते हैं क्या? सचमुझ में तो ये मीडिया का काम है कि हर एक पॉलिटिकल पार्टी के मैनिफेस्टो की बारीकी से जांच-पड़ताल करे.
मैं इंतजार कर रहा था कि मीडिया करें, पहले दिन मैंने एक कॉमेंट तो कर दिया था, मैं कोई आज कर नहीं रहा हूँ कि मुझे मैनिफेस्टो देख करके लगता है कि इस पर पूरी तरह मुस्लिम लीग की छाप है. मुझे लगा कि मीडिया चौंक जाएगा, एनालसिस करने वाले चौंक जाएंगे, लेकिन पता नहीं कि उनकी व्यस्तता कुछ और हैं. मैनिफेस्टो में उनकी तरफ से जो-जो परोसा गया उतनी ही गुडी-गुडी उछालते रहे. फिर मुझे लगता है कि ये तो इको-सिस्टेम की बड़ी मिली-भगत लगती है. अब मुझे सच्चाई लेकर जाना पड़ेगा. मैंने 10 दिन इंतजार किया कि देश इस मैनिफेस्टो में जो बुराइयां हैं उसको कोई न कोई, क्योंकि निष्पक्ष तरीके से आता है तो अच्छा होता है. आखिरकार मुझे मजबूरन ये सच्चाइयां लेकर आनी पड़ीं.
अब देखिये, उनके एक महाशय ने अमेरिका में इंटरव्यू दे दिया. इनहैरिटेंस टैक्स की बात ले आए. 55 परसेंट टैक्स आपकी प्रोपर्टी पर… अब मैं विकास और विरासत की बात कर रहा हूं और ये विरासत को लूटने की बात करते हैं. वेल्थ रिडिस्ट्रिब्यूशन की बात करते हैं. तो मैं विरासत की बात करता हूँ. और उनका आज तक का इतिहास है कि वो करेंगे क्या, तो फिर यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं देशवाशियों को बताऊं कि ये देश को इस दिशा में ले जा रहे हैं. अब आप तय कीजिए, जाना न जाना इनका हक है. लेकिन मेरा दायित्व बनता है कि तथ्य के आधार पर, तर्क के आधार पर, उनकी हकीकतों के आधार पर मुझे बताना चाहिए… वो मैं बता रहा हूँ.
सैम पित्रोदा नेइनहेरिटेंस टैक्स की बात की है. यानी जो हमलोगों की जमा पूँजी है, जब हम अपनी फैमिली के लिए बचत करते हैं, जिसे हम अपनी आने वाले जेनरेशन को देंगे, तो उस पर भी टैक्स लगेगा और ये टैक्स बहुत बड़ा टैक्स हो सकता है. तो क्या आप कहेंगे कि बीजेपी अगर आएगी तो इस टैक्स को कभी नहीं लागू करेगी?
पीएम मोदी: भारतीय जनता पार्टी क्या करेगी हमारे मैनिफेस्टो में सब हम लिख करके लाए हैं. अब उन्होंने कहीं शिगूफा छोड़ दिया तो मैं भी झंडा लेकर घूमूंगा, ये सवाल आपके मन में कैसे आ जाता है? भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा साफ है. हम अपनी विचारधारा के आधार पर कार्यक्रमों को लेकर के, मैनिफेस्टो को लेकर के देश के सामने जाते हैं. कृपया करके ऐसे महाशयों के विचारों को हम पर मत थोपिये.
मोदी जी राहुल गांधी ने एक बात और कही है. वे कहते हैं कि जब उनकी सरकार आएगी तो वो एक नेशनल एक्स-रे कराएंगे. इसी से जुड़ा सवाल है, इसीलिए मैं पूछना चाहा रहा हूं. एक नेशनल एक्स-रे कराएंगे. बात सिर्फ कॉस्ट सेंशस की नहीं है जो कि वो करते आए हैं, उस पर भी मैं आपका मत जानना चाहूंगा. मगर बात जो वो कहते हैं कि बात कॉस्ट की नहीं, बात जस्टिस की है. वे कहते हैं कि हम जो हैं एक सोशियो-इकनॉमिक सर्वे लाएंगे, एक इंस्टीट्यूशनल सर्वे लाएंगे और उसमें देखेंगे कि किस जाति और किस वर्ग के पास क्या है, कितना धन है, कितनी इंस्टीट्यूशन में भागीदारी है और उसके आधार पर हम इस पूरे सिस्टम को रीडिस्ट्रीब्यूट करेंगे. इसको आप कैसे दिखते हैं?
पीएम मोदी: सबसे पहले तो इस देश में जो लोग अपने आप को राजनीति का एक्सपर्ट मानते हैं, जो लोग देश के उतार-चढ़ाव को बड़ी बारीकी से अध्ययन करते हैं. सबसे पहले उनका दायित्व है कि वे ऐसे लोगों से पूछें कि जिस परिस्थितियों का वर्णन आप कर रहे हो… अगर ये सही है तो 50, 60, 65 साल तो आपने राज किया है. ये मुसीबत के जन्मदाता आप हो, और आपने ये बर्बादी लाई ही क्यों, पहले उनका जवाब मांगो. नंबर वन.
नंबर टू- एक्स-रे का मतलब क्या है. मतलब हर परिवार में जाना. घर-घर छापा मारना. अगर किसी अनाज के डिब्बे में किसी महिला ने अपने गहने छिपा के रखे हैं, उसको भी एक्स-रे किया जाएगा. उनके गहने ले लिए जाएंगे. जमीनों का हिसाब-किताब किया जाएगा और फिर उसको रीडिस्ट्रिबूट करेंगे. ये दुनिया में एक माओवादी विचार ने सब किया हुआ है. दुनिया बर्बाद हो चुकी है. ये पूरी तरह अर्बन नक्शल है… उस सोच का सीधा-सीधा प्रगटीकरण है. और इसलिए मैनिफेस्टो आने के 10 दिन के बाद भी… ये जो जमात आए दिन लिखा-पढ़ी करती है न, वो चुप रही है. उनके प्रोटेक्शन में चुप रही है. तब मिलकर मेरी जिम्मेदारी बन जाती है कि देश को जगाना, कि देखिये ये आपको लूटने का… और दूसरा पार्ट है. डॉ. मनमोहन सिंह जी वगैरह ने हर बार कहा है कि जो भी संपत्ति होगी, इस पर पहला अधिकार किसका होगा, तो हिसाब-किताब तो साफ है कि वो क्या करना चाहते हैं.
आपने ये सवाल भी उठाया है. 2006 का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें मनमोहन सिंह जी ने कहा है कि गरीब मुसलमानों का पहला अधिकार रिसॉर्सेस पर है. ये उन्होंने साफ कहा है. आपने उसको मैनिफेस्टो में भी ये बात प्वाइंट आउट की है कि ओबीसी रिजर्वेशन का पार्ट लेकर वो मुसलमानों को दे देना चाहेंगे और 2004-2014 के बीच में उन्होंने चार-पांच बार ऐसा करने की कोशिश की भी है.
पीएम मोदी: यह तो बड़ा इंट्रेस्टिंग सवाल आपने पूछा है. मेरा जवाब लंबा हो जाएगा. लेकिन, देश के लिए मुझे बताना पड़ेगा. आप कांग्रेस का इतिहास देख लीजिए. नब्बे के दशक से ये मांग उठी है देश में. समाज का एक बहुत बड़ा तबका है जिसको लगता था कि हमारे लिए कुछ होना चाहिए, उसके लिए आंदोलन हुए. नब्बे से पहले, कांग्रेस ने पूरी तरह इस बात को खारिज कर दिया, उसका विरोध किया, उसको दबाने की कोशिश की है. यानी 90 के पहले का उनका दशक है. फिर उनके जितने भी कमिशन बने, जितनी कमेटियां बनाई, उसकी भी रिपोर्ट्स ओबीसी के विचार के पक्ष में आने लगीं. अब उनके भरोसे को वे नकारते रहें, रिजेक्ट करते रहे, दबाते रहें. 90 के दशक में उनको लगा कि अब इसको ज्यादा नहीं दबा सकते. उनकी वोट बैंक की राजनीति के अनुसार उसको टर्न दिया जाए.
उन्होंने पहला पाप क्या किया? 90 के दशक में कर्नाटक में उन्होंने धर्म के आधार पर, आपको याद होगा, मुसलमानों को ओबीसी घोषित कर दिया. यानी देश के ओबीसी को नकारना, उस विचार को दबाना, उस विचार को रिजेक्ट करना. लेकिन राजनीति खासकर मुसलमानों को ओबीसी घोषित कर देना. केंद्र से कांग्रेस गई. 2004 तक ये प्लान ठप्प रहा. उनका इरादा पक्का नहीं हुआ.
2004 में वो फिर आये तो आते ही आंध्र प्रदेश में मुस्लिम को ओबीसी कोटा यह देना तय कर दिया. मामला कोर्ट में जाकर उलझ गया. अब ओबीसी को 27 परसेंट जो आरक्षण मिला हुआ है, भारत की संसद ने दिया है, संविधान के मूलभूत भावना के प्रकाश में दिया है, 27 परसेंट में सेंध लगाने की उन्होंने तैयारी कर दी. डाका डालने की कोशिश की. 2006 में नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल की मीटिंग हुई थी, एनडीसी की. मनमोहन जी के बयान पर बहुत बड़ा हंगाम हो गया. दो साल कांग्रेस पूरी चुप रही. 2009 के घोषणा पत्र में फिर से इसका जिक्र किया. 2011 में कैबिनेट नोट है इसका. 2011 के कैबिनेट नोट में ओबीसी के 27% हिस्सा डाका डाल करके उसमें से मुसलमानों को देना. उन्होंने तय किया. 2012 यूपी चुनाव में भी उन्होंने इसकी एक असफल कोशिश की. फायदा नहीं हुआ. 2012 आंध्र हाईकोर्ट ने इसको रद्द कर दिया. कानूनी जजमेंट आ गया. ये सुप्रीम कोर्ट में गए. वहां भी उनको कोई राहत नहीं मिली. 2014 के घोषणा पत्र में भी धर्म के आधार पर आरक्षण की बात कही है, जबकि हिंदुस्तान का संविधान जब बना, तब तो कोई आरएसएस वाले, बीजेपी वाले संविधान सभा में नहीं थे. बाबा साहेब आंबेडकर जैसे लोग बैठे थे. पंडित नेहरू जैसे बैठे थे. सरदार बल्लवभाई जैसे बैठे थे. देश के कई महापुरुष बैठे थे. उन सबने लंबे चिंतन के बाद तय किया था कि भारत जैसे देश में धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता.
2024 के चुनाव में आप देख रहे हैं, उनका मैनिफेस्टो. और मैंने कहा इस पर पूरी तरह मुस्लिम लीग की छाप है. यानी मुस्लिम लीग की नीतियां उन्होंने अपनाना शुरू किया. अब ये जो उन्होंने स्थितियां बनाई हैं, मुझे बताइए कि देश के लोगों को ये जिस प्रकार से संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं. जिस प्रकार से लोग बाबा साहेब आंबेडकर को अपमानित करते हैं. एससी/एसटी के आरक्षण पर भी तलवार लटका देते हैं. ओबीसी का तो जीना मुश्किल कर देंगे. क्या मुझे देश की जनता को प्रशिक्षित करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए. सभी जो भी विद्वान लोग हैं, जो कलम के धनी हैं, जो निष्पक्ष हैं, उनका यह दायित्वा बनता है कि ऐसे समय देश को वो एजुकेट करें. सही चीजें बताएं.
कांग्रेस का कहना है कि उन्होंने ऐसा स्पेसिफिकली नहीं बोला है. उन्होंने मैनिफिस्टो में बोला है, उसमें लिखा है कि अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों को ‘एनकरेज’ और ‘असिस्ट’ करेंगे. उन्होंने ये कहा है कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि अल्पसंख्यकों को अवसरों में उचित हिस्सेदारी मिले. ये बोला है. तो इसको आप कैसे पढ़ते हैं, मतलब उनके मैनिफेस्टो को.
पीएम मोदी: मुझे पकड़ने की जरूत नहीं. मैंने 1990 से आपको हिसाब दिया है. जब आप 1990 का हिसाब देखोगे. उसके बाद आप क्या कहोगे मुझे. अब मुझे उसमें एनालसिस करने की जरूरत ही नहीं पड़ती है. आपको 1990 से लेकर डॉ. मनमोहन सिंह जी के 2009 के बयान तक और सारी चीजों को एक टेबल पर लेकर देखोगे, तो आप बिल्कुल इसमें से क्या निकालोगे? मैं नहीं निकाल रहा हूँ, हर एक को यही निकालना पड़ेगा, मतलब कि एक एक करके आ जाएंगे वो.
और ये भागीदारी की बात करते हैं इंस्टीट्यूशन में कि जजेज ओबीसी नहीं हैं. मीडिया में ओबीसी का रिप्रेजेंटेशन कम है. इसको आप कैसे देखते हैं?
पीएम मोदी: अब मुझे बताइए, 2014 में हम आए. हमने ऐसी कोई नीति बनाई है क्या? जिसके कारण किसी को रुकावट हो जाए. ये उनके पाप हैं, उनके पापों को देश भुगत रहा है. अगर उन्होंने सच्चे अर्थ में सेक्युलरिज्म किया होता, सच्चे अर्थ में सामाजिक न्याय किया होता, वोट बैंक की राजनीति न की होती, तो ये… उनको आज इस प्रकार से झूठे कागजों को लेकर करके घूमना नहीं पड़ता. मुझे विश्वास है कि 10 साल से मैं जो कर रहा हूं, स्थिति ऐसी आएगी कि जितनी बातें उनको… जवाब हम देंगे, कर कर के देंगे, हर एक को योग्य न्याय देंगे. आज हमारे देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति कैसे बनी? हमारी सोच के साथ बनीं. तीन बार राष्ट्रपति बनाने का मौका आया. एक बार अटल जी के समय, दो बार मेरे समय. पहली बार हमने किसको बनाया? माइनोरिटी को बनाया, अब्दुल कलाम जी को बनाया. मुझे मौका मिला पहला तो किसको बनाया? दलित को बनाया. दूसरा मौका मिला तो किसको बनाया? आदिवासी महिला को बनाया. तो ये हमारे आचरण से पता चलता है कि हमारी सोच क्या है.
मोदी जी, आपने एक बात और कही है और इसको मैं एक लंबे सवाल से भी जोड़ना चाहता हूं. आपने कहा है कि अगर इनका गठबंधन सरकार बनाएगा, तो पीएम बाय रोटेशन होगा. ये तय नहीं कर पा रहे हैं कि किसको पीएम बनाएंगे. तो एक-एक साल के लिए सब लोग पीएम बनेंगे. सवाल मेरा थोड़ा बड़ा है. सवाल यह है कि क्या आपको लगता है कि जिस स्टेज में इंडिया का जो डेवलपमेंट स्टेज है, उसमें कोइलिशन गवर्मेंट काम करेगी या एक स्टेबल गवर्मेंट ज्यादा इफेक्टिव होगी?
पीएम मोदी: दो अलग-अलग सवाल हैं. देखिए आपने कांग्रेस का चरित्र देखा है. उनके यहां राजस्थान में पार्टी के अंदर अंतरिक संघर्ष था. उन्होंने फॉर्मूला बनाया. ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री का. ढाई साल एक मुख्यमंत्री रहेंगे. ढाई साल दूसरे रहेंगे. ये राजस्थान में फॉर्मूला बनाया था. नोन फॉर्मूला है. छत्तीसगढ़ में ऐसा ही उनकी पार्टी के भीतर झगड़ा हुआ. तो वहां भी उन्होंने फॉर्मूला बनाया कि ढाई साल एक, ढाई साल दूसरा. और उन्होंने मामला संभालकर कर गाड़ी चलाई. और ये भी सच्चाई है कि ढाई साल के बाद वो मुकर गए. यानी खुद की पार्टी के साथ धोखा किया. खुद की पार्टी को अंदरूनी धोखा देने की इनकी प्रवृति है. इसका मतलब ऐसा फॉर्मूला कांग्रेस के दिमाग में होना ये प्रूवन है. और मैंने कहीं अभी मीडिया में पढ़ा तो उनकी कोई छोटी से मीटिंग भी थी. उसमें ये कहा. अब आज की स्थिति में जब मोदी बार-बार पूछ रहा है कि इतना बड़ा देश किसको सुपर्द करें, आपका नाम तो होना चाहिए न, इतना बड़ा देश, आप किसी का भी नाम दीजिए. कोई तो नाम देना पड़ेगा ना. अरे क्रिकेट की टीम होती वो भी कैप्टेन बताती है. कबड्डी की टीम होती है वो भी कैप्टन बताती है.
भाई आप बता नहीं रहे हो कि इतना बड़ा देश, दें किसको और तब जाकर उन्होंने कोई ऐसा फॉर्मूला बनाई है कि ‘वन ईयर वन पीएम’ फॉर्मूला. अब एक पीएम एक साल रहेगा. फिर नया आएगा, पूरी नई सरकार बनाएगा, कैबिनेट बनाएगा, तो फिर शपथ समारोह चलते रहेंगे. पांच साल और क्या होगा? देश संकट में उलझता रहेगा और वे शपथ समारोह में उलझते रहेंगे. अब कोई देश ऐसे चल सकता है. इतना बड़ा देश है. देश ने 30 साल तक अस्थिरता देखी है. मिली-जुली सरकारों का दौर देखा है. आज दुनिया में भारत के प्रति एक विश्वास बढ़ा है उसका कारण भारत के 140 करोड़ लोगों ने एक स्थिर, मजबूत, स्पष्ट बहुमत वाली सरकार बनाई है. तो कोई भी भरोसा करेगा ना… इस सरकार के पास जनादेश है. मिली-जुली सरकार पर कोई भरोसा ही नहीं करता है. और इतना बड़ा देश ऐसे थोड़े चल सकता है.
लेकिन… आज देश की राजनीति ऐसी है कि कोई एक पार्टी कितने ही बहुमत से क्यों न जीते, उसे रिजीनल एस्पिरेशन्स का सम्मान करना ही होगा और इसलिए हमें पूर्ण बहुमत मिला फिर भी हम सरकार एनडीए की बनाते हैं. एनडीए के साथियों को लेकर बनाते हैं क्योंकि एक पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद भी देश के राजनीतिक उज्ज्वल भविष्य के लिए, देश के लोगों के एस्पिरेशन के लिए, रिजीनल एस्पिरेशन को उतना ही सम्मान देना चाहिए, उतना ही हिस्सा देना चाहिए और ये कैरेक्टर एनडीए ने डेवलप किया है, भारतीय जनता पार्टी ने करके दिखाया है.
अपने रिजीनल एस्पिरेशन्स की बात कही तो उसकी बात हम लोग करेंगे. एक सवाल और कि अपोजिशन की सारी पार्टियां, राहुल गांधी, कांग्रेस, सब ये कहते हैं कि मोदी जी मैच फिक्सिंग कर रहे हैं इस चुनाव पर. उन्होंने कहा है कि ईडी, सीबीआई और ईवीएम के बिना आप चुनाव नहीं जीत सकते हैं, क्या कहेंगे आप?
पीएम मोदी: ईवीएम का जवाब तो सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया है और 2014 में इनके पास ईडी थी. इनके पास सीबीआई थी. तो हार क्यों गए वे? मेरे होम मिनिस्टर तक को जेल में डाल दिया था, तो हार क्यों गए वे? अगर ईडी-सीबीआई से चुनाव जीते जाते तो ईडी-सीबीआई का काम तो इतने सालों तक कांग्रेस ने किया है, वो जीत जाते. और इतना बड़ा देश, एक म्युनिस्पिल्टी का चुनाव फिक्स नहीं कर सकते हो, जरा करके देखो, यह संभव होता है क्या फिक्शिंग? क्या दुनिया को मुर्ख बना रहे हो. लेकिन दुख इस बात का है कि ऐसी बातें करने वालों को आप मीडिया के लोग उनसे पूछने के बजाय हमसे पूछते हैं. लेकिन, इसमें एक बात है मैं मानता हूं कि पिछले कई दिनों से इंडी अलायंस के लोग इतने निराश हो चुके हैं, इतने निराश हो चुके हैं कि अभी उनको बहाने ढूढ़ना बहुत जरूरी बन गया है. क्योंकि पराजय के बाद भी लोगों के सामने जाने के लिए…, इसलिए मैं समझता हूं शायद वो अभी से ये सारे तर्क ढूंढ रहे हैं कि पराजय के तर्क क्या होंगे. शायद उसी की उनकी इंटरनल एक्सरसाइज है ये.
मोदी जी, इस चुनाव में दो स्टेट्स अहम हैं. एक है कर्नाटक और दूसरा है महाराष्ट्र. कर्नाटक जहां पर बीते विधानसभा चुनाव में आपकी हार हुई थी और महाराष्ट्र इसलिए क्योंकि वहां पर एक अजीब-सी खिचड़ी बनी हुई है. दो पार्टियां टूटी हैं. मेरे दो साथी मेरे साथ हैं. सबसे पहले शुरुआत करते हैं कर्नाटक से. हरी प्रसाद जी, जो हमारे वहां के एडिटर हैं, वो आपसे कुछ सवाल पूछना चाहते हैं.
पीएम मोदी: हरी प्रसाद जी, स्वागत है आपका.
(हरि प्रसाद): नेहा मर्डर केस… इस केस की खूब चर्चा है. नेहा की हत्या कैंपस के अंदर हुई थी. यहां तक कि जेपी नड्डा जी उसके घर गए. आप क्या सोच रहे हैं? कर्नाटक में चुनाव का फोकस क्या ऐसे इश्यूज पर शिफ्ट हो रहा है?
पीएम मोदी: देखिए, नड्डा जी का कार्यक्रम वहां चल रहा था और इतनी बड़ी घटना घटी थी और ऐसी चीजों में हमें वो किस दल के थे, वो कांग्रेस के थे, उसकी बेटी की हत्या हो गई, तो हमारा क्या! ये हमारे संस्कार नहीं हैं, न ही हमारी सोच है. और एक मानवीय संवेदना का विषय है, और मैं मानता हूं कि अच्छा हुआ. अध्यक्ष जी ने इतनी चुनाव की आपा-धापी में भी उनको सांत्वना देने का प्रयास किया है. ये पूरी तरह मानवीय व्यवहार है. मैं भी, अब मैं बताता हूं कि शायद कौन सा चुनाव था… मुझे याद नहीं आ रहा है. लेकिन, राहुल जी का कहीं पर हवाई जहाज में कुछ गड़बड़ हुआ. मुझे पता चला तो मैंने तुरंत उनको फोन किया. मैंने कहा आपको कुछ दिक्कत हुई… क्या हुआ है. यह हमारा कर्तव्य बनता है. मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था. और दमन में, मैडम सोनिया जी, फिर हमारे अहमद पटेल साहब सारे लोग थे… उनका हेलीकॉप्टर एकदम से क्रैश कर गया था. मुझे पता चला, मैंने तुरंत फोन किया, मैंने कहा… मैं यहां से आपको एयर एंबुलेंस भेजता हूं. तो अहमद भाई ने मुझसे कहा कि नहीं… अभी हम बिल्कुल सलामत हैं. ये बात ठीक है… हेलीकॉप्टर को नुकसान हुआ है. लेकिन, हमें कोई तकलीफ नहीं हुई है.
एक बार सोनिया जी काशी गई थीं एलेक्शन कैम्पेन करने और वहां उनकी तबीयत एकदम खराब हो गई. तो मैंने तुरंत यहां से सबको भेजा, मैंने कहा, भाई देखो क्या मामला है. यहां से हवाई जहाद दो उनको. तो ये… एक तो मेरे संस्कार भी हैं और मैं मानता हूं कि ये राजनीति से परे होती हैं ये चीजें. तो मेरे लिए किसी का भी, किसी भी परिवार में आपत्ति आ जाएं, ये हमारा राजनीति से ऊपर उठ करके ही फेवर करना चाहिए.
बात गारंटी स्कीम के बारे में. कर्नाटक में कांग्रेस ने पांच गारंटी का वादा किया था और सत्ता में आने के बाद उन्होंने वादे के मुताबिक उसे दिया भी. भाजपा जो बीता चुनाव हार गई. उसे 66 सीटें मिलीं. अब वहां एक बार फिर येदियुरप्पा और उनके बेटे के लीडरशिप पर ज्यादा फोकस हो रहा है. इसकी वजह से वहां भाजपा के भीतर भी कुछ लोग नाराज बताए जा रहे हैं. ऐसे में आपको क्या लगता है कि कर्नाटक में भाजपा कितनी सीटें जीत सकती है?
पीएम मोदी: सबसे पहले, कर्नाटक की जनता पश्चाताप कर रही है कि हमने इतनी बड़ी लगती कर दी. इनको बैठा दिया. हमारा जन समर्थन हमारा कम नहीं हुआ है. जन समर्थन हमारा बढ़ा है. लेकिन, इन्होंने इतने कम समय में सीएम कौन… अभी भी वो बात सेटल नहीं हुई है. शपथ हुई है सीएम की लेकिन बात सेटल नहीं हुई है. अपने आप को सीएम मानने वाले लोग बहुत हैं उसमें. आप कानून-व्यवस्था देखिए… चरमरा गई है. बम ब्लास्ट हो रहे हैं. हत्याएं हो रही हैं. अर्थिक स्थिति पूरी तरह कंगालियत की स्थिति में है. वादे तो बड़े-बड़े कर दिए उन्होंने. और फिर टैग लगाए…. ऐसा होगा तो ये मिलेगा, वैसा होगा तो वह मिलेगा. मतलब आप जनता के साथ धोखा भी कर रहे हैं. जब हमने कहा कि हम इन-इन लोगों को आयुष्मान कार्ड देंगे, मतलब देंगे. फिर इफ और बट लगाकर उसमें बेईमानी नहीं करनी चाहिए. अभी जब हमने कहा है कि हम 70 साल से ऊपर के किसी भी वर्ग के व्यक्ति होंगे उनको आयुष्मान कार्ड देंगे. मतलब देंगे.
आपमें ये हिम्मत होनी है थोड़ी सी. उन्होंने किसानों की जो योजना थी वो रद्द कर दी.. किसान सम्मान निधि. कोई कारण नहीं है इस प्रकार से करने का. अब आप बताइए कोई सोच सकता है क्या कि बेंगलूरू, दुनिया में देश की इज्जत बढ़ाने में बेंगलूरू का बहुत बड़ा रोल है. दुनिया में जब जाते हैं तो बेंगलुरू कहते ही ऐसा लगता है वो जैसे वह परिचित है. टेक हब के रूप में जाना जाता था. आपने देखते ही देखते इसको टैंकर हब बना दिया. और टैंकर में भी माफियाशाही चल रही है. पानी के लिए लोग तरस रहे हैं. आज ये जो हालत उन्होंने कर दी है. अब युवाओं की स्कॉलरशिप, आपने संख्या भी कम कर दी, अमाउंट भी कम कर दिया. एक के बाद एक… आपने ऐसे नगेटिव काम किए हैं, जिन मुद्दों को लेकर के वोट मांगा उन मुद्दों को आप दे नहीं पा रहे हैं.
डिप्टी सीएम वो अपने भाई के लिए वोट मांग रहे हैं और वो खुद सीएम बन सकें, इसलिए सब खेल खेल रहे हैं. वो सीएम से हटें उसके लिए भी खेल खेले जा रहे हैं. जहां तक भारतीय जनता पार्टी का सवाल है, हम टीम स्पिरीट से काम करने वाले लोग हैं. भले मेरी टीम ने मोदी को आगे किया लेकिन मेरी पूरी टीम काम कर रही है और टीम मेहनत करती है. उसी प्रकार से येदियुरप्पा जी हमारे वरिष्ठ नेता हैं, लेकिन काम पूरी टीम कर रही है. टीम मेहनत करती है. और लोगों को विश्वास भी है. और हम आगे बढ़ रहे हैं.
देश में तीसरे और कर्नाटक में दूसरे चरण में 14 सीटों पर मतदान होगा. ये सीटें उत्तरी कर्नाटक की हैं. अधिकतर इलाका सूखा प्रभावित है. इस सूखे को लेकर कांग्रेस दावा करती है कि वह पहले सुप्रीम कोर्ट गई. अब केंद्र सरकार उचित मुआवजा देने पर मजबूर हुई. इस बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?
पीएम मोदी: देखिए, सिद्दारमैया जी की जब पुरानी सरकार थी और वहां उस समय सूखा पड़ा था. मैंने खुद उनकी पूरी टीम को यहां बुलाया था. बतौर प्रधानमंत्री उनको बुलाया था. हमने कहा कि भई पहले हमें बैठकर जल संचय की योजना बनानी चाहिए. अब जहां तक स्टेट डिजास्टर रिलीफ फंड का सवाल है, हमारी सरकार ने पहले ही जो केंद्र का हिस्सा होता है, वो उनके यहां बैंक के खाते में जमा करके दे दिया हुआ है जी. हमारी अंतर मंत्रालयीय टीम, उसने भी प्रभावित क्षेत्रों में, जो नियम है, ये पद्धति है, जो हमने नहीं बनाई, कई दर्शकों से है, उसके अनुसार वो टीम वहां गई है. उसने सर्वे किया है और हर बार ऐसा होता है. जैसे हमारे यहां गुजरात में भूकंप आया, तो मैंने एक मेमोरेंडम भेजा. भारत सरकार ने एक टीम भेजी, उन्होंने सर्वे किया. अब ये सारी प्रोसेस चली, आचार संहिता आ गई, तो हमने एलेक्शन कमिशन को कहा कि हमारे सामने ये विषय हैं. हम इसको जैसे ही आप परमिशन देंगे, हम देना चाहते हैं. एनडीआरएफ के तहत अब राशि रिलीज भी कर चुके हैं उस नियम के अंतर्गत.
(राहुल जोशी): मोदी जी थोड़ा सा हमारे संग, हमारे एंकर हैं विलास बडे, आपसे कुछ महाराष्ट्र के बारे में बातचीत करना चाहते हैं.
(विलास बडे): मोदी जी को नमस्कार. महाराष्ट्र में बीजेपी को उन 23 सीटों को बचाना है, जो आपने 2019 में जीती थीं. लेकिन, इस बार महाराष्ट्र में पूरी खिचड़ी बनी हुई है. शिवसेना और एनसीपी टूट चुकी है. उनके दो पार्टनर आपके साथ हैं. क्या उद्धव ठाकरे जी और शरद पवार जी के साथ या उनके पक्ष में आप कोई सिम्पैथी लहर देख रहे हैं?
पीएम मोदी: देखिए, पहली बात… महाराष्ट्र के सभी लोगों को मेरा नमस्कार. और बड़ी अच्छी बात है कि मैं अलग से महाराष्ट्र के विषय को लेकर आप से बात कर रहा हूं. अब देखिए… ये बात सही है कि वहां लम्बे अरसे से मिलीजुली सरकार चलती है. बिलासराव देशमुख थे, तब से लेकर आप देखिये. यहां तक शरद पवार भी जब मुख्यमंत्री थे वो भी पूर्ण बहुमत के साथ अकेले नहीं बन पाए थे. दूसरा, महाराष्ट्र का दुर्भाग्य रहा है कि लम्बे अरसे से वहां पांच साल तक कोई एक मुख्यमंत्री नहीं रहा नहीं है.
एक भी व्यक्ति पांच साल नहीं. देवेंद्र फडणवीस, पहले व्यक्ति थे, लंबे अरसे के बाद, जो एक पूरा कार्यकाल मुख्यमंत्री रहे और पूरी सरकार बेदाग रही. लोगों का भला करने वाली सरकार रही. अब सिंपैथी हमारे साथ होनी चाहिए कि जो लोग हमारे साथ चुनाव लड़े, जो लोग हमारे साथ चुनाव लड़कर महाराष्ट्र के लोगों से वोट मांगे, लेकिन, मुख्यमंत्री बनने के खुद के व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के कारण और उसमें अहंकार भर गया, इसके कारण… आपने बाला साहेब ठाकरे से जमाने से बनी-बनाई जोड़ी को धोखा दे दिया और उसका लोगों को गुस्सा है, बीजेपी के प्रति सिंपैथी है. दूसरा, शिवसेना के अंदर जो तूफान खड़ा हुआ या एनसीपी के अंदर जो तूफान खड़ा हुआ वो साफ-साफ दिखता है कि जब आप अपने परिवार के लोगों को ही प्राथमिकता देते हैं और बाकियों को नहीं देते हैं, तो कभी ने कभी तो कठिनाई पैदा होगी ही. शरद पवार के घर में जो मुसीबत है, उनका पारिवारिक झगड़ा है. भतीजा संभाले कि बेटी संभाले?
यही झगड़ा शिवसेना में है कि और कोई सक्षम नेता ऊपर आए या कि खुद का बेटा. भले अभी जैसे यहां एक परिवार ही कांग्रेस को चल रहा है, तो उस पर वो झगड़ा उनका है. और मैं मानता हूं कि हमारा देश इस प्रकार के पारिवारिक झगड़ों के प्रति नफरत करता है, सिंपैथी नहीं करता है. तो ये बिल्कुल ही आप सिंपैथी शब्द लेकर कहें, सिंपैथी दिलवाने की अगर कोई कोशिश करता है तो मैं समझता हूं वो भी फेल जाने वाली है. लोग नफरत करते हैं. लोग ऐसी चीजों को स्वीकार नहीं कर सकते हैं. क्योंकि ये तुम्हारे घर के झगड़े तुम घर में निपटो ना. महाराष्ट्र को क्यों बर्बाद कर रहे हो. तो गुस्सा है.
दूसरी बात… जहां तक आज शिंदे जी के नेतृत्व में जो सरकार चल रही है, भारतीय जनता पार्टी ने ज़्यादा सीटें होने के बाद एक त्याग किया है. त्याग महाराष्ट्र की भलाई के लिए किया है. कुछ लोगों को लगता था कि हम सीएम बनना चाहते हैं. नहीं… हम सीएम बन सकते हैं, हम नहीं बने. महाराष्ट्र की जनता को हमने कनविंस किया है कि हम महाराष्ट्र के लिए जीते हैं, अपने लिए नहीं जीते हैं और इस चुनाव में ये सिंपैथी हमारे पक्ष में है कि इतना बड़ा दल, एक मुख्यमंत्री, एक सफल रहा हुआ मुख्यमंत्री, वो आज डिप्टी सीएम बन करके भी, एक प्रकार से खुद के सम्मान को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी सिर्फ और सिर्फ महाराष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य के लिए काम कर रहा है. और मैं मानता हूं हमारे देश में बंगाल बर्बाद हो गया, कोलकाता एक दिन इकनॉमी को ड्राइव करता था, लेकिन वहां इस प्रकार की उठापटक की राजनीति ने बर्बाद कर दिया, बिहार और उत्तर प्रदेश में अस्थिर की राजनीति ने तबाह करके रख दिए थे. महाराष्ट्र को इस हालत में जाने नहीं देना चाहिए. मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है. हमें देश हित भी महाराष्ट्र में मजबूती के साथ आगे बढ़ना चाहिए और ये भाव हम महाराष्ट्र की जनता को समझा रहे हैं, उनको कन्वे कर रहे हैं और महाराष्ट्र की जनता बहुत पॉजिटिव रिस्पॉन्स दे रही है.
महाराष्ट्र में बीजीपी, शिवसेना और एनसीपी की महायुति बनी है. लेकिन इस चुनाव में आखरी समय तक सीटों को लेकर खींचतान चल रही है. अभी तक टिकट का वितरण भी बहुत जगह पर नहीं हुआ है. ये महयुति पर एक बड़ा सवाल नहीं खड़ा करता है!
पीएम मोदी: मुझे लगता है ये जो पहले दो वाक्य बोले न, उसके सिवाय बाकी सब जो बता रहे हैं वो उन लोगों का प्रॉब्लेम है. वहां सीटें तय नहीं हो पा रही हैं. वहां निर्णय नहीं हो पा रहा है. वहां पैरलल चुनाव लड़े जा रहे हैं. इस बाजू तो ऐसा ही नहीं. सभी लोग चल पड़े हैं. मिलजुल कर सीटें तय करके चल पड़े हैं. और काफी पहले कर दिया है. शिवसेना, बीजेपी और एनसीपी… यह तीनों ने इसको कर लिया है. सामने जो नकली पार्टियों का मेल-मिलाप है वहां नहीं हो पा रहा है. उल्टा है.
(राहुल जोशी): कितनी सीटें देखते हैं इस बार महाराष्ट्र में? पिछली बार 41 आई थीं. इसलिए पूछ रहा हूं ये सवाल.
पीएम मोदी: हम बहुत ताकत के साथ आगे बढ़ रहे हैं. वोट भी बढ़ेगा, सीट भी बढ़ेगी.
सर 2017 में आप ही की सरकार ने शरद पवार जी को पद्म विभूषण दिया था, जो देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है. लेकिन, पिछले मंगलवार को शरद पवार जी ने ये कह दिया कि मोदी जी देश में नए पुतिन बन रहे हैं. आप इस कमेंट को कैसे देखते हैं?
पीएम मोदी: मैं उनका आदर करता हूं, आज भी करता हूं, और मैं मानता हूं कि सार्वजनिक जीवन में लंबे अरसे तक जिन-जिन लोगों ने काम किया है, वो हमारे साथ रहें या न रहें, हमारे विरोधी बनें, वो अलग बात है. इसका मतलब यह हुआ कि जिसके अंदर वो पुतिन को देखते हैं, उसकी सरकार से अवार्ड लेकर वो गर्व कर रहे हैं. यह तो बहुत बड़ा कॉन्ट्राडिक्शन है. लेकिन वो गर्व कर रहे हैं. जहां तक मेरी पार्टी की सोच और व्यक्तिगत रूप से मेरी सोच है, अब देखिए हमने भारत रत्न दिया तो किसको दिया, प्रणब मुखर्जी जी, नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह जी, कर्पूरी ठाकुर जी को. इस देश में किसी ने सवाल नहीं किया कि मोदी जी आप इनको क्यों भारत रत्न दे रहे हैं. सबको लगता है- हां यार, ये ड्यू था, डिजर्व करते थे. किस दल के थे? हमारे खिलाफ ढेर सारी बातें उन्होंने बताई हैं… ऐसे लोग हैं. लेकिन निर्णय उसके आधार पर नहीं होता है. आप पद्म पुरस्कार देखें. मुलायम सिंह जी, असम के तरुण गोगोई जी, पीए संगमा जी, जमीर जी, एसएम कृष्णा जी, आप देखिए जो सारे लोग हैं. दूसरी पार जो गए हैं, हमने उनको पद्म दिया, हम पद्म देते हैं, उनको अपने-अपने क्षेत्र में जो उनका योगदान है उसके लिए. देश के लिए जो भी उन्होंने किया है, ये देश का दायित्व है.
अवार्ड देश का है, दल का नहीं है. ये मोदी की पर्सनल प्रोपर्टी नहीं है. भारतीय जनता पार्टी का उस पर कॉपीराइट नहीं है. मैं मानता हूं कि कभी अगर आप स्टोरी चलाएं, मीडिया के लोग इंट्रेस्ट लें, भारत में पद्म पुरस्कार को कैसे परिवर्तित किया गया? कैसे पद्म पुरस्कार एक प्रकार के सच्चे अर्थ में सम्मान बना दिया? इतना बड़ा काम हमने किया है. अगर तारीफ होनी चाहिए थी तो इस बात की होनी चाहिए कि भाई आप बहुत बड़े सोच वाले लोग हैं कि आप ऐसे-ऐसे निर्णय करते हैं. एक सवाल नहीं होना चाहिए कि आपने उनको क्यों दिया. ऐसा है ये शर्त थोड़े होती है कि मैं पद्म देता हूं, मेरे लिए चुप रहना. यह कोई एग्रीमेंट थोड़े होता है. यह ‘गिव एंड टेक’ फॉर्मूला नहीं है जी.
मोदी जी, थोड़ी सी बात उत्तर प्रदेश की करते हैं, सबसे बड़ा प्रदेश है, 80 सीटें वहां से आ रही हैं, क्या इस बार आप लोग 2014 का रिकॉर्ड तोड़ पाएंगे, 71 सीट ली थी बीजेपी, 73 एनडीए ने. इस बार अगर देखें तो अखिलेश और राहुल साथ में चुनाव लड़ रहे हैं और दमखम के साथ पूरे परिवार को उतारा है, खुद कन्नौज से लड़ रहे हैं अखिलेशजी, डिम्पल मैनपुरी से लड़ रही हैं, फिरोजाबाद, आजमगढ़, तमाम जगह से उनके परिवार के लोग लड़ रहे हैं. हो सकता है कि कहते हैं कि गांधी लोग भी शायद अमेठी और रायबरेली से लड़े, तो इस संदर्भ में आप इस चुनाव को कैसे देखते हैं?
पीएम मोदी: राहुल जी, आप जितने गर्व से बता रहे हैं कि सब उतरे हैं, सब उतरे हैं. सब चार बार बोल रहे हैं. ये मजबूरी है, ये क्या है? परिवार के लोगों को उतारना पड़ रहा है. ये मजबूरी है. ये उनका मूल कैरेक्टर है कि इसके सिवा उनके पास कुछ है ही नहीं. फैमिली मेंबर के लिए लड़ना, फैमिली के लोगों को लड़वाना. यही खेल है. अच्छा ये पहले ही इकट्ठे नहीं आए क्या भाई. पहले भी इकट्ठे आ चुके हैं. बार-बार इकट्ठा आ चुके हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश की जनता को अपना भविष्य क्या है? उसकी समझ पूरी है और इसलिए मैंने पार्लियामेंट में कहा था कि आज उत्तर प्रदेश और देश का हाल ऐसा है कि बड़े-बड़े नेता लोकसभा के मैदान से भाग रहे हैं. राज्यसभा का रास्ता खोज रहे हैं. और हुआ वैसा ही है. बड़े लोग चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं है जी. लेकिन, हम एक जिम्मेवारी के साथ काम कर रहे हैं. सबको साथ लेकर चल रहे हैं. और मुझे पक्का विश्वास है कि अब शायद कुछ बचेगा नहीं उनका. कुछ नहीं बचेगा.
2014 से बेहतर परफॉर्मेंस होगा?
पीएम मोदी- उनका कुछ बचेगा ही नहीं जी.
एक सवाल और आप इसका जवाब दे चुके हैं, इसलिए मैं इसको संक्षेप में पूछूंगा. विपक्ष, कांग्रेस सब कहते हैं कि सरकार ईडी, सीबीआई, इंटेलीजेंस एजेंसी का इस्तेमाल कर रही है. आपने कहा है कि ईडी स्वतंत्र है. सिर्फ एक सवाल यह है कि एक न्यूज पेपर ने एक एनालिसिस किया था कि 25 नेता जब अपोजिशन पार्टी से बीजेपी की तरफ आ गए तो उनमें से 23 लोगों के ऊपर से इस तरह के केस को या तो ठंडे बस्ते में डाल दिए गए या ड्रॉप कर दिए गए.
पीएम मोदी: पहली बात है कि एक भी केस ड्रॉप नहीं किया गया है. जो अदालत कहेगी, वही होगा. हम कोई निर्णय नहीं लेंगे. ये स्वतंत्र हैं. दूसरी बात है कि पोलिटिकल लीडरशिप के केस कितने हैं- केवल 3 प्रतिशत. 97 फीसदी अन्य लोगों पर हैं. अच्छे-अच्छे ब्यूरोक्रेट जेल में हैं.
आखिर इन संस्थाओं का जन्म क्यों हुआ है. अगर इन संस्थाओं का जन्म इसी काम के लिए हुआ तो वो ये काम नहीं करेंगी क्या. और अदालत इतनी बड़ी है कि किसी को जमानत नहीं दे रही है. अदालत देखती होगी ना. भ्रष्टाचार के मामले में हम कम से कम उसे हल्के में ना लें. सचमुच में देश में चर्चा होनी चाहिए कि पहले एक जमाना ऐसा था कि जब आरोप लगता था तो लोग खुद ही हिल जाते थे. आज गुनाह सिद्ध हो चुका है. सजा हो चुकी है. फिर भी आप हाथ ऊंचा करके फोटो खिंचवा रहे हैं. आप भ्रष्टाचार का महिमा मंडन कर रहे हैं. इस देश में ये आलोचना का विषय होना चाहिए.
भ्रष्टाचार को यू नॉर्मल ट्रीट नहीं करना चाहिए. वरना इस देश का बहुत नुकसान होगा. ये सवाल बीजेपी और अन्य पार्टियों का नहीं है. देश के लिए ठीक नहीं है. आप इसको यूं नॉर्मल बता देते हैं. मैं देख रहा हूं कि धीरे-धीरे ऐसा वातावरण बनाया जा रहा है- कि हां, ठीक है यार, ये सब तो चलता रहता है.
इसी की वजह से गरीब आदमी मर रहा है. हमें कैसे भी करके इस देश को इससे मुक्त करना चाहिए. ये मामला हल होना चाहिए, लेकिन नहीं हो रहा है.
मैं तो मानता हूं कि देखिए, सिस्टम को पॉलिसी ड्रिवन बनाओ, खूब टेक्नोलॉजी लाओ. पहले प्रधानमंत्री कहते थे कि एक रुपये भेजा जाता है और 15 पैसे पहुंचते हैं. आज मैं कहता हूं कि एक रुपया जाता है और पूरे 100 पैसे पहुंचते हैं. डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से माध्यम से. सिस्टम को सुधारो.
हमने जेम पोर्टल बनाया. भ्रष्टाचार को कम करने की दिशा में बहुत बड़ा कदम है ये. दूसरा- समाज को भी जगाओ. समाज को भी आदत डालो कि भ्रष्टाचार बुरा है. किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार का मुकाबला करना है. देश में वो वातावरण बन रहा है. राजनीतिक लोगों को डर नहीं है. हमारा विरोधी है इसलिए उनका कुछ समर्थन कर देना, ये शोभा नहीं देता है.
आपने पिछले कार्यकाल में काफी बड़े काम किए. आर्टिकल 370 को रद्द किया. CAA को ले कर आये. मगर विपक्षी नेता इस अभियान में कह रहे हैं कि अगर वो सरकार बनाएंगे, तो इन सब को, CAA को रद्द कर देंगे. ममता बैनर्जी ख़ास करके कह रही हैं कि CAA को लागू नहीं होने देंगी. इसको आप कैसे देखते हैं?
पीएम मोदी: पहली बात है कि जिसको भारत का संविधान समझ में आए, जिसको भारत के संघीय ढांचे का पता है, किसके पास कौन-सा काम है, सब पता है. वो कभी ऐसी बात नहीं बोलेंगे. क्योंकि ये उनके अधिकार क्षेत्र का विषय है ही नहीं.
अगर मोदी भी राज्य का मुख्यमंत्री होता है तो वह ये चीजें नहीं कर सकता है. जो भारत सरकार के विषय हैं, वो भारत सरकार करेगी. जो राज्य सरकार के विषय हैं, उन्हें राज्य सरकार करेगी. लेकिन जनता को मूर्ख बनाने का फैशन चल पड़ा है. इसलिए कुछ भी बोलते रहते हैं. दूसरी बात है- मैं चुनौती देता हूं, कांग्रेस पार्टी कल कॉन्फ्रेंस करके बता दे कि हम 370 वापस करेंगे.
क्योंकि 370 हटने के बाद, (ये लोग संविधान की इतनी बातें करते हैं, बाबा भीमराव आंबेडकर को लेकर, हमें इतनी गालियां देते हैं.) बाबा साहेब आंबेडकर का संविधान पूरे देश में लागू नहीं हुआ था. जम्मू-कश्मीर में 70 साल तक भारत का संविधान नहीं रहा है. ये हमने आकर किया है. और भारत का संविधान के तहत दलितों को पहली बार वहां आरक्षण मिल रहा है. वाल्मीकि समाज वहां रहता है, पहली बार उसे आरक्षण मिल रहा है.
उनकी हिम्मत है क्या, वो प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बोलें कि हम 370 हटा देंगे. और कांग्रेस ही नहीं किसी भी दल में हिम्मत है तो आ जाएं मैदान में.
मोदीजी बंगाल की तरफ चलते हैं. पश्चिम बंगाल में इस बार चुनाव में काफी जोरों में लड़ाई हो रही है. पिछली बार जब आप 2019 के चुनाव में पश्चिम बंगाल में 42 में से 18 सीट लाए थे तो लोग चकित रह गये थे. लोगों को उमीद नहीं थी कि आप 18 सीट लाएंगे. इस बार आपके एक नेता ने कहा है कि 36 सीट आ सकती हैं. राजनाथ सिंह ने इंटरव्यू में कहा था कि 36 सीट आ सकती हैं. कैसे देख रहे हैं इस वक्त माहौल को?
पीएम मोदी: देखिए जहां तक लोगों का चकित वाली बात आप जो कह रहे हैं ना, उनकी परेशानी है कि मुझे दस साल हो गया है. अभी भी वो मानने को तैयार नहीं हैं कि देश की जनता ने मोदी नाम के किसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री बना दिया है. कैसी जमात है, जो देश के जनादेश को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है. हकीकत है कि देश की जनता हमको समर्थन दे रही है.
आपने हिसाब लगाया था कि नहीं होगा. तो ये आपकी गलती है. मैं मालदा में था. हैरान था कि कितना जबरदस्त माहौल था. जनता जनार्दन का विश्वास बन रहा है कि देश में एक स्थिर और मजबूत सरकार आए. बंगाल में भी उसके अच्छे परिणाम मिले.
टीएमसी के शासन में महिलाओं पर जो अत्याचार हो रहे हैं, संदेशखाली की जो घटना है, उसने पूरे देश को हिला दिया है. उसका गुस्सा मतदान में निकलेगा ही. आखिर जनता के पास तो मताधिकार है, उसी से वह अपना गुस्सा निकालती है. और गुस्सा निकलना भी है, ये बहुत स्वाभाविक है.
आपने देखा होगा कि नोटों के ढेर मिल रहे हैं. क्या कभी टीवी वालों ने पहले कभी देखा था कि इतने नोटों के ढेर पकड़ गए हैं. पिछले सालों में लगातार 50 करोड़ का ढेर, 300 करोड़ का ढेर, 250 करोड़ का ढेर, 200 करोड़ का ढेर… देश चौंक गया है. आप कितना भी इसे दबाने की कोशिश करो, लेकिन देश के दिल-दिमाग में स्थिर हो चुका है कि ये लूटने वाले लोग हैं.
इस बार जीत और बड़ी होगी?
पीएम मोदी- बिल्कुल, क्लीन स्वीप कर रहे हैं.
ओडिशा को कैसे देखते हैं? ओडिशा में आपने बीजेडी का साथ छोड़ा?
पीएम मोदी: भारतीय जनता पार्टी वहां अलग रही है. बीजेडी ने मुद्दों के आधार पर केंद्र में हमारा समर्थन किया था. ऐसे बहुत से दल हैं जो मुद्दों के आधार पर हमें समर्थन देते रहे हैं. तो बीजेडी के साथ हमारा नाता केंद्र में रहा है. राज्य के अंदर हम बिल्कुल अलग हैं. ओडिशा की पूरी अस्मिता खत्म हो रही है. ओडिशा की स्मिता संकट में है. ओडिया भाषा खतरे में आ रही है. मैं नहीं मानता कि ओडिशा के लोग अब लंबे अरसे तक इसको सहन कर सकेंगे. इतने संसाधन हैं कि आज ओडिशा देश का रिचेस्ट ट्रेड (सबसे अमीर व्यापारिक केंद्र) बन सकता था. लेकिन क्या हालत बना के रखा है. तो अब ओडिशा की सामान्य व्यक्ति के अंदर एस्प्रेशन है. और मुझे लगता है कि हमें सेवा का मौका मिलना चाहिए. हम ओडिशा को कहां से कहां पहुंचा कर देंगे.
बात बिहार की भी करते हैं. बिहार में आपने फिर नीतीश जी के संग वापस गठबंधन किया है. उस गठबंधन के साथ लड़ रहे हैं, कैसे देखते हैं? पिछली बार 40 में 39 सीटें थीं. क्या इसको रिपीट कर पाएंगे.
पीएम मोदी: पहले एक तो हम चुनाव असेम्बली का साथ लड़े थे. बाद में वो कहीं गए फिर वापस आए. हम जो जनादेश है उसके अनुसार साथ में हैं. जहां तक जनसमर्थन का सवाल है, मैं बिहार में ही था. जो जनसमर्थन मैं देख रहा हूं. इतनी गर्मी में कोई पंडाल नहीं, कुछ नहीं है. और लाखों लोग जिस प्रकार से इस बात से जुड़े हुए हैं, मैं साफ देख रहा हूं कि बिहार में पहले हम एकाध सीट हार जाते थे, शायद इस बार एक भी नहीं हारेंगे.
मोदी जी एक निजी सवाल आपसे करना चाहूंगा. आपने बहुत से चुनाव देखे हैं. गुजरात में लंबे समय रहे हैं. केंद्र में ये आपका तीसरा चुनाव है. मैंने देखा है कि समय-समय पर चुनाव-चुनाव से आप पर निजी हमले तेज होते जाते हैं. कहीं पर बोला जाता है कि मोदी को गोली मार दो. कहीं बोला जाता है कि सिर फोड़ दो. हाल-फिलहाल में राहुल गांधी ने आपको कुछ ऐसे शब्द बोले हैं कि पर्सनल अटैक के तौर पर देखा जाता है. ऐसा मोदी के साथ क्यों होता है.
पीएम मोदी: मोदी के साथ क्यों हो रहा है इसका जवाब तो मेरे पास नहीं है. लेकिन ये सवाल मोदी को क्यों पूछना चाहिए. ये सवाल इस देश में चर्चा का विषय होना चाहिए कि मोदी सार्वजनिक जीवन में है. अखिर मोदी का गुनाह क्या है? वो प्रधानमंत्री बना, वही गुनाह है ना? मतलब आप जो भी गाली देते हैं प्रधानमंत्री को देते हैं.
अब प्रधानमंत्री को इस प्रकार कहना कि सिर फोड़ देंगे या कभी मेरी मां को गाली देना, कभी कुछ. और मैं हैरान हूं कि भारत के राष्ट्रपति पर भी किस प्रकार का कटाक्ष किया गया था. शर्म आती है इस प्रकार की भाषा का प्रयोग किया गया.
मैं हमेशा मानता हूं कि मतदाता ही मेरा परिवार है. देश ही मेरा परिवार है. मैं सकारात्मक तरीके से जा रहा हूं. लेकिन जो ऐसा कर रहे हैं, उसे मैं आप लोगों पर छोड़ता हूं. देशवासियों पर छोड़ता हूं कि इन लोगों की तरफ कैसे देखना चाहिए.
मोदी जी अगर एक सवाल मैं यह समझना चाहूं कि यह जो तीसरा कार्यकाल होगा आपका, वो पहले और दूसरे कार्यकाल से अलग कैसे होगा?
पीएम मोदी: पहला कार्यकाल मेरा कैसा गया? तो मैं बस सामान्य मानव की जो जरूरते थीं, उन पर ध्यान देना चाहता था. मैंने उस दिशा में काम किया. और उस समय देश के अंदर एक निराशा का वातावरण था. सरकार के प्रति नफरत का वातावरण. सरकार यानी निकम्मी.
मुझे विश्वास भरना था, मैंने उस पर काम किया, मजबूती लाया. जो दूसरा कार्यकाल था, मैंने कुछ परिणाम दिखाए. लोगों में विश्वास भर दिया कि हम आगे बढ़ सकते हैं. देश में विश्वास आया है. देश में वो विश्वास ही एक बहुत बड़ी ताकत है. अब आगे जो मेरा कार्यकाल रहेगा, मुझे यह देश जो हताशा में से विश्वास में परिवर्तित हुआ, आकांक्षा में परिवर्तित हुआ. अब मुझे देश को तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनाना है.
देश को जब मैं 11 से 5 पर लाया. उसी की निरंतरता है. पहले मनमोहन सिंह के समय देश 11वें स्तर पर था. हम जोर लगाकर 5वें पायदान पर ले आए. अब जोर लगाकर तीन पर ले जाएंगे. हम हर चीज में निरंतरता लाना चाहते हैं.
अब जैसे बिजली- हमने घर-घर तक बिजली पहुंचाने का बड़ा अभियान चलाया. बिजली पहुंचा दी. मेरा लक्ष्य है- पीएम सूर्य घर योजना और जीरो बिजली बिल. मैं तीन चीजें चाहता हूं- हर परिवार का बिजली का बिल जीरो हो, दूसरा-अतिरिक्त बिजली जो हो उसे बेचा जाए, कमाई करें और तीसरा- जमाना इलेक्ट्रिक व्हीकल का आएगा. एनर्जी के सेक्टर में मुझे आत्मनिर्भर होना है. इसलिए मैं चाहूंगा कि जिसके पास भी स्कूटी हो, कार हो, उसका चार्जिंग अपने घर में ही हो. और पूरा सिस्टम सोलर से हो जाए.
अभी लोगों को ट्रांसपोर्टेशन का जो भी महीने का खर्चा आता है, वह भी जीरो हो जाए. ये तीन स्तरीय लाभ लोगों को मिलना चाहिए और देश को वातावरण का फायदा. इससे पेट्रोलियम पदार्थ आयात करने पर जो अरबों डॉलर खर्च हो रहे हैं, वो बंद हो जाएंगे.
ये होगी मल्टिपल बेनिफिट वाली योजना. जैसे स्टार्टअप हब, मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाना है. इनोवेशन हब बनाना है. मैं एकदम नए क्षेत्र में देश को ले जाना चाहता हूं. विजन मेरा स्पष्ट है. मुझे कोई दुविधा नहीं है. मेरे पास सब कुछ तय योजना में तैयार है. 4 जून के बाद 100 दिन में मुझे क्या काम करना है, अभी से मेरा पास सबकुछ तैयार है. पांच साल में क्या करना है, सब स्पष्ट है. 2047 में विकसित भारत बने, सब स्पष्ट है. इसलिए मैं कहता हूं- 24X7 और 2047. ये मेरा मिजाज है.
आपने अपनी पूरी यात्रा में बहुत सारी कठिनाइयों का सामना किया है, ऐसी हालत में भी आप कठोर निर्णय लेते हैं, ये कैसे कर पाते हैं आप?
पीएम मोदी: मैं कठोर निर्णय नहीं लेता हूं. मैं सही निर्णय लेता हूं. निर्णय कोई कठोर नहीं होते हैं. फिर भी मैं सोचता हूं कि ये सब कैसे होता है. जैसा अचरज आपको होता है, ऐसा ही मुझे भी होता है कि मोदी ये सब कैसे करता है. फिर मैं सोचता हूं कि शायद परमात्मा ने मुझे इस काम के लिए भेजा है. मुझसे जो भी काम है, वह ईश्वरीय शक्ति करवा रही है. और ईश्वरीय शक्ति तथा ईश्वरीय प्रेरणा से मैं ये सब काम करता रहता हूं. ये कोई परमात्मा की देन है. किसी उद्देश्य के लिए ही परमात्मा ने मुझे यहां भेजा है. इसलिए मैं ये जो तूफान चल रहा है उससे परे रहता हूं.
लेकिन इस तूफान में शांत कैसे रहते हैं?
पीएम मोदी- मुझे शायद परमात्मा ने यही राह दिखाई है कि तुम उन चीजों में मत उलझो, तुझे कोई बड़ा काम करना है. तुम अपने काम में लगे रहो. तो परमात्मा का निर्देश है, परमात्मा की इच्छा है, परमात्मा की योजना है, और शायद ये उसी का प्रभाव है. मैं एक निमित्त हूं. और कुछ नहीं हूं.
इसी से जुड़ा सवाल था है कि आपको हम लोग देखते हैं, हमको आपका जो शेड्यूल मिलता है. आप इतनी यात्राएं कर रहे हैं. दिन में पांच, छह रैली और वे भी कोई इस प्रदेश में तो कोई किसी प्रदेश में. इस सब में आप फिट कैसे रहते हैं. कौन सी ऐसी शक्ति है, जो आपको यह दृढ़ संकल्प दे रही है आगे बढ़ने का.
पीएम मोदी: पहली बात तो मैंने कहा ना कि ये मैं नहीं कर रहा हूं. ये ईश्वर ने तय किया हुआ है. ईश्वर ने मुझे शायद इसी काम के लिए भेजा है. क्योंकि मैं जिस परिवार में पला-बढ़ा हुआ हूं. मेरी मां ने, जो कुछ पढ़ी-लिखी नहीं थी, कभी स्कूल नहीं देखा. मेरा कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है. और इतना बड़ा देश, इतना सब ईश्वर नहीं करेगा तो कौन करेगा.
मेरे लिए दो ही ईश्वर हैं. एक- जिसको हम देख नहीं पाते हैं. दूसरा- जनता जनार्दन. मैं जनता जनार्दन को ही ईश्वर का ही रूप मानता हूं. परमात्मा के प्रति मेरी अपार श्रद्धा है. शायद परमात्मा ने मुझे इस काम के लिए भेजा है. जनता जनार्दन ने आशीर्वाद दिया है, शक्ति दी है.
जहां तक बात है कि मैं काम क्यों कर पाता हूं, मैं अपने लिए नहीं जीता हूं, जनता के लिए जीता हूं. मेरे मन में हमेशा आता है कि मुझे जितना समय मिला है उसका पल-पल देश के काम आए. जहां तक बात भाग-दौड़ की है तो लोकतंत्र एक बहुत बड़ा उत्सव है. ये जनता जनार्दन के दर्शन का उत्सव है. हमें मौके का फायदा उठाना चाहिए. जितना जनता जनार्दन के दर्शन कर सकें, कर लेना चाहिए.
लोकतंत्र के उत्सव में संवाद होना चाहिए. इसका मैं फायदा उठाना चाहता हूं. जैसे हम घर की पूजा में सभी शामिल होते हैं. इसी प्रकार चुनाव मेरे लिए पूजा का समय है. मैं अपने 140 करोड़ देवताओं की पूजा कर रहा हूं. उस भाव से मैं चलता हूं. लगा रहता हूं और मैं थकता नहीं हूं.
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FIRST PUBLISHED :
April 29, 2024, 22:12 IST