Wednesday, January 8, 2025
Home लड़कियों के लिए नर्क है… ब्रिटिश नेताओं के निशाने पर तालिबान, अफगानिस्तान क्रिकेट होगा बर्बाद?

लड़कियों के लिए नर्क है… ब्रिटिश नेताओं के निशाने पर तालिबान, अफगानिस्तान क्रिकेट होगा बर्बाद?

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नई दिल्ली: तख्तापलट के बाद तालिबानी सरकार बनी और उसके बाद अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों का जीना हराम हो गया है। यही वजह है कि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने उससे क्रिकेटीय रिश्ते तोड़ लिए, सिर्फ भारत-पाकिस्तान की तरह आईसीसी इवेंट में ही एक-दूसरे के खिलाफ खेलते हैं। यह अफगानिस्तान के क्रिकेटरों को चुभता भी है। ओलंपिक में हिस्स लेने के लिए महिला एथलीटों ने देश छोड़ दिया था, लेकिन अब बात बिगड़ने वाली है। 160 से अधिक ब्रिटिश राजनेताओं वाले ग्रुप ने अफगानिस्तान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

दरअसल, 160 से अधिक ब्रिटिश राजनेताओं के एक समूह ने इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड से अफगानिस्तान के खिलाफ चैंपियंस ट्रॉफी मैच का बहिष्कार करने की अपील की है। वे चाहते हैं कि इससे तालिबान शासन में महिलाओं और लड़कियों के गंभीर हालात के खिलाफ आवाज उठाई जा सके। 2021 में तख्तापलट के बाद तालिबान सत्ता में वापस आया और उसके बाद से महिलाओं के खेल में हिस्सा लेने सहित तमाम क्रूर नियम घोषित किए गए और गैरकानूनी बताए गए। अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड महिला क्रिकेट को रोककर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल के नियमों का सीधा उल्लंघन करता है।

बता दें कि इंग्लैंड टीम को 26 फरवरी को लाहौर में चैंपियंस ट्रॉफी के तहत अफगानिस्तान का सामना करना है। हाउस ऑफ कॉमंस और हाउस ऑफ लॉर्ड्स की एक बड़ी क्रॉस-पार्टी में रिफॉर्म यूके के नेता निगेल फराज और लेबर पार्टी के पूर्व नेता जेरेमी कॉर्बिन शामिल हैं। इन दोनों ने ECB से तालिबान के शासन में अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के साथ हो रहे भयानक व्यवहार के खिलाफ आवाज उठाने का आह्वान किया। अफगानिस्तान को अभी भी ICC के इवेंट में हिस्सा लेने की अनुमति है और ECB के CEO रिचर्ड गोल्ड ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सुझाव दिया कि सभी सदस्य देशों से एक समान दृष्टिकोण ही आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका है।

उन्होंने कहा- ईसीबी तालिबान शासन के तहत अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के साथ किए जा रहे व्यवहार की कड़ी निंदा करता है। आईसीसी संविधान में यह अनिवार्य किया गया है कि सभी सदस्य देश महिला क्रिकेट के विकास के लिए प्रतिबद्ध हों। इस प्रतिबद्धता के अनुरूप ईसीबी ने अफगानिस्तान के खिलाफ कोई द्विपक्षीय क्रिकेट मैच आयोजित न करने की अपनी स्थिति को बनाए रखा है। जबकि आईसीसी के भीतर आगे की अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई पर आम सहमति नहीं बनी है, ईसीबी ऐसे उपायों के लिए सक्रिय रूप से वकालत करना जारी रखेगा। एक समन्वित आईसीसी-व्यापी दृष्टिकोण व्यक्तिगत सदस्यों द्वारा एकतरफा कार्रवाई की तुलना में काफी अधिक प्रभावशाली होगा।

दूसरी ओर, अफगानिस्तान हाल के वर्षों में सफेद गेंद वाले क्रिकेट में एक बड़ी ताकत बन गया है। वह वनडे विश्व रैंकिंग में 8वें स्थान पर पहुंच गया है। उसने 2023 वनडे विश्व कप में इंग्लैंड और पाकिस्तान को हराया और पिछले साल टी20 विश्व कप के सेमीफाइनल में पहुंचने में कामयाबी हासिल की। यही वजह है कि ऑस्ट्रेलिया सेमीफाइनल से बाहर हुआ था। अगर इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट नेशंस को एकजुट करने में कामयाब रहे तो इसमें कोई शक नहीं कि अफगानिस्तान क्रिकेट टीम अलग-थलग पड़ जाएगी।

नित्यानंद पाठक

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नित्यानंद पाठक

नित्यानंद पाठक, नवभारत टाइम्स ऑनलाइन में असिस्टेंट एडिटर और स्पोर्ट्स एडिटर के रूप में कार्यरत हैं। उनका पत्रकारिता का सफर एक दशक पहले दैनिक भास्कर, नागपुर से शुरू हुआ था। इसके बाद उन्होंने नव भारत, दैनिक भास्कर डिजिटल, और नेटवर्क-18 जैसे प्रमुख मीडिया हाउसेस के साथ काम किया। खेलों के प्रति उनकी गहरी रुचि है और वह चुनौतियों को स्वीकार करना पसंद करते हैं।… और पढ़ें

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