वाराणसी में रविवार को देश की विशिष्ट शख्सियतों को सम्मानित किया जाएगा। इसके साथ ही उनके हुनर और देश में उनके योगदान की चर्चा होगी। काशी वैश्विक फाउंडेशन ने इस कार्यक्रम की थीम हुनर को सलाम रखी है।
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फाउंडेशन के तत्वावधान में असम एवं मणिपुर के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य उन विभूतियों को ‘काशी वैश्विक गौरव सम्मान-2024 से सम्मानित करेंगे। कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्वनी चौबे के साथ राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल समेत अन्य विधायक भी शामिल होंगे।
काशी वैश्विक फाउंडेशन के संस्थापक अजय जायसवाल ने बताया कि ‘काशी वैश्विक गौरव सम्मान 2024″ समारोह आज शाम नदेसर स्थित होटल में शाम 5 बजे से होगा। इसमें तमाम प्रतिभाओं को ‘काशी वैश्विक गौरव सम्मान:हुनर को सलाम’ अवॉर्ड से अलंकृत किया जायेगा।
इसमें कवियत्री नायाब मिधा, चाइल्ड इनवारन्मेटलिस्ट एंड सोशल इंटरप्रेन्योर ईहा दीक्षित, लिपन आर्टिस्ट पायल बंसल, वॉयस एक्टर (बादलपुर) आशीष सिंह, एक्यूटिक वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट डॉ. अरूणिमा सिंह, बिहार्ट-द क्राफ्ट एंड वेव्स ऑफ बिहार की फाउंडर सुमति जालान, रिकंस्ट्रक्टिंग इको फेमिनिज्म डॉ. मधु शिरकत करेंगी।
संगीत नाटक एकेडमी अवार्डी सोशल एंड कल्चरल एक्टिविस्ट मधुश्री हातियाल, पर्ल फार्मर विनोद कुमावत भारती, आर्टिस्ट राखी सपेरा, इंटरनेशनल कालबेलिया डांसर पद्मश्री गुलाबो सपेरा, गोंड आर्टिस्ट पद्मश्री दुर्गा बाई व्याम, काष्ठ कला आर्टिस्ट पद्मश्री गोदावरी सिंह एवं एसीपी जम्मू एंड कश्मीर डॉ. शाहिदा परवीन गांगुली, टेलीविज़न की मशहूर एक्ट्रेस हेली शाह, डॉ शिल्पी गंग, निधि गुप्ता शामिल होगी।
सबसे पहले बताते हैं इन शख्सियतों का योगदान…
गुलाबो सपेरा: राजस्थान की इस बेटी को धनवंतरी के नाम से भी जाना जाता है। जन्म के तुरंत बाद ही इन्हें जिंदा दफनाने की कोशिश की गई, लेकिन इनकी मां की हिम्मत और प्यार ने इन्हें बचा लिया।
दुर्गाबाई व्याम: दुर्गाबाई गोंड परंपरा की जनजातीय कला में काम करती हैं। अधिकांश कार्य उनके जन्मस्थान, मध्य प्रदेश के मांडला जिले के बारबासपुर गांव से प्रेरित हैं।
गोदावरी सिंह: गोदावरी सिंह ने सिंधोरा कला से शुरु आत की और आधुनिक उपकरणों से इसे नए और रचनात्मक उत्पादों में बदल दिया। उन्होंने 2001 में 20 स्व-सहायता समूह स्थापित कर 300 कारीगरों को प्रशिक्षण और उपकरण दिए।
पायल बंसल: लिप्पन कला गुजरात की पारंपरिक म्यूरल कला है, जो मिट्टी और शीशे से बनाई जाती है। पायल बंसल ने इस कला रूप को जीवित रखा है और स्व-शिक्षित कलाकार के रूप में इसे नए आयाम दिए हैं।
आशीष सिंह: आशीष सिंह मशहूर आवाज है, जिन्हें हम न केंवल बिग बॉस जैसे मशहूर रियलिटी शो में सुन चुके हैं, बल्कि अब भोपाल मेट्रो में भी उनकी आवाज की गूंज सुनाई देती है।
सुमति जलान : पटना की रहने वाली 43 वर्षीय सुमति ने शिक्षा के लिए बिहार से बाहर जाकर यह महसूस किया कि लोग अक्सर बिहारियों को लेकर गलत धारणाएं रखते हैं। उन्होंने 2018 में बिहार्ट की शुरुआत की, ताकि वे अपने राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को आधुनिक डिजाइनों के माध्यम से पुनर्जीवित कर सके।
राखी सपेरा : कालबेलिया नृत्य की परंपरा को आगे बढ़ा रहीं गुलाबो सपेरा की बेटी राखी सपेरा। राजस्थान के सपेरा समाज की पहली बेटी हैं जिन्होंने शिक्षा और अभिनय के क्षेत्र में भी नाम कमाया है। इन्होंने एमबीए की पढ़ाई पूरी की और साथ ही दो फिल्मों में भी अभिनय किया।
विनोद कुमावत : राजस्थान के विनोद भारती ने उस समय सीप मोती उगाना शुरू किया जब उनके पास जीवन-यापन का कोई साधन नहीं बचा था। उनके लिए मोती की खेती ने न केवल एक नया आर्थिक दृष्टिकोण प्रदान किया, बल्कि उसने राजस्थान में एक प्रेरणा स्त्रोत भी स्थापित किया।
मधुश्री हटियाल : इनकी संस्था मोरोमिया ने सोहराइ चित्रकला के माध्यम से युवाओं में रु चि पैदा करने के साथ ही पश्चिम मिदनापुर, सेराइकेला-खरसावान और झाड़ग्राम क्षेत्र में जनजातीय कला और प्राचीन संस्कृति को बढ़ावा दिया है।
नायाब मिधा : इनकी मशहूर कविता ‘मुस्कुराओ” ने लोगों के दिलों में एक अलग ही जगह बना ली है। इस कविता के माध्यम से नायाब हमें हर परिस्थिति में मुस्कुराने का संदेश देती हैं। नायाब, वाकई अपने नाम को चरितार्थ करती हैं।
डॉ. अरुणिमा सिंह : इन्होंने उत्तर भारतीय मीठे पानी की कछुओं, मगरमच्छों और गंगा नदी के डॉल्फिनों को बचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इनके प्रयासों से संकटग्रस्त प्रजातियों के लिए आश्वासन कॉलोनी बनाने में सहयोग मिला है।
एसीपी शाहिदा परवीन गांगुली : जम्मू और कश्मीर पुलिस की पहली महिला अधिकारी को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर जाना जाता है। यह भारत की पहली महिला कमांडो भी हैं। यह एक विशिष्ट व्यक्तित्व हैं जिन्होंने अपने जीवन में अद्वितीय साहस और समर्पण का परिचय दिया है।
ईहा दीक्षित : ऐसी युवा पर्यावरण योद्धा हैं जिन्होंने साढ़े चार वर्ष की उम्र में पौधारोपण की शुरुआत की और 2017 में अपने पांचवे जन्मदिन पर 1008 पौधे रोपे। ईहा ने ‘ग्रीन ईहा स्माइल क्लब”की स्थापना की, जो 328 हफ्तों में पौधारोपण करके 21 हजार पौधे रोप चुका है।
उन्होंने 2022 में एशिया वल्र्ड पीस समिट में भारत का प्रतिनिधित्व किया और 2023 में इंटरनेशनल यंग इको हीरो अवार्ड जीता। ईहा को सबसे कम उम्र में देश का सर्वोच्च बाल पुरस्कार प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार और वाटर हीरो पुरस्कार भी मिल चुका है। इन्हें कई पाठ्यक्रमों में भी उन्हें शामिल किया गया है। राष्ट्रीय उपलब्धियों में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान शामिल हैं।
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