हिंदी न्यूज़न्यूज़इंडिया‘लापरवाही तभी मानी जाएगी, जब डॉक्टर के पास योग्यता न हो या वह इलाज ठीक से न करे’, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
‘लापरवाही तभी मानी जाएगी, जब डॉक्टर के पास योग्यता न हो या वह इलाज ठीक से न करे’, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
Supreme Court: SC ने शुक्रवार को कहा कि डॉक्टरों को लापरवाही के लिए तभी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जब उसके पास अपेक्षित योग्यता और कौशल न हो या इलाज के दौरान विशेषज्ञता का इस्तेमाल न किया गया हो.
By : पीटीआई- भाषा | Edited By: Nidhi Vinodiya | Updated at : 25 Oct 2024 11:40 PM (IST)
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि डॉक्टरों को लापरवाही के लिए तभी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जब उसके पास अपेक्षित योग्यता और कौशल न हो या इलाज के दौरान उचित विशेषज्ञता का इस्तेमाल न किया गया हो.
जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा और जस्टिस पंकज मिथल की बेंच ने कहा कि जब मरीज का इलाज करते वक्त डॉक्टर की ओर से अपेक्षित सावधानी बरती गई हो तो यह कार्रवाई करने जैसा लापरवाही का मामला नहीं होगा, बशर्ते इसे गलत न साबित कर दिया जाए.
1996 में हुई थी सर्जरी
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के उस आदेश को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें डॉक्टर को लापरवाह ठहराया गया था. शिकायतकर्ता के अनुसार, उनके नाबालिग बेटे की बायीं आंख में जन्मजात विकार पाया गया था, जिसे एक छोटी सी सर्जरी की आवश्यकता थी. चंडीगढ़ के पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) में डॉ. नीरज सूद ने 1996 में सर्जरी की थी.
डॉक्टर पर प्रक्रिया में गड़बड़ी का लगाया था आरोप
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि उनके बेटे में पाई गई शारीरिक विकृति को एक छोटे से ऑपरेशन से ठीक किया जा सकता था, क्योंकि लड़के की आंखों में कोई अन्य बीमारी नहीं थी. डॉक्टर पर प्रक्रिया में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया गया, जिससे सर्जरी के बाद लड़के की हालत बिगड़ गई. इसके बाद शिकायतकर्ता ने डॉ. सूद और पीजीआईएमईआर के खिलाफ मेडिकल नेग्लिजेंस यानी चिकित्सकीय लापरवाही का आरोप लगाया, जिसे राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने 2005 में खारिज कर दिया था. उपरोक्त निर्णय से व्यथित होकर, शिकायतकर्ताओं ने एनसीडीआरसी के पास अपील दायर की.
नहीं पेश कर पाए सबूत
एनसीडीआरसी ने राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के फैसले को खारिज कर दिया और डॉक्टर और अस्पताल को इलाज में लापरवाही के लिए तीन लाख रुपये तथा 50,000 रुपये का मुआवजा देने के लिए संयुक्त रूप से तथा अलग-अलग उत्तरदायी माना. डॉ. सूद और पीजीआईएमईआर ने एनसीडीआरसी के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए अपील दायर की, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि शिकायतकर्ताओं ने डॉ. सूद या पीजीआईएमईआर की ओर से लापरवाही साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं पेश किया.
जरूरी नहीं मरीज की हालत में सुधार हो
बेंच ने कहा कि जरूरी नहीं कि सर्जरी के बाद मरीज की हालत में गिरावट अनुचित या अनुपयुक्त सर्जरी के कारण आई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘‘सर्जरी या ऐसे उपचार के मामले में यह जरूरी नहीं है कि हर मामले में मरीज की हालत में सुधार हो और सर्जरी मरीज की संतुष्टि के अनुसार सफल हो. यह बहुत संभव है कि कुछ दुर्लभ मामलों में इस तरह की जटिलताएं उत्पन्न हो जाएं, लेकिन इससे चिकित्सा विशेषज्ञ की ओर से कोई कार्रवाई योग्य लापरवाही साबित नहीं होती है.’’
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Published at : 25 Oct 2024 11:40 PM (IST)
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