राजधानी दिल्ली के राम मनोहर लोहिया (RML) अस्पताल में रिश्वतखोरी रैकेट केस में सीबीआई ने 2 और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. जांच एजेंसी ने RML अस्पताल की नर्स शालू शर्मा और एक सेल्समैन आकर्षण गुलाटी को अरेस्ट कर लिया है. इस केस में अब तक 11 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. सीबीआई कई लोगों से पूछताछ कर रही है. इस केस में कुछ और गिरफ्तारियां हो सकती हैं. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में वसूली रैकेट का भंडाफोड़ कैसे हुआ और इस केस में अब तक क्या-क्या कार्रवाई हुई, इसे सिलसिलेवार तरीके से समझते हैं.
सीबीआई को सूत्र से ये जानकारी मिली थी कि राम मनोहर लोहिया अस्पताल में इलाज के नाम पर बड़ा खेल चल रहा है. यहां एक रैकेट मरीजों से इलाज के नाम पर रिश्वतखोरी कर रहा है और मरीजों को कुछ कंपनियों के मेडिकल उपयोग को बढ़ावा दे रहा है. इसमें अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ भी शामिल हैं. इस इनपुट के बाद सीबीआई ने शुरुआती जांच की तो हैरान करने वाली सच्चाई सामने आई. पता चला कि RML अस्पताल में 5 मॉड्यूल के जरिए रिश्वतखोरी की जा रही थी.
ये 5 मॉड्यूल कौन-कौन से थे?
1. स्टेंट और अन्य चिकित्सा आवश्यकताओं की आपूर्ति के नाम पर रिश्वत
2. स्टेंट के विशेष ब्रांड की आपूर्ति के लिए रिश्वत
3. लैब में चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति के लिए रिश्वत
4. रिश्वत के बदले मरीजों की अस्पताल में भर्ती
5. फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करने के नाम पर वसूली
नर्स से लेकर कार्डियोलॉजिस्ट तक शामिल
जांच एजेंसी ने इस मामले में बुधवार यानी 8 मई को अस्पताल के दो सीनियर हृदय रोग विशेषज्ञों समेत 9 लोगों को अरेस्ट किया था. सीबीआई ने कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर अजय राज और सहायक प्रोफेसर पर्वतगौड़ा चन्नप्पागौड़ा को मेडिकल उपकरण सप्लायर्स से उनके उत्पादों और स्टेंट का उपयोग करने के लिए रिश्वत लेने के आरोप में अरेस्ट किया. इतना ही नहीं, डॉक्टर्स और मेडिकल इक्यूपमेंट्स से जुड़े डीलर्स के 15 ठिकानों पर भी रेड की. इस रैकेट में नर्स से लेकर कार्डियोलॉजिस्ट तक सब शामिल हैं.
मेडिकल उपकरण और स्टेंट सप्लाई करने वालों से लेते थे रिश्वत
सीबीआई ने अपनी FIR में 11 लोगों और 4 फर्मों का जिक्र किया है. इनमें से 6 अस्पताल कर्मचारी, एक बिचौलिया और 4 चिकित्सा उपकरण सप्लाई करने वाले शामिल हैं. CBI की FIR में के मुताबिक डॉ. अजय राज और डॉ. पर्वतागौड़ा मेडिकल उपकरण और स्टेंट सप्लाई करने वालों से रिश्वत लेते थे. बदले में दोनों RML अस्पताल में इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों पर कंपनी का प्रोडक्ट लेने का दबाव बनाते थे. शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि CBI के एक्शन से पहले कार्डियोलॉजिस्ट यूरोप टूर पर जाने की जल्दबाजी में था. इस कारण उसने रिश्वत लेने में जल्दबाजी की और सीबीआई की रडार पर आ गया.
वसूली रैकेट में अबतक इनकी हुई गिरफ्तारी
-कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. अजय राज
-सहायक प्रोफेसर डॉ. पर्वतगौड़ा चन्नप्पागौड़ा
– मेडिकल उपकरण आपूर्तिकर्ता नरेश नागपाल
-लैब का प्रभारी रजनीश कुमार
-भुवाल जयसवाल (क्लर्क)
-संजय कुमार (क्लर्क)
-विकास कुमार
– शालू शर्मा (नर्स)
– आकर्षण गुलाटी (सेल्समैन)
-इनके अलावा CBI ने 2 और आरोपियों को अरेस्ट किया है
ऐसे चल रहा था वसूली रैकेट
– मेडिकल उपकरण आपूर्तिकर्ता नागपाल टेक्नोलॉजीज के नरेश नागपाल ने मेडिकल उपकरणों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए डॉ. पर्वतगौड़ा को 2.48 लाख रुपये की रिश्वत दी थी.
-भारती मेडिकल टेक्नोलॉजीज के भरत सिंह दलाल ने भी यूपीआई के जरिए डॉ. अजय राज को 2 बार रिश्वत दी थी.
– एक और सप्लाई कंपनी के अबरार अहमद ने RML अस्पताल की कैथ लैब को रिश्वत दी थी. इस लैब का प्रभारी रजनीश कुमार है.
– जांच एजेंसी का आरोप है कि भुवाल जयसवाल ने डॉक्टरों के साथ मरीजों को भर्ती कराने के लिए उनके परिजनों से रिश्वत ली, जबकि संजय कुमार ने फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करने के लिए रिश्वत ली.
ऐसे हुआ खुलासा
सीबीआई के मुताबिक डॉ. पर्वतगौड़ा ने मेडिकल सप्लायर्स से जल्द से जल्द उसके रिश्वत के पैसे देने की मांग की थी. उन्होंने नागपाल नामक सप्लायर से 23 अप्रैल को कहा था कि वह 2.48 लाख रुपए की रिश्वत जल्दी मुहैया करा दे. नागपाल ने इसके लिए हामी भी भर दी थी. इसके बाद पर्वतगौड़ा ने दूसरे सप्लायर अहमद से रिश्वत के सारे पैसे तुरंत देने की मांग की थी. इसके पीछे का कारण बताते हुए पर्वतगौड़ा ने कहा था कि वह गर्मी की छुट्टियों में यूरोप की यात्रा पर जा रहा है. CBI ने यह खुलासा भी किया है कि अहमद मार्च में भी पर्वतागौड़ा के पिता बसंत गौड़ा के खाते में 1.95 लाख रुपए का भुगतान कर चुका है.